हाल ही में भारत सरकार की केन्द्रीय कैबिनेट ने खरीफ फसलों के लिए कृषि विपणन वर्ष 2024-25 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) की बढ़ोतरी को मंज़ूरी दी। इसकी घोषणा कैबिनेट के फैसले के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने की।
खरीफ़ सीज़न साल 2024-25 में तिलहन और दलहन फसलों में सबसे ज़्यादा MSP में बढ़ोतरी हुई है। तिलहन फसलों में नाइजर सीड में सबसे ज़्यादा बढ़ोतरी हुई है। 2023 के मुकाबले 983 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के साथ 7734 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 8717 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। तो वहीं तिल 632 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी के साथ 8635 प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 9267 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। अगर दलहन की बात करें तो सबसे ज़्यादा बढ़ोतरी अरहर या तुअर की दाल में की गई है। अहरह दाल 550 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के साथ 7000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 7550 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई है।
खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2024-25 (Minimum Support Price For Kharif Crops)
क्रमांक | फसल का नाम | MSP 2024-25 (रुपये/क्विंटल) | MSP 23-24 (रुपये/क्विंटल) |
1 | सामान्य धान | 2300 | 2183 |
धान ग्रेड ‘ए’ | 2320 | 2203 | |
2 | ज्वार हाइब्रिड | 3371 | 3180 |
ज्वार मालदंडी | 3421 | 3225 | |
3 | बाजरा | 2625 | 2500 |
4 | रागी | 4290 | 3846 |
5 | मक्का | 2225 | 2090 |
6 | तुअर/अरहर | 7550 | 7000 |
7 | मूंग | 8682 | 8558 |
8 | उड़द | 7400 | 6950 |
9 | मूंगफली | 6783 | 6377 |
10 | सूरजमूखी के बीज | 7280 | 6760 |
11 | सोयाबीन (पीला) | 4892 | 4600 |
12 | तिल | 9267 | 8635 |
13 | नाइजरसीड | 8717 | 7734 |
14 | कपास (मीडियम स्टेपल) | 7121 | 6620 |
कपास(लॉन्ग स्टेपल) | 7521 | 7020 |
क्या है Minimum Support Price (MSP)?
Minimum Support Price यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों के हित के लिए भारत सरकार की ओर से बनाई गई व्यवस्था है। इस व्यवस्था के तहत सरकारी एजेंसियां तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से फसलों की खरीद करती हैं। इसका उद्देश्य हैं कि किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम मिल सके।
किन फसलों पर Minimum Support Price (MSP)?
इस कृषि लागत और मूल्य आयोग में 5 सदस्य होते हैं जो मौजूदा समय में 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य या MSP की सिफ़ारिश करते हैं जिसमें अनाज वाली फसलों में धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ और रागी। दलहन फसलों में चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर। तिलहन वाली फसलों में मूंगफली, रेपसीड, सोयाबीन, तिल, सूररजमुखी, कुसुम और नाइजर बीज साथ ही नकदी फसलों की बात करें तो खोपरा, जूट कपास और गन्ना शामिल हैं। ये आयोग इन फसलों की बुवाई से पहले इनकी न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण कर देती हैं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य का इतिहास (Minimum Support Price History)
तारीख थी 14 मई, साल 1957, लोकसभा में खाद्य स्थिति पर समिति की नियुक्ति पर बात चल रही थी। सभी का मानना था कि खाद्य उत्पादन में कोई कमी न होने के बावजूद कीमतों में हो रही वृद्धि के कारणों की जांच हो और जमाखोरी और अनुचित बढ़ोतरी को रोका जाए। इन्हीं सब के चलते भारत सरकार के संकल्प संख्या 158(1)/57 PYI के तहत 24 जून 1957 को अशोक मेहता की अध्यक्षता में Food Grains Enquiry Committee का गठन किया गया। इस समिति ने सरकार को कई सुझाव दिए।
1 अगस्त 1964 को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादूर शास्त्री के सचिव एलके झा की अध्यक्षता में खाद्य और कृषि मंत्रालय की ओर से खाद्य-अनाज मूल्य समिति या कहें Food-grain Price Committee का गठन किया गया। तत्कालीन कृषि मंत्री सी सुब्रमण्यम और प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का मानना था कि किसानों को उनकी उपज के बदले कम से कम इतना पैसा मिलना चाहिए कि फसल उत्पादन में उनका नुकसान ना हो।
