केमिकल युक्त खाद और कीटनाशक कुछ समय तक अच्छी फसल देने में मदद करते हैं, लेकिन एक समय बाद इनके निरंतर इस्तेमाल से भूमि की उर्वरता कम होने का डर रहता है। इससे पैदावार क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है। दरअसल, रसायन युक्त केमिकल मिट्टी की पौष्टिकता को खत्म कर देते हैं, जिससे भूमि बंजर हो जाती है। इसलिए देश में व्यापक स्तर पर प्राकृतिक या जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि विशेषज्ञ तो हमेशा से जैविक खेती (Organic Farming) की वकालत करते आ रहे हैं। देसी तरीके से खेती करके न सिर्फ़ अच्छी और गुणवत्तापूर्ण फसल प्राप्त की जा सकती है, बल्कि बंजर भूमि को भी उपजाऊ बनाया जा सकता है। ऐसा ही कर दिखाया है कर्नाटक की महिला किसान चिक्का महादेवम्मा ने।
कौन हैं चिक्का महादेवम्मा?
कर्नाटक के मंडया ज़िले की रहने वाली चिक्का महादेवम्मा ने कम उम्र में ही खेती करनी शुरू कर दी थी। इस कारण वो अपनी बुनियादी शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाईं। वह सिर्फ़ सातवीं तक पढ़ी हैं, लेकिन उन्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं है। उनका कहना है कि उस वक़्त पारिवारिक हालात ऐसे नहीं थे कि पढ़ाई आगे तक कर पाती, लेकिन इस बात की खुशी है कि आज मैं ज़मीन से जुड़ी हुई हूं। उन्हें खेती के काम में मजा आता है। वह प्रगतिशील विचारों की महिला है और खेती में लगातार आने वाली चुनौतियों का डटकर मुकाबला करती हैं। यही वजह है कि उन्होंने बारिश पर निर्भर सुखी ज़मीन को फिर से हराभरा बना दिया।
4 एकड़ भूमि को बनाया उपजाऊ
चिक्का महादेवम्मा के पास 2.5 एकड़ की पुश्तैनी ज़मीन थी। शादी के बाद पति की 1.5 एकड़ ज़मीन मिलाकर कुल 4 एकड़ की ज़मीन हो गई। दोनों ही ज़मीनें सूखे की मार से बूरी तरह से प्रभावित थीं। चिक्का महादेवम्मा के सामने ये एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने भूमि की गुणवत्ता में सुधार के लिए लगातार प्रगतिशील किसानों, किसान संस्थाओं, कई किसानों से मिलना जारी रखा। इसके बाद, वह इस नतीजे पर पहुंची कि प्राकृतिक खेती ही इस समस्या का समाधान है। इसी दौरान वह किसानों की मदद के लिए तैयार प्रोजेक्ट Agriculture Technology Management Agency (ATMA) के संपर्क में आईं। कई ट्रेनिंग सेशन, रेडियो और टीवी कार्यक्रमों के ज़रिए उन्होंने अपनी जानकारी बढ़ाई और इसका इस्तेमाल अपने खेत में किया।
उनकी खेती में क्या है ख़ास?
