45 नए ट्रेनिंग माड्यूल्स (New Training Modules): केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar ) ने मंगलवार को सहकार प्रज्ञा का अनावरण किया।
सहकार प्रज्ञा के 45 नए ट्रेनिंग माड्यूल्स से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) द्वारा लक्ष्मणराव इनामदार राष्ट्रीय सहकारिता अनुसंधान एवं विकास अकादमी (लिनाक) के साथ देश के ग्रामीण क्षेत्रों की प्राथमिक सहकारी समितियों में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इस अवसर पर तोमर ने आव्हान किया कि गांव-गरीब-किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में सहकारिता का क्षेत्र सेतु की भूमिका निभाएं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सहकारिता, देश की वर्तमान आवश्यकता के अनुसार बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसकी व्यापकता है। देश को सशक्त बनाने के लिए सहकारिता का भाव समाज में रहना अत्यंत आवश्यक है। समाज में सहकार का भाव होने पर सहकारिता अपने-आप ही मजबूत हो जाती है। ट्रेनिंग प्रोग्राम की जरूरत इसीलिए पड़ती है, जिससे कि समाज में सहकार का भाव प्रगाढ़ हो सकें। हमारी कोशिश होना चाहिए कि एक साल में कम से कम पांच हजार लोगों को सहकारिता का प्रशिक्षण दिया जाए।
तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का लक्ष्य रहा है कि ग्रामीण व कृषि क्षेत्र में अधिकाधिक काम हो व बजट का ज्यादा से ज्यादा पैसा इन क्षेत्रों में उपयोग हो, ताकि ग्रामीणों के जीवनस्तर में बदलाव आए एवं किसानों की आय दोगुनी हो सकें। कोविड संकट के दौरान जहां समूची अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, वहीं हमारी ग्रामीण तथा कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ने देश को पूरी ताकत के साथ खड़ा रखा।
भारत में कृषि क्षेत्र व गांव-गरीब, ये हमारे देश की रीढ़ है। कार्यक्रमों के माध्यम से इसे जितना सशक्त करने की कोशिश की जाएगी, उतना ही चुनौतियों का सामना करते हुए हम उन पर विजय प्राप्त कर पाएंगे। पंच-सरपंच, पंचायत सचिव, रोजगार सहायक, आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्व-सहायता समूह इन सबने कोरोना संकट के दौरान अपनी पूरी जिम्मेदारी बखूबी निभाई, इनकी जितनी तारीफ की जाएं, कम है। यहीं भाव बनाए रखना है और सहकारिता से इसे मजबूत करना है।
उन्होंने कहा कि देश में 2.53 लाख से अधिक ग्राम पंचायतें है, जिनके माध्यम से भारत सरकार ने गांवों में मौलिक सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम किया है। हर घर में शौचालय, बिजली-पानी, रसोई गैस इत्यादि सुलभ हो, यह सुनिश्चित करने का काम सरकार द्वारा किया जा रहा है। कृषि क्षेत्र की गैप्स भरी जा रही है।
देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान है, जो खुद खेती में निवेश नहीं कर सकते है, उनके लिए गांव-गांव तक कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं विकसित करने पर सरकार ध्यान दे रही है, ताकि किसान अपनी उपज कम दाम पर बेचने को विवश नहीं हो। सहकारिता रूपी ब्रिज को माध्यम बनाकर किसान जीवन को सार्थक बना सकता है, अपना जीवन स्तर ऊंचा उठा सकता है। यह प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि एनसीडीसी ने 1.58 लाख करोड़ रू. सहकारिता के माध्यम से दिए हैं। केंद्र सरकार अनेक योजनाएं लाईं हैं, जिनमें 6,850 करोड़ रू. के फंड के साथ एफपीओ स्कीम भी शुरू की गई है। इसमें एफपीओ 2 करोड़ रू. तक का लोन ले सकते हैं, जिस पर उन्हें ब्याज सब्सिडी भी दी जाएगी। आत्मनिर्भर भारत अभियान में घोषित विभिन्न पैकेजों पर अमल प्रारंभ हो चुका है।
1 लाख करोड़ रू. के कृषि इंफ्रा फंड सहित अन्य पैकेजों का पैसा नीचे तक पहुंचेगा, जिससे किसानों को काफी लाभ मिलेगा, वहीं नए कानूनों से भी किसानों को फायदा होगा। इन सबके साथ ही गांव-गरीब-किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में सहकारिता की इस ट्रेनिंग का निश्चित रूप से बहुत योगदान रहेगा, ऐसा विश्वास है।
नए ट्रेनिंग मॉड्यूल्स में किसान प्रतिनिधियों, पंचायत स्तरीय अधिकारियों, सीबीबीओ कर्मचारियों, ब्लॉक व जिला स्तरीय अधिकारियों, युवाओं, महिलाओं, प्राथमिक सहकारी समितियों के कर्मचारियों आदि को प्रशिक्षित किया जाएगा। इन प्रशिक्षण मॉड्यूल्स के अंतर्गत इन क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा-
व्यवसाय / उद्यम के रूप में कृषि, युवाओं के लिए सहकारी समितियों के गठन संबंधी कार्यक्रम
- सहकारी उद्यमों के लिए व्यावसायिक योजनाओं का गठन
- प्राथमिक स्तरीय सहकारिता हेतु व्यवसाय विकास एवं संपत्ति प्रबंधन
- लेखा तथा बही खाता
- कृषि उत्पाद व्यवसाय तथा पेरिशबल बिजनेस का प्रसंस्करण
- सहकारिता के उत्पादों का ई-विपणन
- सहकारिताओं के लिए खाद्य सुरक्षा
- भंडारण अवसंरचना संचालन
- शीतगृह श्रंखला अवसंरचना संचालन
- फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर बिजनेस
- सजावटी मछली
- समुद्री खरपतवार व बत्तख पालन व्यवसाय
- मधुमक्खी प्रसंस्करण
- मसाला प्रसंस्करण व नारियल प्रसंस्करण व्यवसाय
- कस्टम हायरिंग सेंटर का प्रबंधन आदि।