जानिए कैसे बनी पप्पामल अम्मा जैविक खेती की महागुरु,109 साल की उम्र में निधन

पद्मश्री से सम्मानित तमिलनाडु की किसान पप्पामल (रंगम्मल) का 109 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पीएम मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।

पप्पामल Pappammal

पप्पामल अम्मा अब हमारे बीच नहीं रहीं। 27 सितंबर 2024 को 109 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका निधन, कृषि जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। पद्म श्री से सम्मानित पप्पामल ने लगभग सात दशकों तक जैविक खेती को बढ़ावा दिया, जिससे न केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे भारत के किसानों को प्रेरणा मिली। उनका जीवन संघर्ष, नवाचार और समर्पण का प्रतीक रहा, जिसने जैविक खेती को एक नई पहचान दी। आइए जानते हैं उनकी  कहानी।  

पप्पामल का जीवन (Life of Pappammal)

पप्पामल का जन्म 1914 में देवरायापुरम गांव में हुआ था। कम उम्र में अपने माता-पिता को खोने के बाद, वह अपनी दादी के साथ थेक्कमपट्टी में बड़ी हुईं। उनके जीवन में संघर्ष था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने व्यवसाय से पैसे कमाकर गांव में लगभग 10 एकड़ ज़मीन ख़रीदी और जैविक खेती की शुरुआत की। वह अपनी 2.5 एकड़ ज़मीन पर काम करती रहीं और हर दिन सुबह 5:30 बजे से खेतों में जुट जाती थीं। 

जैविक खेती में उनका योगदान (Pappammal contribution to organic Farming)

पप्पामल ने जैविक खेती को सिर्फ एक पेशे के रूप में नहीं लिया, बल्कि इसे अपने जीवन का उद्देश्य बनाया। उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर खेती के नवीनतम तरीकों को अपनाया और दूसरों को भी प्रेरित किया। उनकी मेहनत और ज्ञान के कारण, उन्हें तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय की सलाहकार समिति में सदस्य बनाया गया। उन्होंने खेती के प्रति अपने जुनून से न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे समुदाय को प्रभावित किया। 

पीएम मोदी और अन्य नेताओं ने दी श्रद्धांजलि (PM condoles demise of an organic farmer, Smt Pappammal)

पप्पामल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “पप्पामल जी के निधन से बहुत दुख हुआ। उन्होंने कृषि, ख़ासकर जैविक खेती में अपनी छाप छोड़ी। लोग उनकी विनम्रता और दयालु स्वभाव के लिए उनकी प्रशंसा करते थे। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और शुभचिंतकों के साथ हैं।” इसके अलावा, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन ने भी उनके योगदान को याद करते हुए शोक व्यक्त किया।

उनका राजनीतिक सफ़र (Pappammal political journey)

पप्पामल ने 1959 में थेक्कमपट्टी पंचायत की वार्ड सदस्य और 1964 में करमदई पंचायत संघ में पार्षद के रूप में चुनाव लड़ा। वह द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की सदस्य थीं और उनके राजनीतिक जीवन का गहरा असर कृषि क्षेत्र में था। उन्हें 2021 में पद्म श्री से सम्मानित भी किया गया था। 

निष्कर्ष (Conclusion)

पप्पामल का निधन जैविक खेती के क्षेत्र में एक बड़ी हानि है। उनके विचार, संघर्ष, और समर्पण हमेशा लोगों को प्रेरित करते रहेंगे। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि अगर हिम्मत और दृढ़ता हो, तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। जैविक खेती के क्षेत्र में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।

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पप्पामल के जीवन (Pappammal Life) पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल : पप्पामल कौन थीं?  

जवाब: पप्पामल जैविक खेती की एक प्रमुख हस्ती थीं, जिन्हें 2021 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय जैविक खेती को बढ़ावा देने में बिताया।

सवाल : पप्पामल का जन्म कब हुआ था?  

जवाब: पप्पामल उर्फ़ रंगमाल का जन्म 1914 में देवरायापुरम गांव में वेलमल और मारुथाचला मुदलियार के यहां हुआ था।

सवाल : पप्पामल ने जैविक खेती में क्या योगदान दिया?  

जवाब: उन्होंने 2.5 एकड़ भूमि पर जैविक खेती की और अपने अनुभवों के माध्यम से कई किसानों को प्रेरित किया। वह तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय की सलाहकार समिति की सदस्य भी थीं।

सवाल : उनका जीवन किस प्रकार का था?  

जवाब: उनका जीवन संघर्ष, मेहनत और समर्पण का प्रतीक था। उन्होंने कम उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया, लेकिन उन्होंने अपनी दादी की देख-रेख में खेती की ओर रुख किया।

सवाल : पप्पामल के योगदान का क्या महत्व है?  

जवाब: उनका योगदान जैविक खेती को बढ़ावा देने और किसानों को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने खेती के प्रति लोगों की सोच में बदलाव लाने का काम किया।

सवाल : पप्पामल का निधन कब हुआ?  

जवाब: पप्पामल का निधन 27 सितंबर 2024 की रात कोयंबटूर जिले के थेक्कमपट्टी गांव में उम्र संबंधी बीमारी के चलते हुआ।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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