बीते साल 2020 में कोरोना महामारी के कारण पोल्ट्री व्यवसाय को काफी नुकसान हुआ था। उससे उबरने का मौका भी नही मिला और अब पोल्ट्री व्यवसाय बर्ड फ्लू की मार झेल रहा है। हरियाणा के पंचकूला में पिछले 2-3 दिनों में पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों के मरने की बात सामने आई है। जिसके बाद दूसरे पोल्ट्री फार्म मालिको के अंदर डर बैठ गया है।
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कोरोना काल में मुर्गी और अंडे से वायरस फैलने की बात आने के बाद यह व्यवसाय बिल्कुल ठप पर गया था। लोगों ने अंडा और चिकन खरीदना छोड़ दिया था , जिस कारण कई एक पोल्ट्री फार्म बंद हो गए थे। हालात सुधरने के बाद व्यवसाय ने अपना सर उठाया था, मगर अब ये नई मुसीबत आ गिरी है।
पंचकूला पशुपालन विभाग के उपनिदेशक का कहना है कि, अभी कन्फर्म नही है कि मुर्गियों की मौत बर्डफ्लू से हुई है। जालंधर में जांच कराने पर बर्डफ्लू की पुष्टि नही हुई है। कन्फर्मेशन के लिए सैंपल को आगे भोपाल में जांच के लिए भेज गया है। रिपोर्ट आने तक कुछ साफ नही कहा जा सकता। देश में प्रमुख पोल्ट्री मीट उत्पादक हरियाणा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू और महाराष्ट्र आते हैं। साथ ही प्रमुख अंडा उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश, तमिलानाडू, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, हरियाणा प्रमुख राज्य हैं। जहां इन व्यवसाय से लाखों लोगों की ज़िंदगी चलती है। इसलिए इसे अनदेखा नही किआ जा सकता।
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उधर, केरल के कोट्टायम और अलप्पुझा जिलों में अब तक लगभग 12,000 बतखों की मौत बर्ड फ्लू से हो गई है। इस कारण, संक्रमित क्षेत्र के एक किमी दायरे में लगभग 40 हजार बतख के साथ साथ दूसरे पक्षियों को मारने का निर्देश जारी किया गया हैं। संक्रमित जिलों में सरकार ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है।
केरल पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉ. टेरेंस बी बतखों की मौत का कारण बर्डफ्लू बताया है। बतखों और अन्य पक्षियों को मारने की बात की पुष्टि की और कहा कि बीमारी आगे न फैल पाए, इसलिए यह कदम उठाया गया या।
मध्य प्रदेश के मंदसौर और इंदौर जिले में भी बर्ड फ्लू से लगभग 400 कौवों के मरने की बात सामने आरही है। जिसके बाद मंदसौर जिला प्रशासन ने चिकन और अंडे की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।
क्या है बर्डफ्लू का कारण
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की तरफ से जारी एक प्रेस रिलीज के मुताबिक भारत में यह बीमारी मुख्य रूप से प्रवासी पक्षियों द्वारा फैलती है। यह पक्षी सर्दियों के महीनों( सितंबर-अक्टूबर से फरवरी से मार्च तक) भारत में आते हैं।