खेती-किसानी में लागत के अनुरूप कमाई नहीं होने से किसानों में इससे मुँह मोड़ने की प्रवृत्ति तेज़ी से बढ़ रही है। इसीलिए सरकार खेती को आधुनिक बनाना चाहती है। इस सिलसिले में 14 अप्रैल को केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से आईटी सेक्टर की दिग्गज अमेरिकी कम्पनी माइक्रोसॉफ़्ट के साथ एक समझौता किया है।
समझौते के तहत किसानों के लिए स्मार्ट खेती का ऐसा डिज़ीटल इंटरफेस विकसित किया जाएगा जिससे फसल की कटाई के बाद उसके प्रबन्धन और मार्केटिंग की चुनौतियों का समाधान हो सके।
6 राज्यों के 10 ज़िलों के 100 गाँव
खेती को डिज़ीटल क्रान्ति या इकोसिस्टम से जोड़ने की इस महत्वाकाँक्षी योजना के पायलट प्रोजेक्ट के लिए देश के 100 गाँवों को चुना गया है। ये गाँव देश के 6 राज्यों के 10 ज़िलों में हैं, जो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और आन्ध्र प्रदेश में हैं। भारत में 6 लाख से अधिक गाँव हैं और सबकी अर्थव्यवस्था किसी न किसी तरह की खेती पर ही निर्भर है।
लिहाज़ा, पायलट प्रोजेक्ट अभी छोटी शुरुआत भले ही लगे, लेकिन इससे मिलने वाले अनुभवों से ही भविष्य के लिए दिशा मिलेगी।
ये भी पढ़ें – MSP को DBT से जोड़ने की योजना पंजाब समेत पूरे देश में लागू
किसानों का पर्याप्त डाटाबेस मौजूद है
इस मौक़े पर तोमर ने कहा कि सरकार पारदर्शी ढंग से प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत सालाना 6000 रुपये किसानों के बैंक खातों में सीधे जमा करा रही है। मनरेगा के भी क़रीब 12 करोड़ जॉब कार्ड धारकों को सीधे उनके बैंक खातों में मज़दूरी भेजी जा रही है। इसका सारा डेटा आज सरकार के पास है। इसके अलावा सरकार के पास 50 लाख से अधिक किसानों का सत्यापित डेटाबेस भी है, जिसकी मदद से माइक्रोसॉफ़्ट किसानों की मदद करने का मॉडल विकसित करेगी।
कृषि मंत्री ने किसानों और खेती को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के ख़राब दौर में भी किसानों ने रिकॉर्ड उत्पादन किया। किसानों ने बेहद चुनौतीपूर्ण हालात में भी देश में अन्न की कोई कमी नहीं होने दी और वो अर्थव्यवस्था की ताक़त बनकर डटे रहे।
तोमर ने कहा कि खेती का कोई भी नुक़सान देश का नुक़सान है। इसलिए प्रधानमंत्री हमेशा किसानों के हितों के प्रति संवेदनशील रहते हैं। यही वजह है कि छोटे और सीमान्त किसानों तथा खेतीहर मज़दूरों का जीवन बेहतर बनाने के लिए अभी जितनी लाभकारी योजनाएँ चल रही हैं, उतनी योजनाएँ पहले कभी नहीं रहीं।