17 सितम्बर 2020 को संसद से पारित हुए तीनों विवादित कृषि क़ानूनों (Three Farm Laws) को ख़त्म करने का ऐलान करते वक़्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 नवंबर की सुबह 9 बजे राष्ट्र के नाम सन्देश दिया।
प्रधानमंत्री के इस राष्ट्रीय प्रसारण की अवधि 18 मिनट थी।
19 नवम्बर को सुबह 9 बजे प्रसारित प्रधानमंत्री का सन्देश
मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार।
आज देव-दीपावली का पावन पर्व है। आज गुरु नानक देव जी का भी पवित्र पावन प्रकाश पर्व है। मैं विश्वभर में सभी लोगों को और सभी देशवासियों को इस पावन पर्व पर हार्दिक बधाई देता हूँ। ये भी बहुत सुखद है कि डेढ़ साल के अन्तराल के बाद करतारपुर साहिब कॉरिडोर अब फिर से खुल गया है।
साथियों,
गुरु नानक जी ने कहा है- ‘विच्च दुनिया सेव कमाइए ता दरगाह बैसन पाइए’ यानी संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी है। ना जाने कितनी पीढ़ियाँ जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं। भारत आज उन सपनों को पूरा करने का भरपूर प्रयास कर रहा है।
साथियों,
अपने पाँच दशक के सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की परेशानियों को, उनकी चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है, महसूस किया है। इसलिए, जब देश ने मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में सेवा करने का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास, किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
साथियों,
इस सच्चाई से बहुत लोग अंजान हैं कि देश के 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास दो हेक्टेयर से भी कम ज़मीन है। आप कल्पना कर सकते हैं, इन छोटे किसानों की संख्या 10 करोड़ से भी ज़्यादा है। उनकी पूरी ज़िन्दगी का आधार यही छोटी सी ज़मीन का टुकड़ा है। यही उनकी ज़िन्दगी होती है और इस छोटी-सी ज़मीन के सहारे ही वो अपना और अपने परिवार का गुज़ारा करते हैं। पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिवारों में होने वाला बँटवारा इस ज़मीन को और छोटा कर रहा है।
इसलिए देश के छोटे किसानों की चुनौतियों को दूर करने के लिए, हमने बीज, बीमा, बाज़ार और बचत, इन सभी पर चौतरफा काम किया है।सरकार ने अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ ही किसानों को नीम कोटेड यूरिया, सॉयल हेल्थ कार्ड, माइक्रो इरिगेशन जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा है। हमने 22 करोड सॉयल हेल्थ कार्ड, किसानों को दिये हैं और इस वैज्ञानिक अभियान के कारण एग्रीकल्चर प्रोडक्शन भी बढ़ा है।
साथियों,
हमने फ़सल बीमा योजना को अधिक प्रभावी बनाया है। उसके दायरे में ज़्यादा किसानों को लाये हैं। आपदा के समय ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को आसानी से मुआवज़ा मिल सके, इसके लिए भी पुराने नियम बदले। इस वजह से बीते चार साल में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का मुआवज़ा हमारे किसान भाई-बहनों को मिला है। हम छोटे किसानों और खेत में काम करने वाले श्रमिकों तक बीमा और पेंशन की सुविधाओं को भी ले आये हैं। छोटे किसानों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सीधे उनके बैंक खातों में एक लाख 62 हज़ार करोड़ रुपये ट्रांसफर किए, सीधे उनके खाते में।
साथियों,
किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गये।देश ने अपने Rural market infrastructureको मज़बूत किया। हमने MSP तो बढ़ाई ही, साथ ही साथ रिकॉर्ड सरकारी खरीद केन्द्र भी बनाये हैं। हमारी सरकार द्वारा की गयी उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। देश की एक हज़ार से ज़्यादा मंडियों को e-NAMयोजना से जोड़कर हमने किसानों को कहीं पर भी अपनी उपज बेचने का एक प्लेटफॉर्म दिया है और इसके साथ ही देशभर की कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण पर भी हमने करोड़ों रुपये खर्च किये।
साथियों,
आज केन्द्र सरकार का कृषि बजट पहले के मुकाबले पाँच गुना बढ़ गया है। हर वर्ष सवा लाख करोड़ रुपये से अधिक कृषि पर खर्च किये जा रहे हैं। एक लाख करोड़ रुपये के agriculture infrastructure fund के माध्यम से गाँव और खेत के नज़दीक भंडारण-इसकी व्यवस्था, कृषि उपकरण जैसी अनेक सुविधाओं का विस्तार, ये सारी बातें तेज़ी से हो रही हैं।
छोटे किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए दस हज़ार FPO, किसान उत्पादक संगठन बनाने का अभियान भी जारी है। इस पर भी क़रीब सात हज़ार करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं। Micro irrigation fund के आवंटन को भी दोगुना करके दस हज़ार करोड़ रुपये कर दिया गया है।