इस समिति में एलके झा के अलावा योजना आयोग के सदस्य टीपी सिंह भी थे। योजना आयोग का नाम बदल कर साल 2015 में निति आयोग कर दिया गया। बीएम आधाकर, एमएल दंतवाला और एससी चौधरी भी इस समिति में शामिल थे। साथ ही खाद्य और कृषि मंत्रालय में उप आर्थिक और सांख्यिकीय सलाहकार डॉ. बीवी दूतिया को इस कमेटी का सचिव नियुक्त किया गया था।
एलके झा की अध्यक्षता वाली ये समिति 24 दिसंबर 1964 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपती है और कृषि उपज के मूल्य निर्धारण के लिए कृषि मूल्य आयोग या Agricultural Prices Commission बनाने की सिफारिश करती है। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री उसी दिन 24 दिसंबर 1964 को इस कमेटी की रिपोर्ट में मुहर लगा देते हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह था कि किसी भी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण कैसे तय किया जाए और इसके दायरे में कौन-कौन सी फसलों को रखा जाए यह सब तय करना अभी बाकी था।
CACP करती है Minimum Support Price (MSP) तय
फसल और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के निर्धारण के लिए झा कमेटी की सिफारिश पर साल 1965 में कृषि मूल्य आयोग की स्थापना की जाती है जिसे आगे चलकर साल 1985 में इसका नाम बदल कर कृषि लागत और मूल्य आयोग यानी कि CACP कर दिया गया है। यही लागत और मूल्य आयोग है जो हर साल ख़रीफ और रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) यानी कि फसल बुवाई से पहले फसलों के मूल्य निर्धारण की सिफारिश करती है। CACP की सिफारिश के बाद भारत सरकार इसे लागू करती है। भारत सरकार अपने बफर स्टॉक या सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बनाए रखने के लिए लगभग 23 फसलों के उपज को MSP पर खरीद करती है। यह आयोग साल 1966 में सबसे पहले धान की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) की सिफारिश की थी।
CACP में होते हैं इतने सदस्य
कृषि लागत और मूल्य आयोग में 5 सदस्य होते हैं। एक अध्यक्ष, एक सदस्य सचिव एक आधिकारिक सदस्य, दो गैर आधिकारिक सदस्यों सहित कुल 5 सदस्य होते हैं। गैर आधिकारिक सदस्य में ऐसे सदस्य का चुनाव किया जाता है जो कृषक समुदाय से जुड़ा हो और किसानों का प्रतिनिधित्व करता हो। वर्तमान में CACP के अध्यक्ष डॉ. विजय पाल शर्मा, सदस्य सचिव अनुपम मित्रा और आधिकारिक सदस्य डॉ. नवीन प्रकाश सिंह हैं। गैर-आधिकारिक या कहें कि किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले दोनों सदस्यों की सीट अभी खाली है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
सवाल: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या है?
जवाब: न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) वो मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसलों को खरीदती है। ये सुनिश्चित करने के लिए कि किसानों को उनकी फसलों का न्यूनतम मूल्य मिले और वे घाटे में न जाएं, ये मूल्य निर्धारित किया जाता है।
सवाल: एमएसपी की गणना कैसे की जाती है?
जवाब: एमएसपी की गणना कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) द्वारा की जाती है। इसमें उत्पादन की लागत, बाजार मूल्य, फसल की उपलब्धता, मांग और अन्य आर्थिक कारकों को ध्यान में रखा जाता है।
सवाल: एमएसपी क्यों ज़रूरी है?
जवाब: एमएसपी किसानों को उनकी फसलों के लिए एक न्यूनतम मूल्य की गारंटी देता है, जिससे वे अपने उत्पादन की लागत को कवर कर सकें और एक सुनिश्चित आय प्राप्त कर सकें। इससे कृषि क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा मिलती है।
सवाल: एमएसपी कैसे लागू किया जाता है?
जवाब: सरकार और राज्य एजेंसियां किसानों से उनकी फसलों को एमएसपी पर खरीदती हैं। इसके लिए मंडियों और खरीद केंद्रों का नेटवर्क होता है जहां किसान अपनी फसलें बेच सकते हैं।
सवाल: क्या एमएसपी सभी फसलों पर लागू होता है?
जवाब: नहीं, एमएसपी केवल चयनित प्रमुख फसलों पर लागू होता है जिन्हें सरकार ने सूचीबद्ध किया है। इसमें मुख्य रूप से धान, गेहूं, दालें, तिलहन और कुछ अन्य फसलें शामिल हैं।