कटहल की खेती (Jackfruit Farming): कटहल फल और सब्ज़ी दोनों ही कैटेगरी में आता है। छोटे कटहल की सब्ज़ी बहुत ही स्वादिष्ट बनती हैं, इसलिए कुछ लोग इसे देसी चिकन भी कहते हैं। कटहल में आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए, सी, और पौटेशियम जैसे कई तरह के पोषक तत्वों से भरपुर होता है। इसके पौधे जब बड़े पेड़ हो जाते हैं तो कई साल तक फल देते हैं। साल में दो बार कटहल के पेड़ पर फल लगते हैं। इसलिए इसकी खेती मुनाफ़ा का सौदा साबित हो सकती है।
मिट्टी और मौसम
कटहल की खेती पूरे देश में की जाती है। इसकी ख़ासियत है कि यह किसी भी तरह की मिट्टी में पनप जाता है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी में इसकी फसल बहुत अच्छी होती है। साथ ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पेड़ के आसपास जल-जमाव न हो यानी जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होना बहुत ज़रूरी है। मिट्टी का पी.एच. मान 7 के करीब अच्छा माना जाता है।
जहां तक मौसम का सवाल है तो यह गर्म और नमी वाले मौसम में अच्छी पैदावार देता है। ज़्यादा गर्मी और बारिश वाली जगहों पर तो यह अच्छी तरह बढ़ते हैं, लेकिन अधिक ठंड कटहल की फसल के लिए अच्छी नहीं होती। 10 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर इसके पौधों का विकास अच्छी तरह नहीं हो पाता।
कटहल की उन्नत किस्में
यदि आप भी कहटल की खेती करने की सोच रहे हैं, तो इसकी कुछ उन्नत किस्में लगाकर अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
खजवा: यह किस्म सब्ज़ी की बजाय फल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए उपयुक्त है, क्योंकि इसके फल जल्दी पक जाते हैं।
स्वर्ण मनोहर: कटहल की यह किस्म अधिक पैदावार वाली है। इसके पेड़ तो छोटे होते हैं, लेकिन फल अधिक संख्या में लगते हैं। फल लगने के 20-25 दिन बाद ही पेड़ से सब्ज़ी के लिए अच्छी संख्या में कटहल तोड़कर बेचे जा सकते हैं।
स्वर्ण पूर्ति: कटहल की यह किस्म सब्ज़ी के लिए उपयुक्त है। इसके फल छोटे आकार के कम रेशे और बीज वाले होते हैं। इसलिए इसकी सब्ज़ी स्वादिष्ट बनती है। इसके फल देर से पकते हैं।
कटहल से तैयार कर सकते हैं कई खाद्य उत्पाद
कटहल को बेचकर तो किसान कमाई कर ही सकते हैं, लेकिन आमदनी बढ़ाने के लिए इसके मूल्य संवर्धन उत्पादों (Value-Added Products) की जानकारी ज़रूरी है। कटहल का अचार बनाया जाता है। कटहल के बीज को उबालकर और भूनने के बाद इसका आटा तैयार किया जा सकता है। बेंगलुरु स्थित ICAR-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान ने कटहल के तीन खाद्य उत्पाद (Food Products) तैयार किए हैं।
कटहल रस- कटहल से एक ड्रिंक तैयार की गई है। कटहल के गूदे को किणवन प्रक्रिया (fermentation) का इस्तेमाल करते हुए एक द्रव्य तैयार किया गया। फिर इस द्रव्य में से सीरम को अलग किया गया। इस सीरम में निश्चित अनुपात में पानी मिलाकर रस तैयार किया गया। इसे सामान्य तापमान में कांच की बोतलों में 6 महीनों तक रखा जा सकता है। एक किलो कटहल से 2.5 से 3 लीटर रस प्राप्त हो जाता है। इसे अर्का हलसुरस नाम दिया गया है। इस ड्रिंक में अलग से चीनी या अन्य प्रिज़र्वेटिव नहीं मिलाए गए हैं।
इस ड्रिंक में मिठास इसमें मौजूद फ्रक्टोस और सोर्बिटॉल के कारण है। इसके प्रति 100 मिलीलीटर में 15-18 मिलीग्राम विटामिन सी, 2.1-2.4 मिलीग्राम कैरोटिनॉइड और 1.1-1.2 मिलीग्राम ऑक्सीकारक होते हैं।
खुम्ब आधारित चॉकलेट- चॉकलेट हर किसी को पसंद आती है।इसलिए बागवानी संस्थान ने कटहल के बीज से ख़ास चॉकलेट भी तैयार की है। एक ताजे कटहल में 15-23 बीज होते हैं। आमतौर पर कटहल के बीज को फेंक दिया जाता है, लेकिन यही बीज चॉकलेट बनाने में भी काम आ सकता है। चॉकलेट बनाने के लिए कटहल के बीज का चूर्ण बनाकर इसे निश्चित अनुपात में मशरूम, तिल और मक्खन के साथ मिलाकर चॉकलेट तैयार की गई है। इस चॉकलेट को अर्का जैकोलेट नाम दिया गया है।
इस प्रॉडक्ट में 5-6 प्रतिशत प्रोटीन, वसा और कैलोरी की मात्रा कम है। कटहल के बीजों में 60 से 65 फ़ीसदी स्टार्च (आरएस-प्रकार-2), 2 प्रतिशत कच्चा रेशा और एंटीबॉडीज़ एवं कैंसररोधी गुण पाए जाते हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान ने ये चॉकलेट तैयार की।
बिस्कुट- भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान ने कटहल से बिस्कुट भी बनाया है। इसे मशरूम और कटहल के बीज के चूर्ण से बनाया गया है। बिस्कुट बनाने के लिए आमतौर पर अनाज की वसामुक्त भूसी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उसकी बजाय कहटल के बीज का चूर्ण इस्तेमाल करना सेहत के लिहाज़ से ज़्यादा लाभदायक है। ये बिस्कुट कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन से भरपूर हैं।
कटहल से बने इन उत्पादों की अधिक जानकारी के लिए आप भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के +91-80-23086100 नंबर पर कॉल कर सकते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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