किसान आंदोलन: 25 नवंबर 2020 से विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली-हरियाणा के सिंघू बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर, दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले कुछ किसान संगठन तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर डटे हुए हैं।
इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी कर किसानों के विरोध प्रदर्शन पर रिपोर्ट मांगी है।
आवाजाही पर असर, कंपनियों को भारी नुकसान
NHRC ने कहा कि किसान आंदोलन से संबंधित कई शिकायतें उन्हें मिली हैं। इन शिकायतों के अनुसार, किसान आंदोलन से 9 हज़ार से अधिक बड़ी, मंझोली और छोटी कंपनियों को भारी नुकसान पहुंचा है। इन इंडस्ट्रियल यूनिट्स के अलावा परिवहन की आवाजाही पर भी असर पड़ा है, जिस वजह से यात्रियों, रोगियों, शारीरिक रूप से विकलांग लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को सड़कों पर होने वाली भारी भीड़ के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है।
आंदोलन में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन न करने का आरोप
NHRC ने कहा कि अन्नदाताओं के आंदोलन की वजह से प्रदेश की बॉर्डर पर लगाए जाने वाले बैरिकेड्स के कारण लोगों को समस्या उठानी पड़ रही है। उन्हें एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए घूमकर जाना पड़ता है। लंबी दूरी तय करने की वजह से उनका समय बर्बाद होता है।
किसान के आंदोलन को लेकर खबरें हैं कि किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो रहा। कई जगह सख्त नाकाबंदी होने के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे। ये हालात अभी भी बदस्तूर जारी है।
विभिन्न राज्यों को नोटिस जारी
NHRC ने 10 अक्टूबर, 2021 तक इस मामले में आर्थिक विकास संस्थान (IEG) से औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों/उत्पादन पर किसानों के आंदोलन के प्रभाव पर व्यापक रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority), गृह मंत्रालय (Ministry of Home) और स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) और भारत सरकार को विभिन्न पहलुओं पर किसानों के आंदोलन के प्रतिकूल प्रभाव और विरोध स्थलों पर कोविड प्रोटोकॉल के पालन से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
धरना स्थल पर मानवाधिकार कार्यकर्ता के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के मामले में डीएम झज्जर से मृतक के परिजनों को मुआवजे के भुगतान के संबंध में कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई थी। डीएम झज्जर को 10 अक्टूबर, 2021 तक इस मामले में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क, दिल्ली विश्वविद्यालय से अनुरोध किया है कि वे सर्वेक्षण करने के लिए टीमों को नियुक्त करें और किसानों द्वारा लंबे समय तक आंदोलन के कारण आजीविका, लोगों के जीवन, वृद्ध और कमजोर व्यक्तियों पर प्रभाव का आकलन करने के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
हालांकि, NHRC ने ये भी कहा कि आंदोलन में मानव अधिकारों का मुद्दा शामिल है, इसके चलते शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने के अधिकार का भी सम्मान किया जाना चाहिए।