- चिक्का महादेवम्मा अपनी 4 एकड़ भूमि पर पूरी तरह से जैविक खेती करती हैं, जिसमें कई तरह की फसलों की खेती वो करती हैं।
- जैविक खेती पशुपालन के बिना संभव नहीं है। उनके पास 2 देसी गाय, एक भैंस, 6 बकरी, 5 भेड़ और 16 देसी मुर्गियां हैं। इनके अपशिष्ट से वो जैविक खाद तैयार करती हैं।
- एक छोटा ट्रैक्टर है, जो उन्होंने कृषि विभाग द्वारा दी गई सब्सिडी पर खरीदा है।
- 3 इंच के दो बोरवेल हैं।
- कृषि विभाग द्वारा कंस्ट्रक्शन स्कीम के तहत मिली सब्सिडी से एक वॉटर टैंक बनवाया।
- बागवानी विभाग (Horticulture Department) द्वारा दी गई सब्सिडी के इस्तेमाल से कृषि कचरे से खाद बनाने के लिए जैव अपघटक (Bio Decomposition) इकाई का निर्माण करवाया।
- कृषि विभाग द्वारा ATMA योजना के तहत कीड़ों से बचने के लिए सोलर कीट ट्रैप मुफ़्त लगाया गया है।
- देसी प्याज की किस्मों के संरक्षण के लिए एक प्याज भंडारण केंद्र का निर्माण करवाया। ये भी बागवानी विभाग द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी के तहत बनाया गया।
किसानों को देती हैं सलाह
चिक्का महादेवम्मा के नए तरीकों की सराहना अधिकारियों से लेकर विशेषज्ञों और किसानों ने की। उनके क्षेत्र के कई किसान भूमि की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए जैविक खेती का रूख कर चुके हैं। महादेवम्मा जैविक पौधे और बीज किफ़ायती दामों पर भी बेचती हैं। साथ ही हज़ारों किसानों को ज़रूरी सलाह और मदद भी करती हैं। इलाके में उनकी एकसाथ दो फसल उगाने और बहु फसल तकनीक तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। कृषि क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। तालुक और ज़िला स्तर पर ‘ATMA श्रेष्ठ कृषिका पुरस्कार’, ‘विजया कर्नाटक सुपर स्टार फ़ार्मर पुरस्कार’, मांड्या के वार्षिक पुष्प प्रदर्शनी कार्यक्रम में ज़िला स्तर पर प्रथम पुरस्कार जैसे कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- कृषि में आधुनिक तकनीक से मनेन्द्र सिंह तेवतिया ने उन्नति की राह बनाईमनेन्द्र सिंह तेवतिया ने कृषि में आधुनिक तकनीक अपनाकर पारंपरिक तरीकों से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया, जिससे उन्होंने खेती में नई दिशा और सफलता हासिल की।
- Global Soils Conference 2024: ग्लोबल सॉयल्स कॉन्फ्रेंस 2024 का आगाज़ मृदा सुरक्षा संरक्षण पर होगा मंथनGlobal Soils Conference 2024 नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जो 19 से 22 दिसंबर तक चलेगा, जहां मृदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र पर चर्चा होगी।
- जल संरक्षण के साथ अनार की खेती कर संतोष देवी ने कायम की मिसाल, योजनाओं का लिया लाभसंतोष देवी ने जल संरक्षण के साथ अनार की खेती के तहत ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से 80% पानी की बचत करते हुए उत्पादन लागत को 30% तक कम किया।
- रोहित चौहान की कहानी: युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय का भविष्यरोहित चौहान का डेयरी फ़ार्म युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय को प्रोत्साहित कर रहा है। रोहित ने कुछ गायों और भैंसों से छोटे स्तर पर डेयरी फ़ार्मिंग की शुरुआत की थी।
- जैविक खेती के जरिए संजीव कुमार ने सफलता की नई राह बनाई, जानिए उनकी कहानीसंजीव कुमार की कहानी, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है। जैविक खेती के जरिए उन्होंने न केवल पारंपरिक तरीकों को छोड़ा, बल्कि एक नई दिशा की शुरुआत की।
- जैविक तरीके से रंगीन चावलों की खेती में किसान विजय गिरी की महारत, उपलब्ध कराते हैं बीजबिहार के विजय गिरी अपने क्षेत्र में जैविक खेती के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। वो 6-10 एकड़ भूमि पर धान, मैजिक चावल, रंगीन चावलों की खेती करते हैं।
