देश में बनाए जाएंगे दस हजार FPO, किसानों को होंगे ये बड़े फायदे

6800 करोड़ रुपए खर्च कर 10,000 एफपीओ बनाए जाएंगे जिनके लिए 400 जिलों में निगरानी व समन्वय समितियां गठित की जाएंगी और इनके माध्यम से देश के किसानों को अधिकाधिक फायदा पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।

FPO - Indian Farmer

देश में 10,000 नए कृषक उत्पादक संगठन (FPO) बनाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। 35 राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों ने राज्य स्तरीय समन्वय समिति बना ली है, वहीं 400 जिलों में भी निगरानी एवं समन्वय समितियां (DMC) का गठन हो गया है। अभी तक 411 उत्पाद क्लस्टरों का प्रमाणन कर दिया गया है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा स्कीम की समीक्षा के दौरान यह जानकारी दी गई।

तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर किसानों को संगठित करने पर है, ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें। हरेक ब्लाक में कम से कम एक एफपीओ बनाया जाएगा। किसानों के लिए सुविधाएं जुटाने को लेकर पूरी स्कीम पर लगभग 6800 करोड़ रू. खर्च होंगे।

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कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किए जाएंगे प्रयास

भारत सरकार ने देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक कदम उठाए है, इसी के तहत कृषि क्षेत्र को भी आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। 10 हजार नए एफपीओ बनाने की योजना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि निश्चित ही 10,000 FPO का निर्माण भारत के किसानों को एक नया आयाम प्रदान करेगा तथा भारतीय कृषि को पूर्ण रूप से सक्षम एवं लाभवर्धक बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।

अब तक 6,455 एफपीओ बनाए जा चुके हैं

बैठक में बताया गया कि देश में अभी तक 6,455 एफपीओ विभिन्न स्कीमों में बनाए जा चुके है। इनमें शीर्ष 5 राज्य- महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश है। केंद्रीय क्षेत्र की 10 हजार नए एफपीओ बनाने की स्कीम की प्रगति पर बताया गया कि कार्यान्वयन एजेंसियों के समग्र समन्वय व आवंटन क्लस्टरों हेतु परियोजना प्रबंधन सलाहकार व निधि मंजूरी समिति की 4 बैठकें हो चुकी है।

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योजना में स्माल फार्मर्स एग्रीबिजनेस कंर्सोटियम (SFAC), राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) के अलावा भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी संघ विपणन संघ (NAFED), वाटरशेड डेवलपमेंट विभाग (WDD)-कर्नाटक, SFAC-हरियाणा, SFAC-तमिलनाडु, नार्थ-ईस्टर्न रीजनल एग्रीकल्चरल मार्केटिंग कार्पोरेशन (NERAMC), नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन (NRLM), इंटीग्रेटेड न्यूट्रिएन्ट मैनेजमेट (INM) डिवीजन व तिलहन डिवीजन को कार्यान्वयन एजेंसियों के रूप में मंजूरी दी गई है। इनके द्वारा नियुक्त ‘क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (CBBO)’ के विशेषज्ञ एफपीओ को विकसित करेंगे।

450 क्लस्टरों को किया चिन्हित

एफपीओ के लिए क्रेडिट गारंटी फंड बनाने की कार्यवाही भी प्रारंभ हो गई है। एजेंसियों को मंत्रालय द्वारा फंड जारी किया जा रहा है। वर्ष 2020-21 के दौरान एजेंसियों को 2,200 एफपीओ के गठन का लक्ष्य दिया गया है। एजेंसियों ने क्लस्टरों की पहचान भी कर ली है। वर्ष 2020-21 के लिए एजेंसियों ने एफपीओ के गठन हेतु अभी तक 1,581 ब्लॉक चिन्हित कर लिए हैं। एसएफएसी ने 28 राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र के 238 जिलों में 450 क्लस्टरों को चिन्हित किया है, जिनमें 84 आकांक्षी जिलों में एवं 9 ट्राइबल जिलों में है।

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नाबार्ड ने 83 जिलों में 95 क्लस्टरों को चिन्हित किया, जिनमें से 21 आकांक्षी जिलों में है। नेफेड ने 28 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के 238 जिलों में 450 क्लस्टरों को चिन्हित कर लिया है, इनमें 84 आकांक्षी जिलों तथा 9 ट्राइबल जिलों में है।एनसीडीसी ने 26 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के 101 जिलों में 445 क्लस्टरों को चिन्हित किया है। डब्ल्यूडीडी-कर्नाटक ने कर्नाटक में 28 जिलों को चिन्हित किया है, इनमें 5 आकांक्षी जिलों में है।

प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण की कवायद भी तेजी से चल रही है। बैंकर्स इंस्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट (बीआईआरडी), लखनऊ को लक्ष्मण राव इमानदार नेशनल एकेडमी फार कोआपरेटिव रिसर्च एंड डेवलपमेंट (LINAC), गुरुग्राम के साथ नोडल संस्थान के रूप में चिन्हित किया गया है। प्रेजेंटेशन, वीडियो प्ले व एमओओसी के माध्यम सेप्रशिक्षण एवं ई-मॉड्यूल को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

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