किसान पाठशाला: पूरे साल खेती-किसानी में लगे रहने और भरपूर मेहनत के बावजूद किसानों की आय इतनी नहीं हो पाती जिससे वो परिवार चला सकें। परंपरागत कृषि पर निर्भरता, पर्याप्त उत्पादन न हो पाना, उपज की सही कीमत नहीं मिल पाना जैसी समस्याएं किसानों की आय बढ़ाने में बाधक बनी रहती हैं।
ऐसे में खेती के साथ-साथ बागवानी, पशुपालन और मछली पालन जैसे संबद्ध क्षेत्रों के जरिये किसान नियमित और ज्यादा आय हासिल कर सकते हैं। छोटी जोत के किसान यानी वो छोटे किसान जिनकी ज़मीन कम है, वो आधुनिक कृषि तकनीकों का इस्तेमाल कम करते हैं और उनके पास इनकी जानकारी भी कम होती है। इसे देखते हुए कृषक पाठशाला का ये विज़न कारगर हो सकता है, जिसमें किसानों को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी साथ ही लोन भी देने की व्यवस्था की जाएगी।
झारखंड सरकार ने समेकित बिरसा ग्राम विकास योजना (कृषक पाठशाला) शुरू करने की घोषणा की है। इस योजना के लिए लगभग 50 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। इस योजना को पूरे राज्य के किसानों के लिए लागू किया जाएगा। समेकित बिरसा ग्राम विकास योजना के प्रथम चरण में प्रत्येक जिले से एक कृषि फ़ार्म का चयन किया जाएगा। इन फ़ार्मों में उन्नत कृषि तकनीक, बागवानी, पशुपालन और मछली पालन के लिए आधुनिक खेती के उपकरण, नई सिंचाई तकनीक की उन्नत व्यवस्था की जाएगी। फिर इन फ़ार्म को कृषक पाठशाला के रूप में विकसित किया जायेगा, जहां किसान आधुनिक कृषि से संबंधित जानकारी ले सकेंगे। इस योजना का लक्ष्य स्थानीय किसानों की क्षमता का विकास कर उनकी आय में बढ़ोतरी करना है।
इस योजना के फ़ायदे
बिरसा ग्राम विकास योजना का उद्देश्य झारखंड के किसानों को खेती के सभी पहलुओं में प्रशिक्षण देकर लाभान्वित करना है। इस उद्देश्य के लिए राज्य सरकार किसानों के लिए बाकायदा कक्षाएं चलाएगी। कृषक पाठशाला में उन्हें थर्ड पार्टी एजेंसियों की ओर से नियुक्त विशेषज्ञ ट्रेनिंग देंगे। इस योजना के तहत लोन देने का भी प्रावधान है। यह योजना उन छोटे किसानों के लिए विशेष रूप से सहायक होगी जिनके पास खेती के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होते।
सरकार का कहना है कि समेकित बिरसा ग्राम विकास योजना के तहत प्रत्येक जिले से ग्राम का चयन करते हुए बिरसा ग्राम के रूप में नामित किया जायेगा। इस योजना के अन्तर्गत किसान सर्विस सेंटर की स्थापना की जाएगी। कृषक समूह को प्रशिक्षित करते हुए कृषि के विभिन्न आयामों से जोड़ते हुए कृषकों को बाजार उपलब्ध कराया जायेगा, जिससे कृषकों की आय में बढ़ोत्तरी होगी।
58 लाख किसानों की बनेगी यूनिक आईडी
वहीं बिरसा किसान योजना के तहत राज्य के किसानों को एक यूनिक आईडी भी दिया जाएगा। राज्य के 58 लाख किसान बिरसा किसान के दायरे में आएंगे। इस आईडी में एक बारकोड होगा, जिसमें किसानों द्वारा प्राप्त की जा रही योजनाओं की जानकारी होगी। योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कराने के लिए किसानों को आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और बैंक खाता देना होगा। बैंक खाता का इस्तेमाल डायरेक्ट बेनेफिट स्कीम (DBT) के लिए किया जाएगा। प्रज्ञा केंद्रों में किसानों का केवाईसी किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आधार नंबर वाले प्रमाणिक किसान ही योजना के तहत पंजीकृत हों और उन्हें ही इनका लाभ मिले।
बिचौलियों की भूमिका होगी समाप्त
इस यूनिक आईडी के ज़रिए यह पता चल पाएगा कि किस किसान को कौन सी योजना का लाभ मिल चुका है। इससे सबसे बड़ा फ़ायदा ये होगा कि फर्जी तरीके से लाभ उठा रहे लोगों की पहचान हो सकेगी और साथ ही बिचौलियों की भूमिका समाप्त करने में भी यह योजना अहम होगी।