संकट के समय भी कृषि और ग्रामीण अर्थ व्यवस्था सीना तानकर खड़ी रही: तोमर

उन्होंने कहा कि सरपंचों को अपने गांव में भौतिक अधोसंरचना के निर्माण पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए। गांव में सड़क-नाली का निर्माण तो होना ही चाहिए, लेकिन सरपंचों को गांव के समग्र विकास पर फोकस करना चाहिए।

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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, पंचायती राज, ग्रामीण विकास और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि एवं ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था हमारे देश का बड़ा आधार है। देश में ढाई लाख से ज्यादा ग्राम पंचायतों के माध्यम से सशक्त लोकतांत्रिक व्यवस्था का संचालन किया जा रहा है।

देश में मुगल आए, अंग्रेज आए लेकिन हमारे गाँवोँ की व्यवस्था को क्षति नहीं पहुंचा पाए। कोविड-19 के संकट काल में भी जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, देश के कल-कारखाने बंद हो गए, लेकिन हमारी ग्रामीण और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था सीना ताने खड़ी रही। केंद्रीय मंत्री तोमर ने यह बात शुक्रवार को एमआईटी वर्ल्डपीस विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित द्वितीय राष्ट्रीय सरपंच संसद में मुख्य अतिथि के रूप में कही।

उन्होंने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का संकल्प लिया है। गांव जब सशक्त होकर आत्मनिर्भर बनेंगे तभी देश आत्मनिर्भर बन सकेगा, इसलिए हमें अब गांवों के सशक्तिकरण के साथ ही उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में तेजी से कार्य करना है।

तोमर ने सरपंचों को संबोधित करते हुए कहा कि पंचायत एक सशक्त और अधिकार संपन्न संस्था है। देश में जो भूमिका प्रधानमंत्री की होती है, प्रदेश में मुख्यमंत्री की होती है, ग्राम पंचायत में वही भूमिका सरपंच की होती है। उन्होंने कहा कि सरपंचों को अपने गांव में भौतिक अधोसंरचना के निर्माण पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए।

गांव में सड़क-नाली का निर्माण तो होना ही चाहिए, लेकिन सरपंचों को गांव के समग्र विकास पर फोकस करना चाहिए। गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, टीकाकरण, पोषण आहार वितरण के साथ-साथ कृषि से जुड़ी सारी योजनाओं का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन हो इसकी जिम्मेदारी भी सरंपचों को निभाना चाहिए। गांव में बच्चों को खेलने के लिए मैदान मिले, गांव में सामुदायिक भावना के साथ भाईचारा बना रहे इस पर सरपंचों को काम करना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 13 वें वित्त आयोग के दौरान पांच वर्ष के लिए देश की ढाई लाख पंचायतों को 65 हजार करोड़ रूपए प्राप्त हुए थे, जबकि नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद चौदहवें वित्त आयोग के तहत विगत पांच वर्षों में दो लाख करोड़ से ज्यादा धनराशि ग्राम पंचायतों के पास पहुंची है।

पंद्रहवें वित्त आयोग की अंतरिम अनुशंसाओं के तहत वर्तमान वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 60 हजार करोड़ रुपए पंचायतों को जारी किए गए हैं। ज्यादा धनराशि से गांवों में तेजी से विकास हो रहा है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारी भरकम धनराशि गांवों में पहुंची रही है, अब इसका सदुपयोग पारदर्शिता और योजनाबद्ध तरीके से हो इसके लिए भी सरंपचों को जिम्मेदारी निभाना है।

तोमर ने कहा कि प्रत्येक सरंपच को अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में गांव में पांच समस्याएं चिन्हित कर उन्हें समाप्त करने की दिशा में काम करना चाहिए। एक वर्ष में एक कार्य को हाथ में लेकर उस पर काम किया जाए तो सही तरीके से कार्य पूर्ण हो सकेगा।

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