जम्मू-कश्मीर में केसर की खेती को और प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की है कि ‘जम्मू-कश्मीर का विश्व प्रसिद्ध केसर अब देश भर में ‘नेफेड’ की दुकानों पर भी उपलब्ध होगा।’ इससे केसर उत्पादक किसानों और इसके कारोबार से जुड़े राज्य के व्यापारियों को फ़ायदा होगा तथा उपभोक्ताओं के लिए भी उम्दा क्वालिटी के केसर को ख़रीदने में आसानी होगी।
प्रधानमंत्री ने किसान सम्मान निधि की नौवीं किस्त को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के ज़रिये जारी किये जाने के मौके पर किसानों को भी सम्बोधन किया। उन्होंने कहा कि कुछ ही दिनों में देश अपना 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। ये वक़्त नये संकल्प लेने और नये लक्ष्य तय करने का है। हमें ये तय करना है कि जब 2047 में देश आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा तब हमारी खेती, हमारे गाँव और हमारे किसानों की दशा कैसी होगी?
दलहन और तिलहन में भी आत्मनिर्भरता ज़रूरी
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान और सरकार की साझेदारी के कारण आज भारत के अन्न भंडार भरे हुए हैं। लेकिन सिर्फ़ गेहूँ, चावल या चीनी में ही आत्मनिर्भरता पर्याप्त नहीं है। देश का दालों और खाद्य तेलों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना बेहद ज़रूरी है। कुछ साल पहले जब देश में दालों की भारी कमी हो गयी तब मैंने देश के किसानों से दाल उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था। किसानों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और नतीज़ा ये रहा कि बीते 6 साल में देश में दाल के उत्पादन में करीब 50 प्रतिशत वृद्धि हुई। जो काम हमने दलहन में किया या अतीत में गेहूँ-धान को लेकर किया, वही संकल्प अब हम खाद्य तेल के लिए भी लेना है। देश को इस क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए तेज़ी से काम करना है।
माँग के अनुसार बदले खेती
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि बीते डेढ़ साल में कोरोना महामारी के दौरान लोगों की खान-पान की आदतों में बहुत बदलाव आया है। मोटे अनाज, सब्ज़ियों, फलों, मसालों और ऑर्गेनिक उत्पादों की माँग तेज़ी से बढ़ रही है। इसीलिए हमें खेती को भी माँग के हिसाब से बदलना होगा। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान देश ने अपने किसानों का सामर्थ्य देखा है। सरकार ने भी खेती और इससे जुड़े हरेक सेक्टर को बीज, खाद से लेकर अपनी उपज को बाज़ार तक पहुँचाने के लिए हर सम्भव प्रयास किये। यूरिया की सप्लाई निर्बाध रखी। DAP के दाम का बोझ किसानों पर नहीं पड़ने दिया।
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राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन का संकल्प
प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता के लिए अब राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-पाम ऑयल का संकल्प लिया गया है। 11,000 करोड़ रुपये के इस मिशन के ज़रिये पॉम ऑयल और अन्य तिलहनी फसलों के उत्तम बीजों से लेकर ज़रूरी टेक्नॉलॉजी किसानों को मुहैया करवायी जाएगी। ताकि अपनी 55 फ़ीसदी माँग को पूरा करने के लिए आयात पर हमारी निर्भरता ख़त्म हो सके और ये रकम देश के ही किसानों के पास पहुँच सके।
उन्होंने कहा कि नॉर्थ ईस्ट और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में पॉम आयल का उत्पादन बढ़ाने की अपार सम्भावनाएँ हैं। छोटे किसानों को इससे बहुत फ़ायदा हो सकता है क्योंकि तिलहनी फसलों की तुलना में पॉम ऑयल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन काफ़ी ज़्यादा होता है। देश में 80 फ़ीसदी छोटे किसान ही हैं,क्योंकि इनके पास 2 हेक्टेयर से कम ज़मीन है। लेकिन अगले 25 साल में खेती को समृद्ध करने का दारोमदार इन्हीं किसानों पर रहने वाला है।
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छोटे किसानों को ही सर्वोच्च प्राथमिकता
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि नीतियों में छोटे किसानों को ही सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसी भावना के मुताबिक, कोरोना काल में करीब एक लाख करोड़ रुपये सीधे छोटे किसानों तक पहुँचे हैं। 2 करोड़ से ज़्यादा किसान क्रेडिट कार्ड जारी हुए हैं। आज जो कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर, विशेष किसान रेल जैसी कनेक्टिविटी और फूड पार्क बन रहे हैं, इसका मुख्य लाभ छोटे किसानों को ही हो रहा है।