किसानों के लिए बनी ‘पीएम-आशा’ योजना में शामिल किए गए 4 मुख्य घटक

'पीएम-आशा' योजना से मूल्य को नियंत्रित करने में मदद मिल पाएगी। इस मद में 15वें वित्त आयोग के दौरान 2025-26 तक कुल वित्तीय व्यय 35 हजार करोड़ रुपये होगा।

'पीएम-आशा' योजना PM Aasha Yojana

केंद्र सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला किया है। सेंट्रल कैबिनेट ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना (schemes of Pradhan Mantri Annadata Aay SanraksHan Abhiyan (PM-AASHA SCHEMES) को जारी रखने को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। पीएम मोदी की अध्यक्षता में 18 सितंबर 2024 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में किसानों के हक में ये फैसला लिया गया। इसके तहत ‘पीएम-आशा’ योजना’ को जारी रखने का निर्णय लिया गया है। इस पर 35 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। 

‘पीएम-आशा’ योजना से एमएसपी पर फसलों की ज़्यादा खरीद में मिलेगी मदद 

इस ‘पीएम-आशा’ योजना से मूल्य को नियंत्रित करने में मदद मिल पाएगी। इस मद में 15वें वित्त आयोग के दौरान 2025-26 तक कुल वित्तीय व्यय 35 हजार करोड़ रुपये होगा। इस योजना के अंतर्गत एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद 2024-25 मौसम से इन फसलों के राष्ट्रीय उत्पादन का 25 फीसदी होगा। जिससे राज्यों को लाभ का मूल्य सुनिश्चित करने और संकट के वक्त बिक्री को रोकने के लिए किसानों से एमएसपी पर इन फसलों की ज़्यादा खरीद करने में मदद मिलेगी। 

बताते चलें कि 2024-25 मौसम के लिए तुअर, उड़द और मसूर में ये सीमा लागू नहीं होगी क्योंकि 2024-25 मौसम के दौरान तुअर, उड़द और मसूर की दाल की 100 फीसदी खरीद होगी। 

सरकारी गारंटी बढ़कर 45,000 करोड़ रुपये

केंद्र सरकार ने ‘पीएम-आशा’ योजना के तहत एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और नारियल गिरी (खोपरा) की खरीद के लिए मौजूदा सरकारी गारंटी को बढ़ाकर 45,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इससे बाजार की कीमतें जब भी एमएसपी से कम होंगी, तो दलहन, तिलहन और खोपरा के ज़्यादा खरीद में मदद मिलेगी। कृषि विभाग की ओर से किसानों की फसलों का एमएसपी पर खरीद की जाएगी। जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) के ई-समृद्धि पोर्टल और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (National Cooperative Consumers Federation of India) के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पहले से रजिस्टर्ड किसान शामिल हैं।

पीएम-आशा योजना में इन चार घटकों को शामिल किया गया है: मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ), मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीओपीएस), और बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस)।

मूल्य समर्थन योजना: किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की गारंटी

मूल्य समर्थन योजना के तहत, 2024-25 में दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद राष्ट्रीय उत्पादन का 25 प्रतिशत होगी। इसका मतलब है कि सरकार इन फसलों को उचित कीमत पर खरीदने में राज्यों की मदद करेगी, ताकि किसानों को सही दाम मिले और फसल बेचने में परेशानी न हो। लेकिन, तुअर, उड़द और मसूर के लिए 2024-25 मौसम में ये सीमा लागू नहीं होगी। इन फसलों की 100 प्रतिशत खरीद की जाएगी।

मूल्य स्थिरीकरण कोष से कीमतों में बहुत अस्थिरता से बचाने में मिलेगी मदद

मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) योजना के विस्तार से दालों और प्याज के रणनीतिक सुरक्षित भंडार को बनाए रखने, जमाखोरी करने वालों  को रोकने वालों को हतोत्साहित करने और उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर आपूर्ति देने के लिए कृषि-बागवानी वस्तुओं की कीमतों में बहुत ज़्यादा अस्थिरता से बचाने में मदद मिलेगी। जब भी बाजार में कीमतें एमएसपी से ऊपर होंगी, तो बाजार मूल्य पर दालों की खरीद उपभोक्ता कार्य विभाग (डीओसीए) द्वारा की जाएगी। ‘पीएम-आशा’ योजना के तहत हस्तक्षेप टमाटर जैसी दूसरी फसलों और भारत दाल, भारत आटा और भारत चावल की सब्सिडी वाली खुदरा बिक्री में किया गया है।

मूल्य घाटा भुगतान योजना (PDPS) को प्रोत्साहन 

राज्यों को अधिसूचित तिलहनों के लिए एक ऑप्शन के रूप में मूल्य घाटा भुगतान योजना (PDPS) के अमल की दिशा में आगे आने को प्रोत्साहित करने के लिए कवरेज को राज्य तिलहन उत्पादन के मौजूदा 25 फीसदी  से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं किसानों के फायदों के लिए कार्यान्वयन अवधि को तीन से बढ़ाकर चार महीने कर दिया गया है। ‘पीएम-आशा’ योजना में एमएसपी और बिक्री या मॉडल मूल्य के बीच के अंतर का मुआवजा केंद्र सरकार की ओर से एमएसपी के 15 फीसदी तक वहन किया जाएगा।

बाज़ार हस्तक्षेप योजना: परिवहन और भंडारण व्यय का निर्णय ‘पीएम-आशा’ योजना के तहत 

केंद्र सरकार ने कहा कि ‘पीएम-आशा’ योजना से किसानों को देश में इन फसलों की अधिक खेती करने के लिए प्रेरणा मिलेगी और इन फसलों में आत्मनिर्भरत होने में योगदान मिलेगा, जिससे घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी। पीएसएफ योजना का विस्तार, दालों और प्याज के रणनीतिक बफर स्टॉक को संतुलित रूप से बाज़ार में जारी करने के लिए बनाए रखकर कृषि-बागवानी वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता से उपभोक्ताओं को बचाने में मदद करेगा।

वहीं कटाई के चरम समय में, उत्पादक राज्यों और उपभोक्ता राज्यों के बीच टीओपी (टमाटर, प्याज और आलू) फसलों की कीमत के अंतर को पाटने के लिए सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ जैसी नोडल एजेंसियों द्वारा किए गए कामों के लिए परिवहन और भंडारण व्यय को वहन करने का निर्णय ‘पीएम-आशा’ योजना के तहत लिया है।

‘पीएम-आशा’ योजना से जुड़े सवाल और उनके जवाब

 

सवाल1- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना क्या है ? 

जवाब- प्रधानमंत्री किसान आय संरक्षण योजना, जिसे पीएम आशा के रूप में भी जाना जाता है। प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM Aasha Scheme)  दालों व तिलहन को मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) पर खरीदने वाली स्कीम है। भारत सरकार की ये  योजना  सितंबर 2018 से न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी मूल्य नीतियों को सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी। इसमें पूर्व मूल्य समर्थन योजना, एक मूल्य कमी भुगतान योजना और एक निजी खरीद और स्टॉकिस्ट स्कीम शामिल है।

सवाल2- पीएम आशा योजना का उद्देश्य क्या है?

जवाब- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) नामक योजना को मंजूरी दिए जाने के साथ, जिसका उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है। सरकार ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाया है।  

सवाल3-केंद्र सरकार ने पीएम आशा योजना के लिए कितने करोड़ की मंजूरी दी ?

जवाब- कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कैबिनेट से 35000 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली पीएम आशा ( अन्नदाता आय संरक्षण अभियान) को मंजूरी दे दी है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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