उत्तर प्रदेश में अब पंचायत भवन को ग्राम सचिवालय कहा जाएगा और सभी 58,189 पंचायतों में एक-एक पंचायत और एकाउंट सहायक तैनात किया जाएगा। उसे 6 हज़ार रुपये महीना बतौर मानदेय दिया जाएगा। हरेक ग्राम सचिवालय को संवारने के लिए करीब 1.75 लाख रुपये भी दिये जाएँगे। हरेक ग्राम सचिवालय में एक जनसेवा केन्द्र भी स्थापित होगा और वहीं बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंस यानी ‘बीसी सखी’ के पद पर तैनात महिलाओं के लिए भी जगह उपलब्ध करायी जाएगी।
इस आशय का फ़ैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में 21 जुलाई को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया। फ़ैसले के बारे में सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि इस योजना का खर्च प्रादेशिक राजस्व, मनरेगा और ग्राम निधि जैसे मद से उठाया जाएगा। इससे 58,189 लोगों को रोज़गार मिलेगा।
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पंचायत अधिकारियों के 6 हज़ार पद खाली
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की कुल 58,189 ग्राम पंचायतों में से 33,577 पंचायतें अपने पूर्व निर्मित भवनों से संचालित हैं, जबकि 24,617 पंचायतों का भवन निर्माणाधीन है या वहाँ ज़रूरी मरम्मत और विस्तार का काम जारी है। उन्होंने कहा कि कुल 58,189 पंचायतों करीब 16 हज़ार पंचायत और ग्राम्य विकास अधिकारियों के पद सृजित हैं। लेकिन इन पदों पर करीब 10 हज़ार कर्मचारी ही कार्यरत हैं। अभी ये ग्राम पंचायतें व्यवस्थित ढंग से नहीं चल पा रही हैं।
इसीलिए अब पंचायतों के कामकाज को व्यवस्थित करने और ग्रामीण जनता की मदद के लिए पंचायत और एकाउंट सहायक की भर्ती की जाएगी। उन्होंने बताया कि ग्राम सचिवालय में गाँवों और किसानों से जुड़ी योजनाओं, पंचायत को मिलने वाली धनराशि, सरकारी आदेशों, ग़रीब (बीपीएल) परिवारों की सूची, विभिन्न योजनाओं के लिए सुपात्र लाभार्थियों की सूची, जन्म-मृत्यु पंजीकरण प्रमाणपत्र का ब्यौरा और पंचायत के आय-व्यय से सम्बन्धित रिकॉर्ड मौजूद रहेगा।
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सहकारी बैंक को 800 करोड़ रुपये की गारंटी
कैबिनेट ने नाबार्ड से लिए जाने वाले कर्ज़ के लिए उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक को 800 करोड़ रुपये की गारंटी देने के प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दी। ताकि सहकारी समितियाँ 400 करोड़ रुपये तक के कर्ज़ों की रीफ़ाइनेंसिंग को अपनी मंज़ूरी दे सकें। यह गारंटी 1 जुलाई 2021 से 30 जून 2022 तक के लिए है। सरकार को उम्मीद है कि इस फ़ैसले से लघु और सीमान्त किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।
प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक की ओर से किसानों को दीर्घकालीन कर्ज़ देकर उनकी सामाजिक और आर्थिक उन्नति में योगदान दिया जाता है। इसीलिए जब बैंक के पास नाबार्ड से धनराशि लेने के लिए अपनी ख़ुद का क्षमता नहीं होती है तो उसकी मदद के लिए सरकार की ओर से गारंटी दी जाती है।