दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच आई यह खबर चौंकाने वाली है। पंजाब और हरियाणा के किसान नए कृषि कानूनों के बाद फसलों के जिस न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के खत्म हो जाने की आशंका को लेकर सडक़ों पर हैं, वह किसान एमएसपी का लाभ उठाने वालों में मध्य प्रदेश के किसानों से पीछे हैं।
जबकि नए कृषि कानूनों लेकर पंजाब और हरियाणा जैसी नाराजगी मध्य प्रदेश के किसानों में देखने को नहीं मिली है। दूसरी बात, देश के लगभग 14 करोड़ किसान परिवारों में से कम ही एमएसपी पर अपनी फसलें बेच पाते हैं।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020-21 में रबी फसल की खरीद पर 31 जुलाई तक देश में सिर्फ 43 लाख 35 हजार 477 किसान ही न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठा सके। इनमें सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश के 15 लाख 93 हजार 793 किसान थे। इस दौरान देश में कुल 389.77 लाख मीट्रिक टन अनाज की खरीद की गई। भारत में हर साल करीब 30 करोड़ टन खाद्यान्न की पैदावार होती है।
गेहूं के उत्पादन में पिछड़ा पंजाब
रबी की मुख्य फसल गेहूं पैदा करने के मामले में पंजाब मध्य प्रदेश से पिछड़ गया। यही कारण रहा कि इस बार पंजाब के किसान एमएसपी का लाभ उठाने में दूसरे नंबर पर फिसल गए। पंजाब के 10 लाख 49 हजार 982 किसानों ने रबी की फसल MSP पर बेची यानी मध्य प्रदेश के किसानों की तुलना में लगभग 5 लाख कम।
यूपी चौथे नंबर पर
हरियाणा के 7 लाख 82 हजार 240 जबकि उत्तर प्रदेश के सिर्फ 6 लाख 63 हजार 810 किसानों ने ही MSP का लाभ उठाया। राजस्थान के 2 लाख 18 हजार 638 किसान ही अपनी फसल सरकारी कीमत पर बेच सके।