खेती-किसानी से कमाई बढ़ाने में मिश्रित खेती और पॉलीहाउस खेती हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में किसानों ने अपनाई है। पॉलीहाउस यानी ऐसा मज़बूत ढांचा, जिसमें तापमान को अनुकूल करके खेती की जाती है। पॉलीहाउस में साल के 12 माह खेती हो सकती है। ज़ाहिर है, पॉलीहाउस खेती नियमित कमाई करने का बेजोड़ तरीका है। मध्य प्रदेश के सीहोर ज़िले के बरखेड़ी गाँव के रहने वाले वेदप्रकाश दायमा एक ऐसे किसान हैं जो किसी और की ज़मीन पर एक ही खेत में मिश्रित और पॉलीहाउस खेती, दोनों करते हैं।
पॉलीहाउस खेती में बढ़ती है उपज और गुणवत्ता
वेदप्रकाश पॉलीहाउस तकनीक से खेती करने के फ़ायदों का ज़िक्र करते हुए बताते हैं कि इसमें पानी कम लगता है, दवाइयों का छिड़काव कम करना पड़ता है और कुछ सब्जियां ऐसी होती है जो आर्गेनिक तरीके से उगाई जा सकती हैं। पॉलीहाउस में तापमान नियंत्रित करने के लिए पॉलीहाउस की छत पर पानी का फव्वारा मारने वाली मशीन यानि कि फॉगर लगाएं हुए हैं और ज़मीन पर ड्रिप लाइन लगाई हुई है।
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प्रति एकड़ औसत कमाई एक लाख रुपये तक
वेदप्रकाश को इस पॉलीहाउस को बनाने में 25 लाख रुपये की लागत लगी, जिसमें सरकार की ओर से 50 प्रतिशत की सब्सिडी भी मिली। वेदप्रकाश कद्दू की भी खेती करते हैं और उसे भोपाल दिल्ली जैसी बड़ी मंडियों तक पहुंचाते हैं। जब कद्दू की फसल बड़ी हो जाती है तो वेदप्रकाश इसे थोक और खुले बाज़ार में बेच देते हैं। थोक में उन्हें इसका रेट 10 से 15 रुपये तक मिल जाता है और खुले बाज़ार में इसका रेट 20 से 40 रुपये तक है। वेदप्रकाश को कद्दू की खेती करने में प्रति एकड़ 20 से 25 हज़ार रुपये तक की लागत आती है। जब फसल बड़ी हो जाती है, अच्छी पैदावार मिलती है और रेट सही मिलता है तो उन्हें प्रति एक एकड़ से औसतन 1.5 लाख रुपये तक मिल जाते हैं। उनका कहना है कि अभी जिस पॉलीहाउस में वो खेती करते हैं, उसका आकार बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन भविष्य में वो कद्दू को पॉलीहाउस में भी लगाकर ये आजमाएंगे कि कमाई में कितना फर्क आता है।