(Elephant Foot Yam): जिमीकंद की Top Varieties, 70 से 80 टन तक फसल उत्पादन

जिमीकंद कंद वर्गीय सब्ज़ी है, जिसका इस्तेमाल सब्ज़ी, अचार, चटनी बनाने से लेकर आयुर्वेदिक दवा बनाने में किया जाता है। इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, जिमीकंद की खेती करके किसान अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

जिमीकंद की खेती jimikand ki kheti

जिमीकंद को ओल, सूरन नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे एलीफैंट फुट याम (Elephant Foot Yam) कहते हैं। सूरन स्वादिष्ट होने के साथ ही पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है। इसमें कैल्शियम, खनिज, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट आदि होता है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है। देश के तकरीबन सभी राज्यों में जिमीकंद की खेती की जाती है। इसकी खेती गर्मी के मौसम में की जाती है, इसलिए अच्छी फसल के लिए सिंचाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। किसान अगर इसकी उन्नत किस्मों का चयन करके वैज्ञानिक तकनीक से खेती करें, तो अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

मिट्टी और जलवायु

जिमीकंद की अच्छी उपज के लिए 25-30 डिग्री का तापमान उपयुक्त होता है। जबकि बारिश औसतन 1000-1500 मि.मी. हो तो फसल का विकास अच्छी तरह होता है। जिमीकंद की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। साथ ही जल निकासी की उचित व्यवस्था होना भी ज़रूरी है। मिट्टी का पी.एच. मान 6-7 होना चाहिए।

Suran, Jimikand or Elephant Yam
तस्वीर साभार- wikipedia

जिमीकंद की उन्नत किस्में

जिमीकंद की तासीर गर्म होती है इसलिए इसे खाने से खुजली की समस्या हो सकती है, ऐसे में इसकी कई उन्नत किस्मों का विकास किया गया है, जिसे खाने से खुजली नहीं होती है। इसकी उन्नत किस्मों में शामिल है गजेंन्द्र, एन-15, राजेंन्द्र ओल और संतरा गाची है। इन किस्मों से प्रति हेक्टेयर 70-80 टन फसल प्राप्त होती है।

जिमीकंद की खेती के लिए कैसे करें खेत तैयार?

सूरन की अच्छी पैदावार के लिए बीज लगाने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करना ज़रूरी है। इसके लिए पहले खेत की गहरी जुताई करके कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दे। इसके बाद खेत में पुरानी गोबर की खाद डालकर दोबारा अच्छी तरह जुताई करें। इसके बाद उर्वरक को सही मात्रा में मिलाएं। अंतिम जुताई के समय 50 किलो पोटाश, 40 किलो यूरिया और 150 किलो डी.ए.पी. को मिलाकर खेत में छिड़कें फिर से दो तीन तिरछी जुताई करें। इसके बाद खेत में पानी लगा कर पलेव कर दें और जब खेत की मिट्टी सूख जाए तो कल्टीवेटर से जुताई करके बीजों की रोपाई के लिए नालियां बना लें।

Suran, Jimikand or Elephant Yam
Suran, Jimikand or Elephant Yam

(Elephant Foot Yam): जिमीकंद की Top Varieties, 70 से 80 टन तक फसल उत्पादन

कैसे करें रोपाई

अगर सूरन बड़ा है तो रोपाई के लिए इसे 250-500 ग्राम के टुकड़ों में काटकर इन्हें उपचारित कर लें ताकि फसल रोगमुक्त रहे। ध्यान रहे रोपाई के लिए नाले से नाले के बीच की दूरी और पौधों से पौधों की दूरी दो फ़ीट होनी चाहिए। कंद को बुवाई के बाद मिट्टी से ढंक दे। जिमीकंद की खेती अंतरफसल के रूप में भी की जा सकती है।

कब तैयार होती है फसल?

जिमीकंद के पौधे 6 से 8 महीने में फसल देने लगते हैं। जब इसके पौधों की पत्तियां सूखकर गिरने लगे तब समझिए की फसल तैयार हो गई है और खुदाई करके फसल निकाल लेनी चाहिए। फिर इसे साफ पानी से धो लें। धोने के बाद फलों को छाया में अच्छी तरह से सुखाने के बाद ही बाजार में बेचें। सूरन हरी सब्ज़ियों की तरह जल्दी खराब नहीं होता यानी इसकी सेल्फ लाइफ अधिक होती है इसलिए इसे बेचने की कोई जल्दी नहीं होती है। एक हेक्टेयर से करीब 70 से 80 टन तक फसल प्राप्त हो जाती है। बाज़ार में यह 2000 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकता है। इस तरह किसानों को 4 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है।

ये भी पढ़ें- कैर की खेती: बंजर भूमि में भी उग जाए, जानिए कैर की खेती के बारे में सब कुछ

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top