दिल्ली सीमा पर नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं ने एक पत्र लिख कर 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे सरकार के साथ मीटिंग करने का प्रस्ताव रखा है। नेताओं ने पत्र लिखकर सरकार पर गलतबयानी का भी आरोप लगाया है।
संगठनों ने मीटिंग के लिए एजेंडा भी दिया है जिसमें नए कृषि कानूनों सहित विद्युत संशोधन विधेयक व अन्य विधेयकों में भी बदलावों की मांग रखी है। किसान संगठनों के नेताओं द्वारा लिखा गया पत्र आप भी यहां पर पढ़ सकते हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा
दिनांक: 26/12/2020
सेवा में :
श्री विवेक अग्रवाल
संयुक्त सचिव
सीईओ, पीएम किसान
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
भारत सरकार .
विषय: संयुक्त किसान मोर्चा की भारत सरकार से तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए चल रही वार्ता बाबत
महोदय,
आपका दिनांक 24 दिसंबर 2020 का पत्र (संख्या 09/2020) प्राप्त हुआ।
अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की। सरकार ने इसे तोड़ मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी। आप अपनी चिठ्ठी में कहते हैं कि सरकार किसानों की बात को आदरपूर्वक सुनना चाहती है। अगर आप सचमुच ऐसा चाहते हैं तो सबसे पहले वार्ता में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें।
बहरहाल, चूंकि आप कहते हैं कि सरकार किसानों की सुविधा के समय और किसानों द्वारा चुने मुद्दों पर वार्ता करने को तैयार है, इसलिए हम संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सभी संगठनों से बातचीत कर निम्नलिखित प्रस्ताव रख रहे हैं। हमारा प्रस्ताव यह है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे आयोजित की जाय। बैठक का एजेंडा निम्नलिखित और नीचे दिए क्रम में हो :
- तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि (Modalities);
- सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक MSP की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान;
- “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020” में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए ज़रूरी हैं;
- किसानों के हितों की रक्षा के लिए ‘विद्युत संशोधन विधेयक 2020’ के मसौदे में ज़रूरी बदलाव।
हम फिर दोहराना चाहते हैं किसान संगठन खुले मन से वार्ता करने के लिए हमेशा तैयार रहे है और रहेंगे।
भवदीय,
(40 किसान संगठनों के नेता)
वास्ते,
संयुक्त किसान मोर्चा