हमने Crop Loan भी दोगुना कर दिया, जो इस वर्ष 16 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। अब पशुपालकों को मछली पालन से जुड़े हमारे किसानों को भी किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिलना शुरू हो गया है। यानी हमारी सरकार किसानों के हित में हर सम्भव कदम उठा रही है, लगातार एक के बाद एक नये कदम उठाती जा रही है। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरे, उनकी सामाजिक स्थिति मज़बूत हो, इसके लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रही है।
साथियों,
किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाभियान में देश में तीन कृषि क़ानून लाये गये थे।मकसद ये था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताक़त मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा विकल्प मिले। बरसों से ये माँग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, देश के कृषि अर्थशास्त्री, देश के किसान संगठन लगातार कर रहे थे।
पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन भी किया था।इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये क़ानून लाये गये। देश के कोने-कोने में कोटि-कोटि किसानों ने, अनेक किसान संगठनों ने, इसका स्वागत किया, समर्थन किया।मैं आज उन सभी का बहुत-बहुत आभारी हूँ, धन्यवाद करना चाहता हूँ।
साथियों,
हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गाँव गरीब के उज्ज्वल भविष्य के लिए, पूरी सत्यनिष्ठा से, किसानों के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये क़ानून लेकर आयी थी। लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाये हैं।
भले ही किसानों का एक वर्ग ही विरोध कर रहा था, लेकिन फिर भी ये हमारे लिए महत्वपूर्ण था। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि क़ानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास भी किया। हम पूरी विनम्रता से, खुले मन से उन्हें समझाते रहे। अनेक माध्यमों से व्यक्तिगत और सामूहिक बातचीत भी लगातार होती रही। हमने किसानों की बातों को, उनके तर्क को समझने में भी कोई कोर-कसर बाक़ी नहीं छोड़ी।
क़ानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था, सरकार उन्हें बदलने के लिए भी तैयार हो गई। दो साल तक हमने इन क़ानूनों को सस्पैंड करने का भी प्रस्ताव दिया। इसी दौरान ये विषय माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पास भी चला गया। ये सारी बातें देश के सामने हैं, इसलिए मैं इनके अधिक विस्तार में नहीं जाऊँगा।
साथियों,
मैं आज देशवासियों से क्षमा माँगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूँ कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी जिसके कारण दीये के प्रकाश जैसा सत्य ख़ुद किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाये।
आज गुरु नानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। ये समय किसी को भी दोष देने का नहीं है। आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूँ कि हमने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने का, Repeal करने का निर्णय लिया है।इस महीने के अन्त में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि क़ानूनों को Repeal करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।
साथियों,
मैं आज अपने सभी आंदोलनरत किसान साथियों से आग्रह कर रहा हूँ, आज गुरु पर्व का पवित्र दिन है। अब आप अपने-अपने घर लौटें, अपने खेत में लौटें, अपने परिवार के बीच लौटें। आइए एक नयी शुरूआत करते हैं। नए सिरे से आगे बढ़ते हैं।
साथियों,
आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है। ज़ीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए, MSP को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे।
साथियों,
हमारी सरकार किसानों के हित में काम करती रही है और आगे भी करती रहेगी। मैं गुरु गोविंद सिंह जी की भावना में अपनी बात समाप्त करूँगा – ‘देह सिवा बरु मोहि इहै सुभ करमन ते कबहूँ न टरों।’ हे देवी, मुझे ये वर दीजिए कि मैं शुभ कर्म करने से कभी पीछे न हटूँ।
जो किया किसानों के लिए किया, जो कर रहा हूँ देश के लिए कर रहा हूँ। आप सभी के आशीर्वाद से मैंने मेहनत में पहले भी कोई कमी नहीं की थी। आज मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि अब और ज़्यादा मेहनत करूँगा ताकि आपके सपने साकार हो सकें, देश के सपने साकार हो सकें।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! नमस्कार!