एक तरफ जहां पंजाब के किसान मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि विधेयकों के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं दूसरे राज्यों के किसान पंजाब आकर अपना धान बेच रहे हैं। आप यह जान कर हैरान होंगे लेकिन सच यही है कि पंजाब में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) अन्य राज्यों की तुलना में अधिक मिल रहा है जिसके कारण न केवल पंजाब के आस-पास वरन बिहार जैसे दूरस्थ राज्यों के किसान भी अपने धान की फसल को बेचने के लिए पंजाब की कृषि उपज विपणन समिति (APMC) में भेज रहे हैं।
अन्य राज्यों की तुलना में पंजाब में धान बेचने पर होता है मुनाफा
एग्रीकल्चर एक्सपर्ट्स के अनुसार पंजाब में बाहर से आए किसानों को धान का उतना मूल्य नहीं मिल पाता जितना यहां के स्थानीय किसानों को मिलता है। फिर भी उन्हें अपने मूल राज्यों की तुलना में अधिक कीमत मिलती है।
उदाहरण के लिए एक किसान जो अपने धान को पंजाब भेज रहा है, उसे इसे बेचने के बदले में लगभग 1400 से 1500 रुपए प्रति क्विंटल की कीमत मिलती है, जिसमें 50 से 100 रुपए ट्रांसपोर्टेशन के मिलते हैं। खरीददार उसी धान को पंजाब आकर लगभग 1800 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर सरकारी मंडी में बेचता है, जिससे उस खरीददार को लगभग 250 से 300 रुपए प्रति क्विंटल की बचत होती है।
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जिस किसान ने खरीददार को अपनी फसल बेची थी, उसे अपने मूल राज्य में धान की लगभग 1100 से 1200 रुपए प्रति क्विंटल की दर ही मिलती है। ऐसे में उसे पंजाब की मंडी में बेचने से लगभग 300 से 350 रुपए प्रति क्विंटल की रेट अधिक मिलती है। यही एक कारण है कि पिछले कुछ वर्षों से बाहरी राज्यों के अधिकतर किसान अपना धान यहां की मंडी में बेचना पसंद कर रहे हैं।
बिहार में खत्म हो चुका है APMC अधिनियम
मार्केट एक्सपर्ट्स के अनुसार यूपी और बिहार के किसानों को उनके यहां स्थानीय मार्केट में कोई भी खरीददार 1200 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक दर देने को तैयार नहीं है जिसके कारण वे धान बेचना पसंद नहीं कर सकते। उल्लेखनीय है कि बिहार में APMC अधिनियम को वर्ष 2006 में ही समाप्त कर दिया गया था जिसके बाद किसानों को फसल खुले मार्केट में सस्ते दामों पर बेचनी पड़ रही है।
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किसान यूनियन चाहती हैं MSP को लेकर नया कानून
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि भारत के हर राज्य में किसानों के हित में सरकार को एक ऐसा कानून बनाना चाहिए जिसके बाद कोई भी फसल मार्केट में एमएसपी से नीचे नहीं खरीदी जा सके। इससे किसानों को शोषण रूकेगा और उन्हें उनकी मेहनत का सही दाम मिलेगा।
अभी ऐसा कोई भी कानून नहीं होने के कारण मार्केट में बड़े खरीददार किसानों का उनकी फसल का सही मूल्य नहीं दे रहे और उनका शोषण कर रहे हैं।