कई महीनों से उगाई गई फसल पर जब मौसम की मार पड़ती है, तो किसान का दिल टूट जाता है। प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, बेमौसम बारिश, भारी वर्षा और सूखा पड़ने का सबसे ज़्यादा असर किसानों की फसल पर ही पड़ता है। खेत को जोतने में लगाई गई जमा पूंजी बर्बाद हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में किसान अपने आप को असहाय महसूस करते हैं।
प्राकृतिक आपदा की वजह से किसान को होने वाले इस तरह के नुकसान की भरपाई करने के लिए गुजरात सरकार मुख्यमंत्री किसान सहाय योजना चला रही है। इस योजना में नुकसान झेलने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सहायता राशि दी जाती है। प्रदेश के लगभग 56 लाख किसानों को इस योजना का लाभ देने का लक्ष्य है।
कितनी सहायता राशि
अगर किसान को नुकसान 33 फ़ीसदी से 60 फीसदी तक होता है तो उसे 20 हज़ार रुपए प्रति हेक्टेयर की राशि दी जाती है। अगर नुकसान 60 प्रतिशत से ज़्यादा का है तो सहायता राशि 25 हज़ार तय है। अधिकतम चार हेक्टेयर तक के लिए ये सहायता राशि दी जाती है।
कौन उठा सकते हैं इस योजना का लाभ
राज्य के केवल मान्यता प्राप्त किसान ही इस योजना का लाभ ले सकते हैं। साथ ही वन अधिकार अधिनियम के तहत पंजीकृत वन किसानों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा।
आवेदन करने हेतु ज़रूरी दस्तावेज
मुख्यमंत्री किसान सहाय योजना के लिए पंजीकरण करने वक़्त आवासीय प्रमाण पत्र, पहचान प्रमाण पत्र, बैंक खाते का विवरण देना होगा। आवेदक को आधार कार्ड, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र जैसे दस्तावेज दिखाने होंगे। साथ ही आवेदक मान्यता प्राप्त किसान है, इससे संबंधित 8-ए अकाउंट के दस्तावेज भी जमा करने होंगे। साथ ही बैंक की सही डीटेल भी देनी होगी क्योंकि इस योजना का लाभ किसानों को सीधा DBT यानि डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर के माध्यम से दिया जाएगा।
योजना के लिए कैसे करें आवेदन
किसानों को इस योजना के लिए कोई अन्य पंजीकरण शुल्क नहीं देना होगा। आवेदकों की डाटा एंट्री का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। आवेदन के लिए किसान को नज़दीकी ई-ग्राम केंद्र पर जाना होगा, जहां आपको अपनी पासपोर्ट साइज़ की फ़ोटो के साथ ज़रूरी दस्तावेज पेश करने होंगे। साथ ही योजना का लाभ आसानी से किसानों तक पहुंच सके, इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की भी व्यवस्था की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा किसानों की मदद के लिए इस योजना को आने वाले खरीफ़ सीजन में अब लागू किया जाएगा।
कैसे तैयार की जाती है लाभार्थियों की सूची
सबसे पहले राज्य के जिला कलेक्टर ऐसे गांवों की सूची तैयार करते हैं जहां की फसलों को सूखे, भारी बारिश या गैर-मौसमी वर्षा के कारण नुकसान पहुंचा हो। इसके बाद ये सूची राजस्व विभाग के साथ साझा की जाती है और एक विशेष सर्वेक्षण टीम फसलों को कितना नुकसान पहुंचा है, इसकी समीक्षा करती है। समीक्षा करने के बाद जिला विकास अधिकारी द्वारा साइन की गई लाभार्थी किसानों की सूची जारी होती है।