उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया। इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों की सिंचाई की समस्या काफ़ी हद तक दूर हो। आइये जानते हैं इस परियोजना से किन ज़िलों के किसानों को मिलेगा फ़ायदा।
पांच नदियों के जुड़ने से 29 लाख किसानों को फ़ायदा
यह परियोजना 14 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि की सिंचाई के लिए पानी मिलना सुनिश्चित करेगी। 6200 से अधिक गांवों के लगभग 29 लाख किसानों को इससे लाभ मिलेगा। क्षेत्र के किसान, जो परियोजना में देरी से सबसे ज़्यादा परेशान थे, अब इस बढ़ी हुई सिंचाई क्षमता से खेती-किसानी में तरक्की कर पाएंगे। इस परियोजना में क्षेत्र के जल संसाधनों का उचित उपयोग करने के लिए पांच नदियों – घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी को आपस में जोड़ा गया है। इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौ ज़िले बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, गोरखपुर और महाराजगंज के किसानों को फ़ायदा मिलेगा।
गोंडा ज़िले के 50 प्रतिशत किसानों को पहली बार इस परियोजना से फ़ायदा
इस परियोजना का मुख्य हिस्सा गोंडा ज़िले में है। ज़िले में बहराइच के रास्ते गोंडा में आईं दो मुख्य नहरों से, 45 नहरें निकाली जा चुकी हैं। गोंडा ज़िले में करीब पांच लाख किसान हैं। यहां के किसान बोरिंग व पंपिंग सेटों से सिंचाई करते रहे हैं, लेकिन कई बार बिजली की समस्या के कारण किसानों को समय से सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पाती थी। कुल किसानों में से 50 फ़ीसदी किसानों को अब नहर से सिंचाई का फ़ायदा मिलेगा। अब किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए कम लागत आएगी, क्योंकि डीज़ल की खपत बचेगी।
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना में कितनी आई लागत
इस परियोजना पर काम 1978 में शुरू हुआ था, लेकिन लगातार बजट उपलब्ध नहीं हो पाने, अंतरविभागीय समन्वय और पर्याप्त निगरानी के अभाव में लगभग चार दशक बाद भी ये काम पूरा नहीं हुआ। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना को कुल 9800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया है, जिसमें से पिछले चार साल में 4600 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया।
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