“कीटनाशक ज़हर होता है, कीड़ा को तो मारेगा, पर धान का पोषण भी मार देगा। कीड़ा को मारने का और भी बहुत तरीका है… हम चप्पल का नहीं, हम sticky trap का बात कर रहे हैं…” ये फ़िल्म ‘Laapataa Ladies’ का एक डायलॉग है। क्या आप जानते हैं फ़िल्म ‘लापता लेडीज़’ की ‘जया’ का बताया स्टिकी ट्रैप (Sticky Trap) आख़िर होता क्या है और कैसे काम करता है? असल में ये फसलों को खराब करने वाले कीट-पंतगों को मारने का एक देसी और कारगर तरीका है। स्टिकी ट्रैप की मदद से किसी ज़हरीले केमिकल का इस्तेमाल किये बग़ैर ही कीटों और पंतगों से फसलों को बचाया जाता है।
स्टिकी ट्रैप से फसलों की सुरक्षा
स्टिकी ट्रैप पेस्टिसाइड की तुलना में बहुत सस्ता होता है। किसान इसको अपने घर पर बड़े आराम से बना सकते हैं। इसमें बहुत मेहनत भी नहीं लगती और ना ही बहुत सारा पैसा खर्च करना पड़ता है। स्टिकी ट्रैप के इस्तेमाल से किसान फ़सलों को कीटों और पतंगो से होने वाले नुकसान में 40 से 50 फ़ीसदी की कमी कर सकते हैं।
स्टिकी ट्रैप न तो फ़सलों को किसी तरह का कोई नुकसान पहुंचाता है। न ही खेत की मिट्टी, पर्यावरण और न ही इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य पर किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव पड़ता है।
कैसे काम करता है स्टिकी ट्रैप?
जैसा कि फ़िल्म ‘लापता लेडीज़’ की जया अपनी समझदारी भरी बातों के साथ स्टिकी ट्रैप के बारें में बताती है कि “ये एक ऐसी शीट है जिस पर चिपचिपा ग्लू या लेई लगा होता है। फ़सल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट-पतंगे इसके पीले रंग की तरफ मोहित हो जाते हैं और उसमें चिपक जाते हैं और फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते।”
बता दें कि स्टिकी ट्रैप की शीट को चार रंगों में बनाते हैं जिसमें पीला, नीला, सफ़ेद और काला रंग शामिल है। ये सभी कलर कीट और पतंगों को काफ़ी लुभाते हैं। स्टिकी ट्रैप को गांव में ‘शिकारी फंदा’ के नाम से भी जाना जाता है। स्टिकी ट्रैप के इस्तेमाल से 65 से 70 फ़ीसदी रासायनिक कीटनाशकों पर होने वाले खर्च को बचाया जा सकता है।
घर पर स्टिकी ट्रैप बनाने का तरीका
स्टिकी ट्रैप (Sticky trap) को किसान भाई बाज़ार से भी खरीद सकते हैं लेकिन इसको घर पर तो और भी आसानी से बनाया जा सकता है। इसके लिए आप टिन, प्लास्टिक, दफ़्ती, गत्ता, कॉर्ड-बोर्ड या हॉर्ड-बोर्ड के टुकड़ो पर पीला, नीला, सफ़ेद या फिर काला रंग लगाकर उसे सुखा लें फिर उस पर गोंद या फिर ग्रीस का लेप लगा दें। इसकी ऊंचाई करीब डेढ़ फ़ीट लम्बी और एक फ़ीट चौड़ी होनी चाहिए। इसको आप अपने डंडे पर चिपका कर उसको खेत में कई जगह लगा दें। आप अरंडी का तेल (Castor Oil) या फिर मोबिल ऑयल (Mobil Oil) की परत से भी स्टिकी ट्रैप बना सकते हैं। इस तरह स्टिकी ट्रैप बनाने पर सिर्फ़ 15 से 20 रुपये ख़र्च आता है।
स्टिकी ट्रैप लगाते समय सावधानी
स्टिकी ट्रैप लगाने से पहले हाथों को अच्छे से धो लें। तंबाकू या दूसरे रसायनों की गंध स्टिकी ट्रैप को प्रभावित न करें, इस बात का ध्यान रखें। स्टिकी ट्रैप को ऐसी जगह लगाएं, जहां एक साथ ज़्यादा से ज़्यादा कीट नष्ट हो जाएं। 20 से 25 दिन बाद स्ट्रिकी ट्रैप को बदल दें।
फेरोमोन ट्रैप के बारे में भी जाने
फ़िल्म ‘लापता लेडीज़’ की ‘जया’ तो कीट-पतंगों को मारने के लिए सिर्फ एक ट्रिक ही बताती हैं लेकिन ‘किसान ऑफ इंडिया’ आपको कुछ और टिप्स भी बता रहा है। जैसे कि फेरोमोन ट्रैप (Pheromone Trap)। इसकी मदद से किसान फसलों को तबाह कर देने वाली सुंडियो का ख़ात्मा कर सकते हैं। फेरोमोन एक ऐसा केमिकल डिस्चार्ज है जिसे नर सुंडियों को अट्रैक्ट करने के लिए मादा सुंडियां छोड़ती हैं, लेकिन इसकी गंध से नर सुंडियां वहां आती है तो ट्रैप (जाल) में फंस जाती हैं। इससे सुंडियों का प्रजनन चक्र (Reproductive cycle) रुक जाता है और उनसे फसलें सुरक्षित हो जाती हैं। ये इन्वॉयरमेंट प्रोटेक्शन के साथ आपकी फसल के दुश्मनों को सफाचट करने में बेहद कारगर साबित होते हैं।