भारत को अपने खाद्य तेलों की कुल माँग की 60 फ़ीसदी की भरपाई आयात से करनी पड़ती है, क्योंकि देश में खाद्य तेलों की कुल माँग 24 मिलियन टन है, जबकि उत्पादन 11 मिलियन टन है। इस आयात की वजह से एक ओर देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भारी दबाब पड़ता है तो दूसरी ओर हमारी खाद्य पदार्थों की आत्मनिर्भरता पर गम्भीर प्रभाव पड़ता है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद्य तेलों के उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – ऑयल पाम (NMEO-OP) का एलान किया है। इसके तहत पाम ऑयल के उत्पादकों और अन्य तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को उन्नत किस्म के बीज और अन्य तकनीकी सुविधाएँ मुहैया करवायी जाएँगी।
पॉम ऑयल पर ज़्यादा ज़ोर क्यों?
देश में तिलहन उत्पादन और खाद्य तेलों की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए पाम ऑयल पर ज़्यादा ज़ोर देने की वजह ये है कि पाम ऑयल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन बाकी तिलहन फसलों की तुलना में ज़्यादा होता है और इसके किसानों को भी अपेक्षाकृत अधिक मुनाफ़ा होता है। इससे भी बढ़कर ये कि पाम ऑयल की खेती से छोटी जोत वाले किसानों की ज़िन्दगी में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। कृषि जनगणना (2015-16) के मुताबिक, देश में लघु और सीमान्त किसानों की संख्या क़रीब 12.6 करोड़ है और इनकी औसत जोत 1.1 हेक्टेयर से कम है।
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कितनी है पाम ऑयल की हिस्सेदारी?
सरकार पाम ऑयल के उत्पादन पर इसलिए भी ज़्यादा ज़ोर देना चाहती है क्योंकि देश में इस्तेमाल हो रहे खाद्य तेलों में 94.1 प्रतिशत हिस्सेदारी इसी तेल की है। ज़ाहिर है, इसका जितना ज़्यादा घरेलू उत्पादन होगा उतना ही किसानों को भी फ़ायदा होगा। तिलहन या खाद्य तेलों की पैदावार की एक और ख़ासियत ये है कि इसकी उपज से उत्पाद बनने तक फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में रोज़गार के काफ़ी अवसर पैदा होते हैं। लिहाज़ा, पाम ऑयल या अन्य तेलों का जितना घरेलू उत्पादन बढ़ेगा, उतना ही इससे जुड़े अन्य उद्योग-धन्धे की बढ़ेंगे।
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कितना है कितना है खाद्य का आयात?
फिलहाल भारत सालाना करीब 150 लाख टन खाद्य तेल का आयात करता है। इसमें 55 प्रतिशत हिस्सेदारी पाम ऑयल की है। राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- ऑयल पाम का मकसद इसी आयात निर्भरता को कम करके इस पर खर्च हो रहे हज़ारों करोड़ रुपये को कृषि विस्तार में लगाने का है। NMEO-OP का लक्ष्य साल 2025-26 तक देश में पाम ऑयल का उत्पादन तीन गुना बढ़ाकर 11 लाख मीट्रिक तक करने का लक्ष्य रखा है।
पाम ऑयल के लिए उपयुक्त इलाके
भारत में पाम ऑयल की खेती को नयी ऊँचाईयों तक पहुँचाने के लिए अपार सम्भावनाएँ मौजूद हैं। इस मिशन का विशेष ज़ोर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर होगा क्योंकि वहाँ की जलवायु पॉम ऑयल के उत्पादन के लिए अनुकूल है। सरकार की रणनीति इन क्षेत्रों को पाम ऑयल उत्पादन के प्रमुख इलाकों के रूप में विकसित की है।