औषधीय गुणों से भरपूर अदरक का इस्तेमाल हर घर में और हर मौसम में किया जाता है यानी इसकी मांग पूरे साल रहती है। भारतीय घरों में तो अदरक के बिना चाय और सब्ज़ी बनती ही नहीं है। इतना ही नहीं, सर्दी-खांसी होने पर अदरक खाना बहुत फ़ायदेमंद है। चूंकि अदरक की मांग हमेशा बनी रहती है इसलिए अदरक की खेती मुनाफ़े का सौदा है। ख़ासतौर पर अगर किसान इसकी वैज्ञानिक खेती करें और उन्नत किस्म का चुनाव करें तो मुनाफ़ा कई गुना अधिक होगा जैसा कि केरल की ओमाना कैथककुल्लथ कर रही हैं।
‘जिंजर वुमन’ का मिला खिताब
ओमाना कैथककुल्लथ केरल के कालीकट ज़िले के चेम्पोनोडा गांव की रहने वाली हैं। अदरक की खेती में ख़ास दिलचस्पी होने की वजह से उन्होंने इसकी खेती शुरू की। मगर पारंपरिक खेती की बजाय उन्होंने इसकी वैज्ञानिक खेती करने का फैसला किया। ओमाना ने पेरूवनामुझी स्थित ICAR-कृषि विज्ञान केंद्र से प्रदान की गई तकनीकी सहायता के साथ अदरक की खेती शुरू की।
ओमाना जैविक खेती से जूट के बोरों में अदरक उगाती हैं। इसके लिए उन्होंने बंजर ज़मीन का चुनाव किया। बंजर भूमि पर अदरक की सफल खेती करने की वजह से ही उन्हें इलाके के लोग ‘जिंजर वुमन’ कहते हैं।
ओमाना जूट के बोरों को ज़मीन पर रखकर 2.5 सेंट (ज़मीन मापने की एक इकाई) क्षेत्र में फैलाती हैं। कॉयर-पीठ, गाय के सूखे गोबर और ट्राइकोडर्मा से भरी एक ट्रे में एक अंकुर युक्त 5 ग्राम भार के कटे हुए प्रकंदों के इस्तेमाल से पौध तैयार करती हैं। इसके अलावा, अदरक की अच्छी फसल के लिए पर्याप्त धूप, सिंचाई और समय पर खाद देना ज़रूरी होता है।
IISR वरदा है अदरक की उन्नत किस्म
ओमाना ने मई 2015 में 300 बोरे में अदरक की उन्नत किस्म IISR वरदा लगाई और 2016 जनवरी के आखिरी हफ़्ते में इसकी कटाई की। 4 किलो रोपण सामग्री से 108 किलो ताजी अदरक की फसल प्राप्त की। फील्ड लेवल की ट्रेनिंग, समय-समय पर दौरे, अच्छी गुणवता वाली रोपण सामग्री और मार्केटिंग में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने उनका पूरा सहयोग किया।
IISR वरदा की ख़ासियत
अदरक की यह किस्म अधिक उपज देने के साथ ही अच्छी गुणवत्ता वाली है। सूखी अदरक के भंडारण में कीटों से नुकसान की संभावना भी कम होती है। किसानों के मुताबिक, यह फाइबर सामग्री वाले रोगों के प्रति सहनशील है।
तैयार करती हैं कई उत्पाद
अदरक की खेती के साथ ही वह काली मिर्च, कई फलों सहित विभिन्न अंतरफसलों की खेती करती हैं। वो सजावटी मछलियों, केंचुओं और पक्षियों को भी पाल रही हैं। खेती के साथ ही मूल्य वर्धित उत्पाद के ज़रिए वह अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं। ‘जायफल के छिलके की कैंडी’, ‘गैरीसीनिया छिलके का पेस्ट’ और “सूखी अदरक” उनके नए और सफल मूल्य वर्धित मसाला उत्पाद हैं। अब वह कृषि विज्ञान केंद्र में साथी किसानों को प्रशिक्षण भी दे रही हैं।
स्टोरी साभार: ICAR
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