नयी दिल्ली से वाराणसी के बीच प्रस्तावित हाईस्पीड रेल परियोजना के लिए सर्वेक्षण का काम ज़ोरों पर है। इस प्रोजेक्ट के लिए उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले के कई गाँवों की ज़मीन का अधिग्रहण का काम आगे बढ़ा है। ये गाँव हैं – चैपुला, लोडरपुरा, रमपुरा कौआ, कुदरैल, टिमरूआ, खडैता, बनी हरदू, खरौंगा, नगला चिंता और खरगपुर सरैया। सबसे ज़्यादा ज़मीन चैपुला गाँव की होगी क्योंकि वहाँ हाईस्पीड रेल का एक रेलवे स्टेशन बनेगा। ये जगह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के किनारे होगी।
केन्द्र और राज्य सरकार का संयुक्त उद्यम ‘नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड’ (NHSRCL) इस हाईस्पीड रेल परियोजना की निर्माता है। इसके लिए LiDAR यानी ‘Light Detection And Ranging’ सर्वेक्षण करने का काम दीवाली के बाद शुरू हुआ। उम्मीद है कि अप्रैल तक सर्वे रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। इसके बाद टेंडर वग़ैरह का काम आगे बढ़ेगा।
नियमानुसार मिलेगा मुआवज़ा
कृषि भूमि पर मौजूदा सर्किल रेट से चार गुना और आबादी क्षेत्र में बाज़ार भाव से दोगुना मुआवज़ा देने का नियम है। इस सिलसिले में परियोजना के अफ़सरों और किसानों के बीच समन्वय बैठक हो चुकी है। किसानों का कहना है कि पहले आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे में उनकी ज़मीन चली गयी और अब हाईस्पीड रेल परियोजना में भी जाने वाली है। लिहाज़ा, उन्हें ज़मीन के बदले बेहतर मुआवज़ा और हरेक परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी दी जानी चाहिए।
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भूमिगत और एलीवेटेड होगा ट्रैक
अभी सर्वे टीम की ओर से अधिग्रहण होने वाली ज़मीन, उसके मालिक और परिवार का ब्यौरा तथा आधार नम्बर का रिकॉर्ड बनाया जा रहा है। सर्वेक्षण के तहत पिलर प्वांइट तय किये जा रहे हैं। किसानों की ज़्यादा ज़मीन नहीं लेनी पड़े इसीलिए सतह से 10 मीटर की ऊँचाई पर एलीवेटेड ट्रैक बनाने की योजना है। आबादी वाले क्षेत्रों को पार करने के लिए भूमिगत टैक बनाये जाएँगे।
अधिग्रहण का काम चार चरण में होगा। पहला, सेमिनार और प्रस्तुतिकरण, दूसरा पेपर वर्क, तीसरा अधिग्रहण के लिए खाता खोलना और चौथा दावों और विवाद का निपटारा। उम्मीद है कि साल भर में अधिग्रहण का काम पूरा करके रेलवे ट्रैक का निर्माण शुरू हो जाएगा।
क्या है दिल्ली-वाराणसी हाईस्पीड रेल परियोजना?
दिल्ली के सराय काले ख़ाँ से वाराणसी तक की 816 किलोमीटर की दूरी को हाईस्पीड ट्रेन चार घंटे में तय करेगी। इसके 14 स्टेशन होंगे। इससे नोएडा के जेवर एयरपोर्ट, मथुरा, आगरा, इटावा, कानपुर, लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी और अयोध्या जैसे शहर जोड़े जाएँगे।
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क्या है LiDAR सर्वे तकनीक?
लिडार एक सुदूर सम्वेदी तकनीक है। इसमें प्रकाश की किरणों (लेज़र) के परावर्तन में लगने वाले वक़्त की गणना से किसी स्थान का त्रि-आयामी (3D) मानचित्र तैयार किया जाता है। इसके उपकरणों के विमान में फिट करके उस स्थान की सटीक तस्वीरें बनायी जाती हैं, जहाँ सर्वेक्षण होना है।
इसे ‘लेज़र स्कैनिंग’ या ‘3 डी स्कैनिंग’ तकनीक भी कहते हैं। ऐसे सर्वेक्षणों या निगरानी के लिए जब ध्वनि की तरंगों का भी इस्तेमाल होता है तो उसे सोनार तकनीक कहते हैं। रडार, रेडियो और चिकित्सीय जाँच में इस्तेमाल होने वाले अल्ट्रा साउंड मशीनों में ध्वनि तरंगों के परावर्तन में लगने वाले वक़्त की गणना से तस्वीरें बनायी जाती हैं।