आधुनिक खेती (Modern Agriculture): मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले के रहने वाले अखिलेश पांडे ने जब आधुनिक खेती की शुरुआत की थी, तो उन्हें इसके बारे में ज़्यादा कुछ नहीं पता था। रायपुर कर्चुलियान ब्लॉक से आने वाले MBA डिग्री होल्डर अखिलेश मार्केटिंग और मैनेजमेंट के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते थे।
पारिवारिक और व्यक्तिगत समस्याओं के कारण उनका ये सपना अधूरा रह गया। इस बीच उनकी मुलाकात क्षेत्र के ही प्रगतिशील युवा किसान अनीत सिंह से हुई। उनसे मिलने के बाद अखिलेश ने अपने मार्केटिंग और मैनेजमेंट के कौशल को कृषि क्षेत्र में लगाने का फैसला किया। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क किया।
खरीफ़ सीज़न के प्याज की बुवाई की
कृषि वैज्ञानिकों ने खेत की ज़मीन, लागत और अखिलेश के उत्साह को देखते हुए उन्हें खरीफ़ सीज़न के प्याज लगाने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा, अन्य दो हेक्टेयर क्षेत्र में कोइ दूसरी सब्जी उत्पादन का सुझाव दिया। अखिलेश को खरीफ़ प्याज उत्पादन के लिए उन्नत तकनीकें बताई गईं। हर ज़रूरी सामग्री भी उपलब्ध कराई गई।
एग्री फाउंड डार्क रेड प्याज की किस्म लगाई
अखिलेश ने एग्री फाउंड डार्क रेड प्याज की किस्म लगाई। ये किस्म खरीफ़ मौसम के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस आधुनिक खेती में उन्होंने कई उन्नत तकनीकें अपनाईं। 2 हेक्टेयर भूमि में नर्सरी बेड का सौरीकरण, नर्सरी प्रबंधन, रोपाई, ड्रिप सिंचाई, पोषक तत्व प्रबंधन और कई अन्य तकनीकों से लेकर हर तरह की सावधानी बरती।
वैज्ञानिकों की सलाह लेकर किया काम, मिली सफलता
अखिलेश को पहली बार में ही 448 क्विंटल उपज मिली। इससे उन्हें करीबन 5 लाख 37 हज़ार रुपये की आमदनी हुई। खेती की कुल लागत करीब 68 हज़ार रही। यानी कि अखिलेश को लगभग 4 लाख 69 हज़ार रुपये का सीधा मुनाफ़ा हुआ।
अखिलेश ने कहा कि कम वक़्त में छोटे से निवेश के साथ किसी भी व्यवसाय से इतना अच्छा मुनाफ़ा मिलने की उम्मीद नहीं की थी। 120 से 130 दिनों में ही उनकी प्याज की फसल तैयार हो गई। इससे अखिलेश का मनोबल और बढ़ा।
उन्नत तकनीकों को अपनाया
अखिलेश ने खेती में कुछ नया आज़माने की सोची। उन्हें केवीके वैज्ञानिकों ने टमाटर की हाइब्रिड किस्म की खेती करने की सलाह दी। इस सलाह पर भी अमल करते हुए अखिलेश ने 1.2 हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर की हाइब्रिड किस्म एचएमटी 256 की खेती की। ड्रिप सिंचाई, आईएनएम और आईपीएम जैसी खेती की उन्नत तकनीकों को अपनाया। 50 हज़ार रुपये प्रति एकड़ की लागत आई। इससे उन्हें 7.2 लाख रुपये की आमदनी हुई। आज वो अपने क्षेत्र के सफल एग्री-उद्यमी हैं। वो अपनी सफलता का श्रेय आधुनिक तकनीकों, कृषि विज्ञान केंद्र और अपने मार्केटिंग और मैनेजमेंट कौशल को देते हैं।
एग्री फाउंड डार्क रेड की ख़ासियत
एग्री फाउंड डार्क रेड किस्म को नासिक के नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन ने विकसित किया है। ये गहरे लाल रंग की होती है। रोपाई के बाद 95-110 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। ये खरीफ़ सीज़न के लिए सबसे उपयुक्त किस्म है। कम लागत में बेहतर उत्पादन के लिए खरीफ़ के मौसम में एग्री फाउंड डार्क रेड प्याज किस्म किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प है। खेतों में पौधों की रोपाई के तीन महीने बाद ही यह फसल तैयार हो जाती है। किसान प्रति-हेक्टेयर कम से कम ढ़ाई लाख से अधिक का मुनाफ़ा कमा सकते हैं। देशभर के लिए ये किस्म उपयुक्त मानी गई है।