सोलर एनर्जी विलेज (Solar Energy Village): यानी सौर ऊर्जा से रोशन हो रहे गाँव आज अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। बिजली की बढ़ती कीमतें ग़रीब किसानों के लिए बड़ी समस्या है, क्योंकि महंगी बिजली के चलते वह बिजली से चलने वाले कृषि उपकरणों का ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। कई गांवों में तो अभी भी 24 घंटे बिजली नहीं रहती। ऐसे में खेती में इस्तेमाल आने वाले इलेक्ट्रिक उपकरण बेकार हो जाते हैं।
लेकिन ज़रा सोचिए यदि गांवों में भी 24 घंटे लोगों को बिजली मिले, और वह भी बिना बिजली बिल का भुगतान किए, तो कैसा रहेगा। जी हां, ये संभव हो सकता है सोलर एनर्जी के इस्तेमाल से। गुजरात के मेहसाणा जिले का मोढेरा गांव (Solar Energy Village Modhera, Gujarat) भारत का पहला सोलर एनर्जी विलेज है।
यहाँ हर घर की छत पर सोलर पैनल लगा हुआ है और सोलर एनर्जी की बदौलत गांव वालों का बिजली का बिल 60 से 100 फीसदी तक कम हो चुका है। गरीब किसानों के लिए सोलर एनर्जी किसी वरदान से कम नहीं है।
अतिरिक्त कमाई का ज़रिया बना सोलर सिस्टम
सोलर सिस्टम से उत्पन्न बिजली का इस्तेमाल किसान अपने लिए करने के बाद, अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचकर कमाई भी कर सकते हैं। सोलर एनर्जी विलेज मोढेरा की 38 वर्षीय किसान आशाबेन महेन्द्रभाई ऐसा ही कर रही हैं। आशाबेन और उनका परिवार खेती करता है।
इसमें कई तरह के बिजली से चलने वाले उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। इससे पहले उन्हें हर महीने 2000 रुपये का बिल भरना पड़ता था, लेकिन सोलर एनर्जी पैनल लगाने के बाद से न सिर्फ उनका बिजली बिल शून्य हो गया, बल्कि इस्तेमाल के बाद बची हुई बिजली, ग्रिड को बेचकर वह अतिरिक्त कमाई भी कर रही हैं। इससे उनकी बचत बढ़ी है और जीवन स्तर में सुधार आया है।
सोलर एनर्जी की बदौलत बचत
छोटे किसान, जिनकी आमदनी बहुत अधिक नहीं है, उनके लिए लंबा-चौड़ा बिजली बिल किसी मुसीबत से कम नहीं है। बिल अधिक आने के कारण उनकी कोई बचत नहीं हो पाती है। ऐसी ही एक किसान हैं सोलर एनर्जी विलेज मोढेरा की कैलाशबेन।
42 वर्षीय कैलाशबेन की कृषि से आय बहुत कम होती है जिससे वह बड़ी मुश्किल से परिवार का खर्च चला पाती थीं। सरकार की ओर से सौर ऊर्जा पैनल लगाने के बाद उनकी ज़िंदगी आसान हो गई। सोलर एनर्जी की बदौलत उनका बिजली का बिल अब नहीं आता। इन पैसों का इस्तेमाल वह घर खर्च के लिए करती हैं। उसमें से कुछ बचत करके बैंक में भी जमा करा देती हैं।
मोढेरा गांव की हर छत पर एक किलोवॉट क्षमता वाले सोलर पैनल और सोलर सिस्टम लगाए गए हैं। ये सारे पैनल बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) से जुड़े हुए हैं।
बचत बनेगी बुढ़ापे का सहारा
सोलर पैनल लगवाने के बाद मोढेरा गांव के किसानों का बिजली बिल शून्य हो गया है। घर के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ ही, खेती के उपकरणों का इस्तेमाल अब वह बिना बिजली बिल के टेंशन के कर सकते हैं। यही नहीं, बिजली बिल की बचत को वह बुढ़ापे के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।
गांव के किसान पिंगलसिंह करसनभाई का कहना है कि उनका बिल पहले 3000 रुपए आता था, लेकिन अब शून्य हो चुका है। हर महीने होने वाली इस 3000 रुपए की राशि को वह बुढ़ापे के लिए सुरक्षित रखेंगे, यानी एक तरह से यह उनकी पेंशन का काम करेगी।
सीधी से बात है। सोलर पैनल लगाने से किसानों को डबल फायदा हो रहा है। बिजली बिल की बचत के साथ ही, उनके आगे का जीवन भी सुरक्षित हो रहा है।सोलर एनर्जी विलेज आज एक सपना नहीं बल्कि हक़ीक़त है। मोढेरा गांव के लोगों ने इसे साबित भी कर दिखाया है।