Strawberry Farming | स्ट्रॉबेरी, यह विदेशी फल पिछले कुछ सालों में भारत में बहुत लोकप्रिय हो चुका है और इसकी खेती भी खूब की जा रही है। स्ट्रॉबेरी की बाज़ार में काफ़ी मांग है और यह महंगा भी होता है। देशभर में कई किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं।
कम समय में अधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए स्ट्रॉबेरी की खेती अच्छा विकल्प है। जम्मू-कश्मीर के रहने वाले किसान अब्दुल अहद मीर के साथ ही उनके पूरे गांव की किस्मत स्ट्रॉबेरी की खेती ने बदल दी।
छोटी जोत वाले किसानों की बदली ज़िंदगी
अब्दुल अहद मीर जम्मू-कश्मीर के वनिहामा गांव के रहने वाले हैं। सुविधाओं से वंचित इस पहाड़ी गांव में अधिकांश किसानों के पास खेती के लिए पर्याप्त ज़मीन नहीं है। यहाँ ज़्यादातर छोटी जोत वाले किसान हैं। उन्हें इस बात का अंदाज़ा ही नहीं था कि कुदरत ने उन्हें ऐसी जलवायु का तोहफ़ा दिया है, जिसमें कीमती विदेशी फलों की खेती की जा सकती है।
अब्दुल अहद मीर हमेशा ही आमदनी बढ़ाने के लिए नए-नए तरीकों की खोज में रहते थे। वह 2004 में पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों में बागवानी के एकीकृत विकास के लिए प्रौद्योगिकी मिशन के तहत काम कर रहे बागवानी अधिकारी से मिले। उन्होंने अब्दुल को स्ट्रॉबेरी की खेती करने की सलाह दी, क्योंकि इसकी खेती के लिए उनके गांव की जलवायु और मिट्टी बिल्कुल उपयुक थी। इतना ही नहीं, बागवानी अधिकारी ने उन्हें खेती के लिए ज़रूरी सभी सामग्री भी मुहैया कराई।
चैंडलर किस्म से की शुरुआत
2004 में ही अब्दुल ने अपने खेत के सिर्फ़ एक कनाल में प्रयोग के तौर पर चैंडलर किस्म की स्ट्रॉबेरी लगाई। उन्होंने संरक्षित खेती के तहत पॉलीहाउस में इसे उगाया। पहली बार में अच्छे उत्पादन की बदौलत उन्हें 55 हज़ार रुपये की आमदनी हुई। इससे उत्साहित अब्दुल ने अगली बार 8 कनाल क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी लगाया। इससे उन्हें 4.4 लाख की आमदनी हुई। स्ट्रॉबेरी की खेती सफल होने के बाद अब्दुल ने अपने साथी किसानों को भी इसकी खेती के बारे में शिक्षित किया और उन्हें यह नई फसल लगाने के लिए प्रेरित किया। उनके प्रयासों को अच्छी प्रतिक्रिया मिली और अन्य किसानों ने भी इसकी खेती शुरू कर दी। इससे जल्द ही इस गांव के किसानों की आर्थिक तंगी दूर हो गई और अब इस गांव को ‘स्ट्रॉबेरी विलेज’ के नाम से भी जाना जाता है।
चैंडलर, कैलीफोर्निया में विकसित किस्म है। चैंडलर की किस्म मध्य अक्टूबर में लगाई जाती है। इनका फल जनवरी से अप्रैल तक प्राप्त हो जाता है। इसका फल आकर्षक होता है और त्वचा नाज़ुक होती है।
कैसे करें स्ट्रॉबेरी की खेती?
स्ट्रॉबेरी की खेती ठंडे इलाकों में ही की जाती है। इसलिए जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में इसकी खेती पहले से होती आ रही है। अब तो संरक्षित खेती या पॉलीहाउस की बदौलत अन्य कई राज्यों में स्ट्रॉबेरी की खेती सफलतापूर्वक की जा रही है। स्ट्रॉबेरी की अच्छी फसल के लिए 20 से 30 डिग्री तापमान ज़रूरी होता है। इससे अधिक तापमान में पौधों को नुकसान पहुंचता है। आमतौर पर स्ट्रॉबेरी की बुवाई सितंबर-अक्टूबर में की जाती है, लेकिन पहाड़ी इलाकों में इसे फरवरी-मार्च में ही बोया जाता है। इसे क्यारियों में लगाया जाता है। एक कतार में करीब 30 पौधे लगाने चाहिए। पौधों की रोपाई के डेढ़ महीने बाद ही फल आने लगते हैं और करीब 4 महीने तक फल आते रहते हैं, लेकिन इसे तभी तोड़ना चाहिए जब इसका रंग आधे से ज़्यादा लाल हो जाए।
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