किसान आंदोलन को लेकर कृषि मंत्री एन एस तोमर तथा पीयूष गोयल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं तथा किसान आंदोलन के मुद्दे पर सरकार का पक्ष रख रहे हैं।
जानिए उन्होंने क्या कहा-
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो देश और कृषि को आत्मनिर्भर बनाना पड़ेगा। इसलिए लगातार सरकार कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस बात की कोशिश की जा रही है कि गांव और कृषि आत्मनिर्भर बने, संपन्न बने और देश की संपन्नता में अपना योगदान दे सकें।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीयूष गोयल ने कहा कि किसानों को भ्रमित किया जा रहा है कि नए कृषि कानूनों के लागू होने से मंडी सिस्टम तथा एमएसपी सिस्टम खत्म हो जाएगा, ऐसा कुछ नहीं होगा, वरन किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए ज्यादा विकल्प मिलेंगे।
गोयल ने कहा कि इन कानूनों से किसानों के लिए समस्याएं नहीं होंगी वरन उसे व्यापार करने के लिए नए रास्ते, नई सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है। नए कानूनों में किसानों पर कहीं भी किसी भी प्रकार का कोई प्रतिबंध या निर्देश नहीं लगाया गया है। वरन उसे अतिरिक्त ताकत दी गई है कि वह जहां चाहे, जब चाहे, जिसे चाहे उसे अपनी फसल बेच सकता है। उसे रोकने का अधिकार किसी के पास नहीं है। परन्तु यदि उसे ऐसा कोई करने से रोकता है तो इस कानून में अवश्य उसके लिए प्रावधान किया गया है।
गोयल ने कहा कि नए कानून किसानों के हित में ही बनाए गए हैं। कॉन्ट्रेक्ट खेती में किसान जिस रेट पर फसल बेचता है, अगर उसे उसकी फसल की उससे अधिक कीमत मिलती है तो वह कॉन्ट्रेक्ट तोड़ कर अपनी फसल किसी अन्य को बेच सकता है। उस पर कोई जुर्माना या सजा लागू नहीं होगी। परन्तु यदि कॉन्ट्रेक्टर उसकी फसल खरीदना चाहता है तो उसे किसान को बढ़ी हुई कीमत देनी होगी।
किसान के पास आज अपनी फसल को लेकर हुए मतभेदों को सुलझाने के लिए बहुत कम विकल्प हैं। नए कानूनों के तहत उसे अधिक विकल्प सुझाए जा रहे हैं, वह जिस भी कानून को चाहे, अपने मतभेद सुलझाने के लिए उसे उपयोग ले सकता है। किसान को कहीं भी किसी भी तरह से डरने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा कि किसानों को MSP तथा मंडी सिस्टम खत्म होने से नहीं डरना चाहिए क्योंकि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है।
बिजली के बिल को लेकर भी उन्होंने कहा कि किसानों की एक आपत्ति वर्तमान बिजली बिल पर भी है परन्तु मैं उन्हें आश्वस्त करता हूं कि वर्तमान में जिस तरह उन्हें सब्सिडाइज इलेक्ट्रिसिटी मिल रही है, उसी तरह आगे भी मिलती रहेगी।
किसानों के साथ ही कई वार्ताओं की मीटिंग्स में कुछ मुद्दे स्पष्ट रूप से उभर कर सामने आए जिन पर हमने बात की और सरकार ने किसानों का हित ध्यान रखते हुए इन बिलों में संशोधन की मांग मानने की कही है।
किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए ही सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, फसल बीमा योजना, सोइल कार्ड स्कीम, फार्मर्स पेंशन योजना जैसी कई योजनाएं शुरू की है जिसके जरिए किसानों की आय को दुगुनी करने के लक्ष्य पर ध्यान दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मैं अपने किसान भाईयों और किसान नेताओं से अपील करता हूं कि वे आंदोलन की राह छोड़ बातचीत के लिए आगे आएं और इन तीनों कानूनों को रद्द करने की इकलौती मांग को छोड़ कर आवश्यक संशोधन बताएं ताकि किसानों का भला हो सके।
एमएसपी पर पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि इन कानूनों में MSP का उल्लेख ही नहीं है, न ही उसे किसी भी तरह से प्रभावित करने का प्रयास किया गया है। इसलिए किसानों को निश्चित हो जाना चाहिए। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कोई भी कानून पूरी तरह खराब या बेकार नहीं होता। वरन सरकार का मानना है कि कानून का वह भाग जो किसानों के लिए अहितकर हो, उनका नुकसान करता है, उस पर विचार करने तथा उसे बदलने के लिए सरकार तत्पर है और आगे भी तत्पर रहेगी। इस कानूनों पर चर्चा के लिए सरकार ने सभी रास्ते खोले हुए हैं।
जब तोमर से पूछा गया कि सरकार कब तक किसानों के आंदोलन खत्म होने का इंतजार करेंगे। इस पर तोमर ने कहा कि हमने किसानों को प्रस्ताव दिया था, सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी और अब सरकार अब भी और बाद में भी किसानों के प्रस्तावों पर विचार करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि किसानों से कई दौर की बातचीत के बाद जो मुद्दे सामने आए, उन पर हमने प्रस्ताव रखा। यदि उन पर उन्हें कोई आपत्ति हैं तो हम चर्चा करने को तैयार हैं, यदि किसानों को प्रस्ताव की शब्दावली पर आपत्ति है तो उस पर चर्चा की जा सकती है। परन्तु इसके लिए किसानों को आगे बढ़कर बातचीत करनी होगी।
12 दिसंबर को दिल्ली के हाईवे बंद करने की किसानों की योजना पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए तोमर ने कहा कि हम किसान यूनियनों को पहले भी कह चुके हैं और आज भी कह रहे हैं कि आंदोलन का रास्ता छोड़ कर बात करनी चाहिए। जब तक प्रस्ताव चल रहा है, बात चल रही है, तब तक आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करना ही गलत है। यदि उसे नहीं माना जाए तो अवश्य आंदोलन किया जा सकता है।
सरकार के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज किए जाने तथा किसानों से पुनः बातचीत करने के मुद्दे पर तोमर ने कहा कि सरकार बातचीत के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। किसान संगठनों से सूचना मिलते ही किसी भी समय सरकार बात करने को तत्पर है।
राजस्थान पंचायत चुनावों में भाजपा को मिली सफलता पर बोलते हुए गोयल ने कहा कि इन पंचायत चुनावों ने नए कृषि कानूनों पर कृषकों की स्वीकृति की मोहर लगा दी है। कोई भी कानून जनता की भलाई के लिए ही बनाया जाता है। फिर भी यदि किसी को इन कानूनों में कुछ गलत लगता है तो सरकार उसे सुधारने के लिए भी तैयार है।