अफ़गानिस्तान संकट का असर व्यापारिक गतिविधियों पर दिख रहा है। तालिबान के कब्जे के बाद वहां से आयात होने वाली ड्राई फ्रूट की सप्लाई भी प्रभावित हुई है। भारत बड़ी मात्रा में अफ़गानिस्तान से ड्राई फ्रूट आयात करता है। भारत और अफ़गानिस्तान के मज़बूत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। भारत के लिए अफ़गानिस्तान सूखे मेवे का एक बड़ा स्रोत है, लेकिन अफ़गानिस्तान के राजनीतिक उथल-पुथल के बाद वहां से आयात बूरी तरह से प्रभावित हुआ है। इस कारण जम्मू-कश्मीर सहित देश के कई हिस्सों में ड्राई फ्रूट के दाम में 25 फ़ीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।
अफ़गानिस्तान से भारत में किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, सूखी खुबानी और पिस्ता खूब आता है। फिर कश्मीर और नई दिल्ली में इनकी पैकिंग होती है। इसी तरह अनार, सेब, हींग और केसर भी भारत आता है। इन सबके दामों में अचानक से बढ़ोतरी हुई है। देश की राजधानी दिल्ली समेत जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल के कई शहरों में सूखे मेवे के दाम बढ़ने शुरू हो गए हैं। अफ़गानिस्तान से आने वाले पिस्ता का दाम जो 1400 से 1500 रुपये प्रति किलो चल रहा था, अब 1900 से 2000 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। अंजीर पहले 650 रुपए में बेचा जा रहा था वो आज 960 में बिक रहा है। मुनक्का का दाम 400 से 600 हो गया है। वहीं जुलाई में जो बादाम 600 रुपये किलो में मिल रहा था, उसका रेट अब हज़ार रुपये से ऊपर हो गया है।
कश्मीरी केसर से महकेगा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार
तालिबान के कारण अफ़गानिस्तान से होने वाले केसर का आयात पूरी तरह से ठप पड़ गया है। व्यापारियों का कहना है कि कश्मीर में पिछले दो वर्षो में स्थिति सुधरने से वहां से केसर के उत्पादन और मंडि़यों में आवक का दबाव बढ़ा है। कश्मीर में औसतन 5 हज़ार मीट्रिक टन केसर का उत्पादन होता है, जबकि घरेलू और निर्यात की खपत करीबन 10 हज़ार मीट्रिक टन है। ऐसे में मांग पूर्ति नहीं होने पर भारत को अन्य देशों से केसर का आयात करना पड़ता है। अफगानिस्तान से केसर का निर्यात रुकने से कश्मीर के केसर की मांग और कीमत बढ़ने की संभावना है, जिससे कश्मीरी किसानों को फ़ायदा होने की उम्मीद है। भारत केसर का आयातक देश होने के साथ निर्यातक भी है। भारत में जहां अफ़गानिस्तान, ईरान आदि से सस्ती केसर आती है वहीं भारतीय केसर की अमेरिका, अरब सहित अन्य देशों में मांग रहती है। भारत का केसर सुगन्ध और तरल पदार्थ में रंग छोडऩे के मामले में अन्य केसर से अच्छा माना जाता है। ऐसे में अब कश्मीर के केसर की मांग में और इज़ाफ़ा होने की संभावना है।
महाराष्ट्र के किशमिश की बढ़ी मांग
उधर अफ़गानिस्तान में पैदा हुए संकट से भारत के किशमिश उद्योग को एक नई राह मिलने की उम्मीद है। महाराष्ट्र के कोल्हापुर और सांगली में किशमिश के कारोबार ने अचानक से रफ़्तार पकड़ी है। बीते हफ़्ते किशमिश की दर में प्रतिकिलो लगभग 25 रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जिससे यहां पर उत्पादित होने वाले लगभग 65 हजार टन किशमिश को अच्छे दाम मिलेंगे। अफगानिस्तान से दिल्ली में दाखिल होने वाली किशमिश देशभर में जाती है। अब वहां पर स्टॉक सीमित होने से सांगली जिले में देशभर जानेवाली किशमिश को अच्छा दाम मिल रहा है। ऐसे में आने वाले कई त्योहारों में भारतीय किशमिश का कारोबार बढ़ने वाला है। अफ़गानिस्तान की स्थिति का अंतरराष्ट्रीय बाज़ार पर बड़ा असर देखने को मिल सकता है। दामों में भारी बढोतरी होने के साथ त्यौहार के चलते किसानों का अच्छा फ़ायदा पहुंचने की उम्मीद है।