भारत में कृषि क्षेत्र में हाल के वर्षों में एक बड़ा बदलाव आकार लेता दिख रहा है। तकनीकी ज्ञान से आत्मनिर्भर किसान बनाने की जो कोशिशें सरकार, कृषि संस्थानों, कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों की ओर से लगातार की जा रही हैं, वो सभी मिलकर संस्थागत रूप लेती जा रही हैं। देश का कृषि क्षेत्र एक बार फिर से वैसी ही कृषि क्रांति के आगमन के संकेत दे रहा है, जिसने हरित क्रांति के रूप में बड़ा बदलाव देखा है। ऐसे में हरित क्रांति के अग्रदूत माने जाने वाले गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 24 मार्च से 27 मार्च तक आयोजित होने वाले 111वें अखिल भारतीय किसान मेला और एग्रो-इंडस्ट्रियल प्रदर्शनी महत्वपूर्ण है। ये मेला पंतनगर किसान मेला के नाम से देशभर में विख्यात है।
कृषि मेलों और कृषि प्रदर्शनियों का आयोजन कृषि और इसके संबद्ध क्षेत्रों में आ रहे बदलावों, नवाचारों, एग्री स्टार्टअप्स, तकनीकी विकास को देखने, दिखाने, समझने और समझाने का एक उपयुक्त मंच होते हैं। भारत जैसे विविध भौगोलिक स्थितियों वाले देश में जब अलग-अलग राज्यों के लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, उनके प्रयोगों, उपलब्धियों को समझते हैं और उन्हें अपनाते हैं तो इसके व्यापक सकारात्मक नतीजे भी सामने आते हैं। पंतनगर में गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कृषि क्षेत्र को समर्पित देश का पहला विश्वविद्यालय है, जिसने अपने सतत अनुसंधानों और उपलब्धियों से कृषि विकास में योगदान दिया है। ऐसे में यहां 24 मार्च से 27 मार्च तक आयोजित होने वाले पंतनगर किसान मेला 2022 में एक परिसर में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से जुड़ी उपयोगी जानकारियां हासिल करने का सुनहरा अवसर मिल सकता है।
गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय क्यों है ख़ास?
हरित क्रांति में उत्तराखंड के पंतनगर स्थित गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की अहम भूमिका थी, जो 1960 में अपनी स्थापना से लेकर अब तक अपने कृषि अनुसंधानों को लेकर देश की अग्रणी शिक्षा संस्थान के रूप में प्रतिष्ठित है। बीसवीं सदी में भारतीय कृषि क्षेत्र में बदलाव का अग्रदूत बना गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय इक्कीसवीं सदी में भी उसी तरह अग्रणी बना हुआ है। गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भारत के तमाम राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों में पहली रैंकिंग रखता है और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ICAR की 2021 की रैंकिंग में चौथे स्थान पर है। 1960 में गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्र को समर्पित किया था। इस विश्वविद्यालय को 1997, 2005 और 2019 में प्रतिष्ठित सरदार वल्लभ भाई पटेल बेस्ट इंस्टीट्यूशन अवार्ड भी मिल चुका है। पंतनगर विश्वविद्यालय की इन उपलब्धियों के पीछे है वर्षों से किए जा रहे कृषि अनुसंधानों की सफलता, जिसे उन्नत खेती के उपयुक्त बीज के विकास से लेकर कृषि तकनीकों और मवेशी पालन की प्रगतिशील तकनीकों के विकास में देश देखता रहा है। विश्वविद्यालय समय-समय पर कृषि क्षेत्र को लेकर नवीनतम जानकारियों को सामने लाने और इससे जुड़े किसानों, उद्यमियों, संस्थाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाता रहता है। इसी कड़ी में 111वें पंतनगर किसान मेला 2022 का आयोजन 24 मार्च से 27 मार्च तक किया जा रहा है।
पंतनगर विश्वविद्यालय और एग्री स्टार्टअप के बीच अनुबंध
इसी साल जनवरी में जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और एग्री स्टार्टअप फार्म्स के बीच एक अनुबंध किया गया है। बेंगलुरू स्थित ये एग्री स्टार्टअप पंतनगर विश्वविद्यालय से विकसित उन्नत बीज, तकनीकी और वैज्ञानिक टूल्स के साथ-साथ उत्तराखंड के किसानों और कृषि उद्यमियों के कृषि उत्पादों का विपणन करेगा। उत्तराखंड में ज़्यादातर किसानों के पास कम ज़मीन है, ऐसे में वो बड़े पैमाने पर भंडारण या विपणन नहीं कर पाते। इन किसानों के कृषि उत्पाद जैसे सब्जियां, फल, मशरूम ज़ल्दी बाज़ार तक नहीं पहुंच पाते ऐसे में पंतनगर विश्वविद्यालय की ये पहल उत्तराखंड के किसानों की मुश्किलों को घटाने और उनकी आय बढ़ाने के काम आएगी। इसके साथ ही यहां के किसानों और लघु उद्यमियों के निर्मित वर्मी कम्पोस्ट, मसाले, शहद, बिस्कुट, कुकीज़ जैसे उत्पादों को भी बाज़ार मिल सकेगा।
24 मार्च से 27 मार्च तक आयोजित होने वाले अखिल भारतीय कृषि मेला में इसी तरह के एग्री स्टार्टअप से जुड़ने और जोड़ने का विभिन्न कृषक समूहों और प्रगतिशील किसानों को अवसर मिल सकेगा।
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