- रोहन सिंह पटेल ने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय शुरू किया, क्या रहा शुरुआती निवेश और चुनौतियां?रोहन सिंह पटेल ने दो साल पहले वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय का काम शुरू किया, जिसमें उन्होंने जैविक खाद बनाने की तकनीक को अपनाया।
- नौकरी छोड़कर अपने गांव में जैविक खेती और कृषि में नई तकनीक अपनाकर, आशुतोष सिंह ने किया बड़ा बदलावआशुतोष प्रताप सिंह ने अपने गांव लौटकर कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती अपनाकर अपनी खेती को सफल बनाया और आसपास के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनें।
- जैविक खेती के जरिए रूबी पारीक ने समाज और राष्ट्र निर्माण में किया अद्वितीय योगदानरूबी पारीक ने जैविक खेती के जरिए न केवल अपना जीवन बदला, बल्कि समाज के लिए स्वस्थ भविष्य की नींव रखी। उनकी कहानी संघर्ष और संकल्प की प्रेरणा है।
- Millets Products: बाजरे के प्रोडक्टस से शुरू की अनूप सोनी ने सफल बेकरी, पढ़ें उनकी कहानीअनूप सोनी और सुमित सोनी ने मिलेट्स प्रोडक्ट्स (Millets Products) से बेकरी व्यवसाय शुरू किया, बाजरे से हेल्दी केक बनाकर स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दिया।
- जानिए रघुवीर नंदम का कम्युनिटी सीड बैंक कैसे उनके क्षेत्र में वन सीड रेवोल्यूशन लेकर आ रहा हैआंध्र प्रदेश के रहने वाले रघुवीर नंदम ने ‘वन सीड रेवोल्यूशन कम्युनिटी सीड बैंक’ की स्थापना की, जिसमें उन्होंने 251 देसी चावल की प्रजातियों का संरक्षण किया है।
- पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से बनाई नई पहचान, जानिए रविंद्र माणिकराव मेटकर की कहानीरविंद्र मेटकर ने पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से अपनी कठिनाइयों को मात दी और सफलता की नई मिसाल कायम की, जो आज कई किसानों के लिए प्रेरणा है।
- उत्तराखंड में जैविक खेती का भविष्य: रमेश मिनान की कहानी और लाभउत्तराखंड में जैविक खेती के इस किसान ने न केवल अपनी भूमि पर जैविक खेती को अपनाया है, बल्कि सैकड़ों अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
- Wheat Varieties: गेहूं की ये उन्नत किस्में देंगी बंपर पैदावारगेहूं की ये किस्में (Wheat Varieties) उच्च उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, किसानों के लिए लाभकारी मानी गई हैं।
- पहाड़ी इलाके में मछलीपालन कर रही हैं हेमा डंगवाल: जानें उनकी सफलता की कहानीउत्तराखंड की हेमा डंगवाल ने पहाड़ी इलाकों में मछलीपालन को एक सफल व्यवसाय में बदला, इस क्षेत्र में सफलता हासिल की और अन्य महिलाओं को भी जागरूक किया।
- किसान दीपक मौर्या ने जैविक खेती में फसल चक्र अपनाया, चुनौतियों का सामना और समाधानदीपक मौर्या जैविक खेती में फसल चक्र के आधार पर सीजनल फसलें जैसे धनिया, मेथी और विभिन्न फूलों की खेती करते हैं, ताकि वो अधिकतम उत्पादकता प्राप्त कर सकें।
- पुलिस की नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी फ़ार्मिंग का सफल बिज़नेस, पढ़ें जगदीप सिंह की कहानीपंजाब के फ़िरोज़पुर जिले के छोटे से गांव में रहने वाले जगदीप सिंह ने पुलिस नौकरी छोड़कर डेयरी फ़ार्मिंग में सफलता हासिल कर एक नई पहचान बनाई है।
- जानिए कैसे इंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि तकनीकों से खेती को नई दिशा दीइंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि में सुपर सीडर, ड्रोन सीडर और रोटावेटर का उपयोग करके मक्का, गन्ना, और धान की फसलें उगाई हैं।
- Food Processing से वंदना ने बनाया सफल बिज़नेस: दिल्ली की प्रेरणादायक कहानीदिल्ली की वंदना जी ने खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) से पारंपरिक भारतीय स्वादों को नया रूप दिया और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएं।
- देवाराम के पास 525+ बकरियां, बकरी पालन में आधुनिक तकनीक अपनाईदेवाराम ने डेयरी फार्मिंग की शुरुआत एक छोटे स्तर से की थी, लेकिन वैज्ञानिक और आधुनिक तरीकों को अपनाने के बाद उनकी डेयरी यूनिट का विस्तार हुआ।