National Bamboo Mission: देश के किसानों के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन, जानिए योजना, सब्सिडी और लाभों के बारें में

भारत सरकार के राष्ट्रीय बांस मिशन योजना (National Bamboo Mission) के अंतर्गत किसानों को बांस की खेती के लिए 50 हजार रुपये की सब्सिडी मिलती है।

राष्ट्रीय बांस मिशन

बांस अपनी बहुपयोगिता के कारण भारत समेत दुनियाभर में हर घर में किसी न किसी रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आपको बता दें कि चीन के बाद बांस की खेती (Bamboo farming) के मामले में भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है। पिछले कई दशकों में घरों को बनाने में बांस का इस्तेमाल होता आया है। आज के वक्त में भी गांवों और समुद्र के किनारे बनी बस्तियों में भी बांस से ढ़ाचा बनाया जाता है। वहीं तब खूंटी, लाठी, डंडा, चचरा वगैरह तैयार करने के लिए भी बांस का ही इस्तेमाल किया जाता था।

बांस से कई तरह के फर्नीचर भी तैयार किये जाते हैं। जिसके अच्छे दाम मिलते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में ये देखा गया है कि किसानों का बांस की खेती (Bamboo farming) से मन हट रहा है। बांस की खेती की तरफ दोबारा से आकर्षित करने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय बांस मिशन योजना (National Bamboo Mission) लेकर आई है। जिसके तहत बांस की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission)

भारत के कई राज्यों के किसान बंजर भूमि या मौसम की मार से परेशान रहते हैं। ऐसे में बांस की खेती (Bamboo farming) उनके लिए वरदान साबित हो सकती है। बांस की खेती के लिए सबसे अहम बात ये है कि बांस के पौधों के लिए किसी तरह की खास उपजाऊ ज़मीन की ज़रूरत नहीं होती है।  राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) के अनुसार, देश में इस वक्त 136 बांस की प्रजातियां हैं जिनकी खेती होती है। इनमें से 125 स्वदेशी और 11 विदेशी प्रजातियां शामिल हैं। 

भारत सरकार के बांस मिशन योजना (National Bamboo Mission) के अंतर्गत किसानों को बांस की खेती के लिए 50 हजार रुपये की सब्सिडी मिलती है। वहीं छोटे किसान को एक पौधे पर 120 रुपये की सब्सिडी दी जाती है। कृषि मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, भारत हर साल 13.96  मिलियन टन बांस का उत्पादन करता है।      

सामाजिक, वाणिज्यिक और आर्थिक लाभ के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, कर्नाटक, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) लागू है। 

भारत में बांस उत्पादन (Bamboo production in India)

भारत में सर्वाधिक क्षेत्र (13.96 मिलियन हेक्टेयर) पर बांस की खेती (Bamboo Farming) हो रही है। भारत में बांस की 136 विविध प्रजातियों (125 स्वदेशी और 11 विदेशी) की खेती की जाती है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM) को साल 2018-19 के दौरान शुरू किया गया था। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की ओर से  पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) को मंजूरी दी गई थी।

इस मिशन का उद्देश्य क्षेत्र-आधारित, क्षेत्रीय रूप से रणनीति अपनाकर बांस क्षेत्र का संपूर्ण विकास करना और बांस की खेती और व्यापार के तहत इसमें आगे बढ़ना है। राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) को राज्य नोडल विभाग के ज़रीये से पालन किया जा रहा है।  इस मिशन ने ख़ासतौर पर बांस क्षेत्र की पूरी वैल्यू चेन के विकास पर क्लस्टर व्यू मोड पर अपना फोकस रख रहा है। 

राष्ट्रीय बांस मिशन का उद्देश्य (Purpose of National Bamboo Mission)

  1. राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) का उद्देश्य गैर-वन भूमि में बांस की खेती के तहत क्षेत्र को बढ़ाना है, जिससे कृषि आय में बढ़ोत्तरी हो सके और जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन और उद्योगों की ज़रूरत के अनुसार गुणवत्तापूर्ण कच्चा माल मिल सके। 
  2. उत्पादन के सोर्स के पास नई और प्राथमिक बांस प्रौद्योगिकी इकाइयों की स्थापना, बांस के पौधे का शुरूआती उपचार और संशोधन, संरक्षण प्रौद्योगिकी और बाज़ार  के माध्यम से कटाई के बाद के प्रबंधन में सुधार करना।
  3. बाजार की मांग को देखते हुए सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर पर अनुसंधान और विकास करना। बिजनेस मॉडल की मदद से उत्पाद के विकास को और बढ़ावा देना इसमें शामिल है। 
  4. देश में गिरते बांस उद्योग को दोबारा से जिंदा करना राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) का उद्देश्य है।  
  5. बांस की खेती (Bamboo Farming) को बढ़ावा, कॉमन फैसिलिटी सेंटर खोलना और इसके ज़रीये उत्पादों की बड़ी श्रृंखला व बाजार को तैयार करना। ये सारे काम राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) नेशनल बैम्बू मिशन के लिए काफी कारगर साबित हो रहे हैं। 
  6. वर्तमान में राष्ट्रीय बांस मिशन में (National Bamboo Mission) बांस के बागानों को बढ़ाने के साथ-साथ सरकारी एजेंसियों और निजी उद्यमियों के लिए बायो एनर्जी, एक्टिव कार्बन उत्पाद, चारकोल बनाने, गोली बनाने, इथेनॉल गैसीफायर वगैरह के लिए इकाइयां स्थापित की गई है। 

राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) का महत्त्व 

  1. राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) में संसाधनों के उपयोग से कई रास्ते खुल गये हैं। जिससे  चरणबद्ध तरीकों से परिवर्तन देखा जा रहा है। 
  2. बांस पौधों का एक बहुमुखी समूह है जो लोगों को पारिस्थितिकी (Ecology) और रोज़ी-रोटी संबंधी सुरक्षा मुहैया कराने की ताकत रखता है। 
  3. बता दें कि कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के केम्पागौड़ा एयर पोर्ट के नए टर्मिनल में भी बांस के जरीये वास्तुशिल्प को तैयार किया गया है। जो इको फ्रेंडली का नायाब रूप है। बांस को ‘हरित इस्पात’ के रूप में भी परिभाषित किया गया है।
  4. निर्माण क्षेत्र में भी बांस का इस्तेमाल डिजाइन तैयार करने और संरचनात्मक तरीके से उपयोग में भी काम आता है।  
  5. बांस प्लास्टिक को रिप्लेस कर सकता है। जहां पर प्लास्टिक का उपयोग किया जाता हैं वहां पर बांस का इस्तेमाल हो सकता है। बांस अपनी तेज पैदावार और विकास दर व प्रचुरता की वजह से इथेनॉल और जैव-ऊर्जा उत्पादन के लिये एक विश्वसनीय स्रोत है।
  6. बांस आधारित लाइफस्टाइल उत्पादों, कटलरी, घरेलू सजावट, हस्तशिल्प और सौंदर्य प्रसाधनों का बाज़ार भी विकास के रास्ते पर है।

राष्ट्रीय बांस मिशन योजना का लक्ष्य (Target of National Bamboo Mission Scheme)

  1.  ये किसानों, सरकारी एजेंसियों, कारीगरों, उद्यमियों, निजी एजेंसियों, संघीय एसएचजी, एफपीओ और बांस उद्योग में शामिल दूसरे लोगों की मदद करेगा।
  2.  ये उद्योगों के लिए बांस की नर्सरी, बांस की खेती, कटाई के बाद प्रसंस्करण (Processing), उत्पाद निर्माण (Product Creation), क्षमता निर्माण (Capacity building), उद्यमिता (Entrepreneurship) को स्थापित करने में मदद करेगा
  3. ये बांस और बांस से बने उत्पादों की मांग को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भरता बनने में मददगार होगा।

राष्ट्रीय बांस मिशन योजना का लाभ लेने के लिए पात्रता (Eligibility of National Bamboo Mission Scheme)

राष्ट्रीय बांस मिशन योजना पूरे भारत के सभी किसानों के लिए एक समान लागू की गई है। 

राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया (Online Application Process for National Bamboo Mission Scheme)

 स्टेप1: अपने संबंधित पोर्टल/ऑफ़लाइन https://nbm.nic.in/ के माध्यम से राज्य बांस मिशन में अप्लाई  करें

 स्टेप 2: एसबीएम चेक और अप्रूवल 

 स्टेप 3: शिड्यूल/कमार्शियल बैंकों के ज़रीये से से लोन के लिए अप्लाई करना

 स्टेप4: परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्टिंग/पूरा होना

 स्टेप5: एसबीएम द्वारा मूल्यांकन और लाभार्थी के बैंक खाते में सब्सिडी का वितरण

राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के लिए ज़रूरी दस्तावेज (Documents required for National Bamboo Mission Scheme)

  1. आधार नंबर 
  2.  ज़मीन के कागज़ 
  3.  जाति प्रमाण पत्र (केवल एससी/एसटी)
  4. फोन नंबर 
  5.  बैंक विवरण
  6. फोटो
  7. डीपीआर

योजना का का फायदा लेने के लिए ख़ास दस्तावेज राज्य के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। पूरी जानकारी के लिए संबंधित अधिकारी से जानकारी ले सकते हैं। 

राष्ट्रीय बांस मिशन को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently asked questions about National Bamboo Mission)

सवाल1- राष्ट्रीय बांस मिशन क्या है ?

जवाब- बांस की खेती के लिए किसानों को आकर्षित करने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय बांस मिशन योजना (https://nbm.nic.in/) लेकर आई है। जिसके तहत बांस की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

सवाल2-  भारत में बांस की कितनी प्रजातियां पाई जाती हैं?

जवाब- देश में इस वक्त 136 बांस की प्रजातियां हैं जिनकी खेती होती है। इनमें से 125 स्वदेशी और 11 विदेशी प्रजातियां शामिल हैं। 

सवाल3- राष्ट्रीय बांस मिशन की शुरूआत कब हुई?

जवाब- केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM) को साल 2018-19 के दौरान शुरू किया गया था। 18 सिंतबर को राष्ट्रीय बांस दिवस मनाया जाता है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की ओर से  पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन को मंजूरी दी गई थी।

सवाल4- राष्ट्रीय बांस मिशन का उद्देश्य क्या है?  

जवाब- इस मिशन का उद्देश्य क्षेत्र-आधारित, क्षेत्रीय रूप से रणनीति अपनाकर बांस क्षेत्र का संपूर्ण विकास करना और बांस की खेती और व्यापार के तहत इसमें आगे बढ़ना है। 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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