तीनों विवादित कृषि क़ानूनों को वापस लेने और सभी तरह की कृषि उपज के लिए न्यूनतम खरीद मूल्य तय करने के लिए क़ानून बनाने की माँग को लेकर 26 नवम्बर 2020 से जारी किसान आन्दोलन को और तेज़ किया जाएगा। 11 जून को हरियाणा के सोनीपत ज़िले के कुंडली बॉर्डर धरनास्थल पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की बैठक में किसान आन्दोलन के लिए आगे रणनीति तय की गयी।
4 मुख्य कार्यक्रम तय
किसान नेताओं ने फ़िलहाल चार मुख्य बातें तय की हैं। पहला, हरियाणा में सत्ता पक्ष से जुड़े नेताओं के लिए गाँवबन्दी और दूसरा, 26 जून को ‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ दिवस मनाने और इसके लिए राज भवन पर बग़ैर किसी पूर्वानुमति के प्रदर्शन करने और राष्ट्रपति को ज्ञापन देने का कार्यक्रम। तीसरे और चौथे कार्यक्रम के रूप में 14 जून को गुरु अर्जुन देवजी का बलिदान दिवस और 24 जून को सन्त कबीर जयन्ती मनायी जाएगी। 24 जून को संयुक्त किसान मोर्चा का मंच महिलाओं, दलितों और मज़दूरों को समर्पित रहेगा। इसके तहत पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के लोगों को ख़ासतौर पर धरनास्थलों पर बुलाया जाएगा।
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सत्ताधारी नेताओं की गाँवबन्दी
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में इन्द्रजीत सिंह, मनजीत राय, सुमन हुड्डा, विकास सीसर, जंगवीर चौहान, धर्मेन्द्र मलिक और रवि आज़ाद आदि की ओर से बताया गया कि ‘सत्ता पक्ष के नेताओं की गाँवबन्दी’ की रणनीति के तहत किसानों से अपील की गयी है कि वो ना सिर्फ़ अपने गाँव में बल्कि अन्य गाँवों में भी भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी के नेताओं को घुसने तक नहीं दें और शादी-ब्याह जैसे अपने किसी भी निजी कार्यक्रम में इन पार्टियों के नेताओं को न तो बुलाएँ और ना ही आने दें। अलबत्ता, शहरों में निजी कार्यक्रम में जाने पर सत्ता पक्ष के नेताओं का विरोध नहीं किया जाएगा, जबकि शहरों में होने वाले राजनीतिक या सरकारी कार्यक्रमों में सत्ताधारी दल के नेताओं का विरोध पहले की तरह जारी रहेगा।
‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ दिवस
26 जून को ‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ दिवस मनाने के बारे में किसान नेताओं ने बताया कि 26 जून को किसान आन्दोलन के सात महीने पूरे होंगे। इसीलिए उस दिन किसानों की ओर से राजभवन पर प्रदर्शन करके राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया जाएगा। इस विरोध प्रदर्शन के लिए किसानों की ओर से सरकारी से किसी भी तरह की पूर्व अनुमति भी नहीं ली जाएगी।
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किसान नेताओं का कहना है कि 26 जून को ही पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी ने देश में इमरजेंसी लागू की थी। जबकि मोदी सरकार ने तो देश में अघोषित इमरजेंसी लगा रखी है। यहाँ बोलने की आज़ादी छीनी जा रही है। इसीलिए किसान आन्दोलन के पक्ष में बोलने वालों के ट्विटर हैंडल बन्द करवाये जा रहे हैं। उन्होंने ट्रैक्टर टू ट्वीटर और जैजी बैंस के ट्वीटर हैंडल पर कार्रवाई का कड़ा विरोध किया और कहा कि किसानों के ख़िलाफ़ कितने भी मुक़दमे दर्ज़ करवाये जाएँ, लेकिन वो डरने वाले नहीं हैं और उनका आन्दोलन लगातार बढ़ता जाएगा।