खेती-बाड़ी में मिट्टी की बहुत अहमियत होती है। इस समय गर्मी का मौसम चल रहा है। सूरज की रोशनी सीधे धरती पर पड़ती है, जिससे भूमि का ताप कई गुना बढ़ जाता है। खेती में इस मौसम का भी बड़ा महत्व है। अगर खेत की गर्मियों में गहरी जुताई की जाए तो इसके कई अच्छे परिणाम होते हैं।
इस वक़्त अगर किसान गेहूं की कटाई के बाद सनई, ढैंचा, लोबिया, मूंग और ग्वार जैसी फसलें नहीं लगा रहे हैं तो खेतों की गहरी जुताई (Deep Plowing) कर कुछ समय के लिए छोड़ना लाभदायक होता है। कानपुर के दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. ख़लील ख़ान से किसान ऑफ़ इंडिया ने इसपर ख़ास बातचीत की।
खाली खेतों की गहरी जुताई कब करें?
डॉ. ख़लील ख़ान का कहना है कि गर्मी के दिनों में अपने खाली खेतों की गहरी जुताई ज़रूर करें। उन्होंने बताया कि आगामी फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए रबी फसल की कटाई के तुरंत बाद गहरी जुताई कर गर्मियों में खेत को खाली रखना फ़ायदेमंद होता है। उन्होंने कहा कि जहां तक संभव हो सके किसान मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई कर दें। खाली खेत में गहरी जुताई मई के महीने में ज़रूर कर लें।
कब और कैसे करें जुताई?
डॉ. ख़लील बताते हैं कि रबी की फसल यानी गेहूं की कटाई के बाद किसान खेतों में 12 इंच तक या 20 से 30 सेंटीमीटर तक गहरी जुताई कर के छोड़ दें। वहीं खेत में खरपतवार होने की स्थिति में 10 से 15 दिन के अंतराल में दोबारा जुताई करें। खेत में कीट-पतंगे नष्ट करने के लिए सुबह 7 से 11 बजे तक और शाम 4 से 6 बजे तक गहरी जुताई करें। दरअसल, इस समय कीटों के प्राकृतिक शत्रु पक्षी ज़्यादा सक्रिय रहते हैं, जो कीटों और लार्वा को खा जाते हैं।
गर्मियों में गहरी जुताई के हैं कई फ़ायदे
गर्मियों में गहरी जुताई किसी भी मिट्टी पलटने वाले हल से ढलान के विपरीत करनी चाहिए। इस तरह से जुताई करने से बारिश का बहुत सारा पानी मिट्टी सोख लेती है और पानी ज़मीन के नीचे तक पहुंच जाता है। इससे न केवल मिट्टी का कटाव रुकता है, बल्कि पोषक तत्व भी बहकर बर्बाद नहीं होते। उन्होंने बताया कि गहरी जुताई से जो मिट्टी के ढेले बनते हैं, वो धीरे-धीरे हवा और बरसात के पानी से टूटते रहते हैं।
साथ ही, जुताई से फसल अवशेष और अन्य खरपतवार ज़मीन के नीचे दब जाते हैं। ये अवशेष सड़ने के बाद खेत की मिट्टी में कार्बनिक खादों/ जीवांश पदार्थ की मात्रा में बढ़ोतरी करते हैं। इससे आगामी सीजन में बोई जाने वाली फसल को फ़ायदा होता है। फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है। गर्मियों में गहरी जुताई से भूमि में वायु संचार और जल सोखने की क्षमता बढ़ जाती है। गर्मी में गहरी जुताई से तेज धूप होने के कारण कीड़े-मकोड़े और बीमारियों के जीवाणु खत्म हो जाते हैं।
जुताई के समय इन बातों का रखें ध्यान
डॉ. ख़लील ख़ान ने बताया कि जुताई के समय ध्यान रखें कि मिट्टी के ढेले बड़े-बड़े रहें और मिट्टी भुरभुरी न होने पाए। नहीं तो गर्मियों में तेज हवा के साथ मिट्टी के कण के बहने की समस्या बढ़ जाती है। साथ ही वर्षा आधारित इलाके में जुताई करते समय इस बात का भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि फसल अवशेषों की ज़मीन पर परत न बनने दें। इससे मिट्टी को बारिश से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि ज़्यादा रेतीले इलाकों में गर्मी के समय जुताई बिल्कुल न करें।
जुताई से भूमि कटाव में 66.5 फ़ीसदी तक कमी
उन्होंने बताया कि गर्मियों में की जाने वाली जुताई से जलवायु का प्रभाव मिट्टी में होने वाली प्रक्रियाओं पर पड़ता है। उन्होंने बताया कि किसान को गर्मी की जुताई दो से तीन साल में एक बार अवश्य कर देनी चाहिए। डॉ. ख़लील ने आगे बताया कि रिसर्च के परिणामों में गर्मी की जुताई से भूमि कटाव में 66.5 फ़ीसदी तक की कमी दर्ज की गई।
डॉ. ख़लील का मानना है कि गर्मियों में गहरी जुताई करने से नीचे की मिट्टी ऊपर आ जाती है। गहरी जुताई में मिट्टी के बड़े-बड़े ढेले निकलते हैं। जल, वायु और मिट्टी का प्रदूषण कम होता है। मिट्टी की भौतिक और रासायनिक दशा में सुधार आता है।
जुताई के लिए इन यंत्रों का कर सकते हैं इस्तेमाल (Deep Plowing Equipments)
डॉ. ख़लील ने बताया कि गर्मियों में गहरी जुताई करने के लिए मोल्डबोर्ड हल, डिस्क हल, सब सॉयलर, कल्टीवेटर जैसे कृषि यंत्रों का इस्तेमाल कर सकते हैं। खरीफ़ फसलों के उत्पादन के लिए गर्मियों की जुताई सबसे अहम होती है। समय से गर्मी की जुताई करने पर 50 फ़ीसदी तक फसलों की पैदावार बढ़ सकती है। गर्मियों की गहरी जुताई से खेत में लंबे समय तक नमी बनी रहेगी। फसलों को ज़्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होगी।
डॉ. ख़लील ख़ान ने कहा कि पिछले एक महीने से पारा चढ़ा हुआ है। तापमान दिन में 44 डिग्री सेल्सियस चल रहा है। साथ ही रात में भी तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा रहा है। ऐसे में खेतों की गहरी जुताई खरीफ़ फसलों के लिए फ़ायदेमंद है।
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