दाल प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है। ये कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है। तभी तो वर्षों से हमारे देश में दाल-चावल, दाल-रोटी एक साथ खाने की परंपरा है। दालों के उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र का लातूर ज़िला बहुत आगे हैं। लातूर ज़िला देश में सबसे ज़्यादा अरहर उगाता है। इसलिए इसे ‘बाउल ऑफ़ पल्सेस’ यानी ‘दाल का कटोरा’ भी कहा जाता है। हालांकि, यहां के किसान कच्चे अनाज को बहुत ही कम कीमत में बेच देते हैं, जिससे मुनाफ़ा नहीं होता। ज़िले में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम क्षेत्र के पास ही दाल की मिलें हैं, जिससे ग्रामीणों को फ़ायदा नहीं मिलता। इस समस्या के समाधान के लिए जयश्री कोलाटे पाटिल ने अपनी मिनी दाल मिल की शुरुआत की। ऐसे में लातूर ज़िले की महिला किसान जयश्री कोलाटे पाटिल ने मिनी दाल मिल/दाल प्रोसेसिंग यूनिट (Pulse Processing) स्थापित करके न सिर्फ़ अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया, बल्कि अन्य किसानों को भी दाल प्रोसेसिंग के लिए प्रोत्साहित किया।
ट्रेनिंग के बाद की शुरुआत
जयश्री कोलाटे पाटिल ने 2014-15 में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा स्वयं सहायता समूह, महिला किसानों और ग्रामीण युवाओं के लिए आयोजित स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इसके बाद अप्रैल 2015 में इन्होंने एक मिनी दाल प्रोसेसिंग यूनिट (Pulse Processing) स्थापित की। इसके अलावा, कृषि विज्ञान केंद्र के मार्गदर्शन में वह वर्मीकंपोस्ट यूनिट, पोल्ट्री यूनिट और न्यूट्रिशनल गार्डन का भी संचालन कर रही हैं। इससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में काफ़ी सुधार हुआ। उन्होंने ‘सिंगल हॉर्स’ नाम से ब्रांड बनाकर अपनी मार्केटिंग रणनीति तैयार की।
कितनी होती है आमदनी?
आज की तारीख में जयश्री कोलाटे पाटिल को सालाना 7 से 8 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। फसल बेचने से करीब 3 लाख रुपये, मिनी दाल मिल (Pulse Processing) से 3.24 लाख रुपये की कमाई हो रही है। इसके अलावा, पोल्ट्री यूनिट से 60 हज़ार रुपये, वर्मीकंपोस्ट उत्पादन से 5 हज़ार रुपये की आमदनी हो रही है। न्यूट्रिशन गार्डन में उगाई सब्ज़ियों का इस्तेमाल वह अपने लिए करती हैं और बाकी बची सब्ज़ियों को बेच देती हैं, जिससे करीब 20 हज़ार रुपये की सालाना कमाई हो जाती है।
किसानों के लिए बनीं प्रेरणा
जयश्री कोलाटे पाटिल लातूर ज़िले के किसानों के लिए प्रेरणा बन गई हैं। कई किसानों ने अपना एंटरप्राइज़ शुरू करने के लिए इनकी यूनिट्स का दौरा किया। जयश्री पाटिल दाल प्रोसेसिंग पर वोकेशनल ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित करके दूसरे किसानों को भी प्रशिक्षित कर रही हैं। दाल प्रोसेसिंग (Pulse Processing) गतिविधियों की वजह से किसानों के लाल चना और बंगाल चना का बाज़ार मूल्य बढ़ गया है। दिन ब दिन उत्पादित दाल की बिक्री बढ़ रही है। इसलिए उन्होंने उत्पादित दाल की बड़े पैमाने पर बिक्री के लिए कृषि उपज मंडी समिति लातूर में बिक्री काउंटर शुरू किया। जयश्री के साथ चार और लोग काम करते हैं। ये लोग पूरे साल उनके खेत और एंटरप्राइज़ जैसे दाल मिल व पोल्ट्री यूनिट का काम देखते हैं। जयश्री पाटिल की तरह अन्य किसान भी दालों की प्रोसेसिंग से अच्छी कमाई कर सकते हैं, बजाय उन्हें कच्चे अनाज के रूप में बेचने के।
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