Kisan Andolan : कृषि कानून के खिलाफ किसानों और सरकार के बीच चल रहे गतिरोध के बीच कई विवाद सामने आने लगे हैं। किसानों के आंदोलन में खालिस्तानी एंगल होने के कयास के बाद विवाद और गहरा गया है। स्वीडिश ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग की ‘टूलकिट’ बनाने का शक पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) पर है।
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बता दें कि थनबर्ग ने शुरुआत में जो ‘टूलकिट’ शेयर की थी। उसमें भारत को निशाना बनाकर ग्लोबल ट्वीटस्टार्म से लेकर दूतावासों को घेरने की बात कही गयी थी। उस टूलकिट के भीतर दर्जनों लिंक थे। कवर पर आंदोलनकारी किसानों की एक फोटो थी जिसके ऊपर अंग्रेजी में लिखा था, ‘क्या आप मानव इतिहास के सबसे बड़े प्रदर्शन का हिस्सा बनेंगे?’ रिसोर्सेज में ‘पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन’ और ‘ग्रीन्स विद फार्मर्स यूथ कोअलिशन’ की वेबसाइट्स के लिंक थे।
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यह विवाद क्यों गहराया
‘टूलकिट’ बनाने का शक पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन पर है। कनाडा के वैंकूवर में इस संस्था का फाउंडर एम धालीवाल है। जांच एजेंसियों के मुताबिक एम धालीवाल पर आरोप है कि वह किसान आंदोलन के बहाने भारत में खालिस्तानी आंदोलन को बढ़ावा देना चाहता है। कनाडा की यह संस्था जून 2020 में फेसबुक-इंस्टाग्राम पर आयी। पिछले साल फरवरी में इसका ट्विटर अकाउंट बना था। PJF ने ‘खालिस्तान – द सिख फ्रीडम स्ट्रगल’ पर एक वेबिनार भी कराया था। इसके डायरेक्टर्स में मो धालीवाल का नाम भी है, जो खुद को ‘प्राउड खालिस्तानी’ बताता है।
धालीवाल का वीडियो वायरल
जांच एजेंसियों के मुताबिक, उसकी संस्था ने ‘टूलकिट’ में भारत विरोधी चीजों को भड़काने का पूरा प्लान तैयार किया था। इससे संबंधित धालीवाल का एक वीडियो भी सामने आया है। धालीवाल का जो कथित वीडियो वायरल हो रहा है, उसे 26 जनवरी को शूट किया गया है। उसमें कई विवादास्पद बातें कहीं गयी हैं। किसान आंदोलन के जरिये खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा देने की बात जैसी चीजें हैं। हालांकि इस वीडियो की सत्यता की हमारी वेबसाइट पुष्टि नहीं करती है।