खादी ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने शहद की प्रोसेसिंग के लिए देश की पहली ऐसी मोबाइल यूनिट का संचालन शुरू किया है जो मधु-वाटिकाओं या मधुमक्खी पालकों के घर-घर जाकर शहद की पेटियों से उत्पादन इक्कठा करेगी। यक़ीनन, ऐसी कोशिश से मधुमक्खी पालकों को बहुत सहूलियत होगी और उन्हें अपनी आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी। उम्मीद है कि पहले मोबाइल हनी प्रोसेसिंग यूनिट से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब तथा राजस्थान के मधुमक्खी पालकों को विशेष फ़ायदा होगा। KVIC ने अपने इस पहले मोबाइल हनी प्रोसेसिंग यूनिट के अनुभवों के आधार पर पूर्वोत्तर राज्यों में भी ऐसे अनेक मोबाइल वैन शुरू करने की रणनीति बनायी है।
8 घंटे में 300 किग्रा शहद की प्रोसेसिंग क्षमता
इस ‘मोबाइल हनी प्रोसेसिंग यूनिट’ से 8 घंटे में 300 किलोग्राम शहद की प्रोसेसिंग की जा सकती है। शहद की प्रोसेसिंग के अलावा ये मोबाइल यूनिट जाँच-प्रयोगशाला का काम भी करेगी, ताकि शहद की गुणवत्ता का फ़ौरन पता लगाया जा सके। मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन का डिज़ाइन ऐसा है कि ये मधुमक्खी पालकों के लिए शहद की प्रोसेसिंग (प्रसंस्करण) उनके दरवाज़ों पर पहुँचकर करेगी। इससे उन्हें अपने मधुमक्खियों के बक्शों को शहद की प्रोसेसिंग के लिए दूर शहरों तक नहीं ले जाना पड़ेगा। इससे उनकी परेशानी और खर्च की बचत होगी।
मामूली फ़ीस चुकाकर होगी शहद की प्रोसेसिंग
मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन में शहद की क्वालिटी की जाँच के लिए एक लैब टेक्निशियन तथा एक तकनीकी सहायक तैनात रहते हैं, जो किसानों और मधुमक्खी पालकों से मामूली फ़ीस लेकर शहद की प्रोसेसिंग करते हैं। इससे मधुमक्खी के बक्शों को प्रसंस्करण संयंत्रों तक ले जाने का झंझट और खर्च ख़त्म हो जाता है। क्योंकि इन्हीं दिक्कतों से बचने के लिए ज़्यादातर छोटे मधुमक्खी पालक अपने कच्चे शहद को अपनी मधु-वाटिकाओं या Bee farm पर औने-पौने भाव पर ही प्रसंस्करण संयंत्रों के एजेटों को बेच देते हैं। लिहाज़ा, मधुमक्खी पालन से बढ़िया कमाई का मौका उनके हाथ से निकल जाता है।
‘खादी इंडिया’ करेगा इस शहद की मार्केटिंग
मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन से छोटे मधुमक्खी पालकों को काफ़ी प्रोत्साहन मिलेगा तथा शहद की शुद्धता और गुणवत्ता के उच्च स्तर को क़ायम रखने में आसानी होगी। मोबाइल हनी प्रोसेसिंग यूनिट के ज़रिये इक्कठा होने वाले शहद की मार्केटिंग खादी ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के लोकप्रिय ब्रॉन्ड ‘खादी इंडिया’ के लिए की जाएगी। इस ‘मोबाइल हनी प्रोसेसिंग यूनिट’ का डिज़ाइन उत्तर प्रदेश में शामली ज़िले में मौजूद KVIC के बहुविषयक प्रशिक्षण केन्द्र (MDTC), पंजोखेड़ा ने तैयार किया। इसे 15 लाख रुपये की लागत से केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन और शहद मिशन (NBHM) के तहत बनाया गया है।
शहद मिशन से आमदनी बढ़ाने की कोशिश
केन्द्रीय कुटीर, लघु और मध्यम उद्योग (MSME) मंत्रालय के मातहत साल 2017-18 से KVIC की ओर से ‘शहद मिशन’ का क्रियान्वयन हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शहद मिशन के ज़रिये हरेक गाँव को ‘मीठी क्रान्ति’ से जोड़ने का विज़न दिया। शहद मिशन के तहत गाँवों के शिक्षित और बेरोज़गार युवाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देकर तथा किसानों को मधुमक्खी के बक्से बाँटकर, उन्हें अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने 7 जनवरी 2022 को उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद के सिरोरा गाँव में ‘मोबाइल हनी प्रोसेसिंग वैन’ को लॉन्च किया। ये KVIC के शहद मिशन की एक ख़ास उपलब्धि है क्योंकि ‘मोबाइल हनी प्रोसेसिंग यूनिट’ से मधुमक्खी पालकों तथा किसानों को अपने शहद की उपज और इसका उचित दाम हासिल करने में सहूलियत होगी।
शहद मिशन में KVIC के ज़रिये रोज़गार
बता दें कि शहद मिशन के तहत KVIC अब तक देश में 1.6 लाख से ज़्यादा मधुमक्खी बक्से वितरित कर चुका है। इससे 40 हज़ार से ज़्यादा लोगों को रोज़गार भी मिला है। वनस्पतियों की प्रचुरता वाले इलाके पश्चिमी उत्तर प्रदेश में KVIC ने किसानों तथा मधुमक्खी पालकों को क़रीब 8,000 मधुमक्खी बक्से बाँटे हैं। इससे न सिर्फ़ किसानों की आमदनी बढ़ी है, बल्कि मधुमक्खियों की वजह से अन्य फसलों के परागण (pollination) में ऐसा सुधार आया कि उसकी पैदावार बढ़ गयी।
कम पूँजी का पेशा है मधुमक्खी पालन
मधुमक्खी पालन में कृषि आधारित व्यावसायिक उद्यम की सभी ख़ूबियाँ हैं। इसमें पूँजी निवेश कम करना पड़ता है और इससे नगदी फ़सलों जैसी कमाई होती है। ग्रामीणों को इसे कृषि से जुड़े मुख्य पेशे या अतिरिक्त आमदनी देने वाले सहायक पेशे की तरह अपनाना चाहिए। मधुमक्खी पालन तो पुरुष, महिला, युवा या बुज़ुर्ग कोई भी अपना सकता है। खादी ग्रामोद्योग आयोग की ओर से देश में फैले इसके संस्थानों में मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण भी आसानी से पाया जा सकता है। ये ग्रामीण आबादी को ग़रीबी से मुक्ति दिलाने तथा उनकी ज़िन्दगी को ख़ुशहाल बनाने के अलावा पर्यावरण संरक्षण में अतुलनीय योगदान दे सकता है। इसके बावजूद भारत का शहद व्यवसाय अब भी बेहद अविकसित है। इसका मुख्य कारण ये है कि आज भी ज़्यादातर मधुमक्खी पालक ऐसे ही हैं जो इसे पैतृक पेशे की तरह ही अपनाते हैं।
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