Kisan Andolan Live Update : कृषि बिलों को लेकर विरोध करते हुए किसान आंदोलन को आज 56वां दिन हो गया है। इसके साथ ही आज किसान नेताओं की आज सरकार के साथ दसवें दौर की मीटिंग भी होनी है। आज की मीटिंग विज्ञान भवन में दोपहर दो बजे से शुरु होगी। मीटिंग से पहले किसान नेताओं ने कहा कि आज सरकार के साथ होने वाली मीटिंग में किसान अपनी पुरानी मांगों को ही दोहराएंगे।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए सबसे जरूरी है तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना और हम आज भी इसी पर चर्चा करेंगे। भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि इस बैठक में इस पर कोई सकारात्मक नतीजा निकलेगा। इसके साथ ही उन्होंने MSP पर भी कोई सकारात्मक पहल होने की उम्मीद जताई।
उल्लेखनीय है कि मीटिंग के ठीक एक दिन पहले किसान नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी और शिव कुमार शर्मा कक्काजी के मध्य भी मतभेद की खबरें आई थी। हालांकि बाद में किसान नेताओं ने कहा कि अब सब ठीक है और कहीं कोई दिक्कत नहीं है।
इसी बीच कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों से कृषि कानूनों पर बिन्दुवार चर्चा करने की अपील की है। वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि बिलों तथा किसान आंदोलन के मुद्दे को सुलझाने को लेकर गठित की गई कमेटी की पहली बैठक भी मंगलवार को हुई है। इस कमेटी को किसान संगठनों तथा अन्य लोगों से बातचीत कर दो महीने के अंदर अपनी सिफारिशें देनी है।
विज्ञान भवन में किसानों के प्रतिनिधिमंडल के साथ सरकार की बातचीत शुरु हो गई है। वहीं दूसरी ओर किसानों द्वारा प्रस्तावित 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी चल रही है।
इसमें सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की ट्रैक्टर रैली में दखल देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह अधिकार दिल्ली पुलिस का बताते हुए कहा है कि दिल्ली पुलिस ही तय करेगी कौन दिल्ली आएगा और कौन नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की ट्रैक्टर रैली पर रोक नहीं लगाने के आदेश को अपनी जीत बताया है।
कमेटी बनाए जाने के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कमेटी को कोई भी पावर नहीं दी गई है। वह केवल अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सब्मिट करेगी और उसी के आधार पर फैसला होगा। यदि कोई पक्ष कमेटी के सामने अपनी बात नहीं रखता है या कमेटी के सदस्यों से नहीं मिलता है तो भी कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी और उसी के आधार पर डिसीजन सुनाया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार ने किसानों की शंका दूर करने के लिए कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देने को तैयार है। कृषि मंत्री ने किसान संगठनों के नेताओं से एक प्रतिनिधि समिति के गठन का भी प्रस्ताव रखा है। सरकार ने कहा है कि अगर दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी रहती है तो सरकार कानूनों के लागू करने पर एक साल तक की रोक लगा सकती है।