जसकरण सिंह की कहानी यहाँ सुनें-
खेती में नए प्रयोग और इनोवेशन आज की ज़रूरत है। कई किसान पारंपरिक फसलों के अलावा, अब फलों और सब्जियों की खेती का रुख कर रहे हैं। एक ऐसे ही किसान हैं पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब ज़िले के कौणी गाँव के रहने वाले प्रगतिशील किसान जसकरण सिंह। जसकरण सिंह ने लीक से हटकर स्ट्रॉबेरी की खेती चुनी। जसकरण सिंह किसान परिवार से ही आते हैं। बचपन से ही खेती से लगाव था। पिता से खेती-किसानी के गुर सीखे। 18 साल की उम्र में ही जसकरण सिंह ने खेती को अपनी कर्मभूमि चुन लिया। आज वो अपनी कुल आठ एकड़ की ज़मीन में से साढ़े पांच एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं।
स्ट्रॉबेरी की खेती में अपना शत प्रतिशत देने की ज़रूरत
पिता पारंपरिक फसलों की खेती किया करते थे, लेकिन जसकरण के मन में हमेशा से लीक से हटकर कुछ करने की चाह थी। उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करने का फैसला किया। उस वक़्त परिवार वाले इस फैसले से खुश नहीं थे, पर उन्होंने अपनी दिल की सुनी और पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। हर नया काम करने से पहले नुकसान होने की गुंजाइश रहती है। इसके लिए उन्होंने बाकायदा बागवानी से संबंधित ट्रेनिंग ली।
स्ट्रॉबेरी की स्थानीय मंडियों में अच्छी डिमांड
जसकरण कहते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती मेहनत मांगती है। दिन में कम से कम 12 घंटे आपको देने होते हैं। जसकरण बताते हैं कि जो किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहते हैं, उन्हें इसमें अपने आपको समर्पित करना होगा। जब जसकरण ने अपने दोस्तों के साथ स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की, तो कुछ समय बाद उनके दोस्तों ने दूसरे फ़ील्ड का रूख कर लिया। जसकरण सिंह पीछे नहीं हटे।
जसकरण सिंह कहते हैं कि आज के युवाओं में बाहर जाकर पढ़ने और नौकरी करने की ललक है। युवा खेती को व्यवसाय के नज़रिये से नहीं देखते। वो इस सोच को बदलना चाहते हैं। इस सोच को रखते हुए ही उन्होंने पारंपरिक फसलों की तुलना में स्ट्रॉबेरी की खेती को चुना। यह खेती एक बार जम जाए तो अच्छा मुनाफ़ा देती है। आज की तारीख में उनकी उगाई स्ट्रॉबेरी कई स्थानीय मंडियों में जाती है। जसकरण सिंह ने किसान ऑफ़ इंडिया को बताया कि वो जैविक तरीके से ही स्ट्रॉबेरी उगाते हैं। जसकरण सिंह स्ट्रॉबेरी के साथ-साथ खरबूजा और बिना बीज वाले खीरे की भी खेती करते हैं। उन्होंने स्ट्रॉबेरी की नर्सरी भी लगाई हुई है और इस नर्सरी में सब्ज़ियों की खेती भी करते हैं।
स्ट्रॉबेरी की खेती में कितनी लागत और मुनाफ़ा?
उन्होंने प्रति एकड़ में स्ट्रॉबेरी के करीबन 25 हज़ार पौधे लगाए हुए हैं। प्रति एकड़ 5 से 6 लाख रुपये की कुल लागत आती है, और करीब आठ लाख रुपये में ये उपज बिकती है । इस तरह इसमें मुनाफ़ा ढाई से तीन लाख रुपये तक का होता है। जसकरण सिंह स्ट्रॉबेरी के दो किलो के पैकेट को 300 रुपये के आसपास बेचते हैं। ये दाम 600 रुपये तक भी जाता है।
जसकरण कहते हैं कि स्ट्रॉबेरी की बुवाई से पहले की तैयारी बहुत ज़रूरी है। खेत की अच्छे से जुताई कर लें। पौधे से पौधे की दूरी एक फ़ीट से सवा फ़ीट के बीच होनी चाहिए। कतार से कतार की दूरी 6 से 8 फ़ीट के बीच होनी चाहिए। बेड की चौड़ाई एक से दो फ़ीट रखें। जसकरण सिंह ने स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए लो टनल टेक्नोलॉजी और पैडी स्ट्रॉ मल्चिंग विधि अपनाई हुई है।
ये भी पढ़ें- Low Tunnel Polyhouse: लो टनल पॉलीहाउस तकनीक से खेती कर रहा यूपी का किसान, बेमौसम सब्ज़ियों की खेती से हो रहा मुनाफ़ा
स्ट्रॉबेरी की खेती से जुड़ी ज़रूरी बातें
रोपाई के बाद किसान भाई इस बात का ध्यान रखें कि पौधों पर फूल आने पर मल्चिंग जरूर करें। इससे खर-पतवार पर नियंत्रण होता है और फल सड़ने से बच जाते हैं। मल्चिंग करने से पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है और मिट्टी में नमी भी ज़्यादा समय के लिए बनी रहती है। पौधे लगाने के बाद ड्रिप या स्प्रिकंलर से सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद समय-समय पर नमी को ध्यान में रखते हुए सिंचाई करना ज़रूरी है। मिट्टी और स्ट्रॉबेरी की किस्मों के आधार पर खाद भी डालें। इसके लिए कृषि वैज्ञानिक से सलाह ले लेनी चाहिए। जसकरण कहते हैं कि जो भी स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करना चाहता है वो ट्रेनिंग लेने के बाद ही इसकी शुरुआत करे।
ये भी पढ़ें: फल-सब्ज़ी की खेती में लागत घटाने का बेजोड़ नुस्ख़ा है प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक, जानिए कैसे?
स्ट्रॉबेरी की मुख्य किस्में (Strawberry Varieties)
स्ट्रॉबेरी भारत की एक महत्वपूर्ण बागवानी फसल है। इसकी मांग भी है। हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में इसकी प्रमुख तौर पर खेती की जाती है। भारत में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण स्ट्रॉबेरी की किस्में- चांडलर, टियागा, टोरे, सेल्वा, बेलरूबी, फ़र्न और पजारो हैं. अन्य किस्मों में प्रीमियर, रेड कॉस्ट, लोकल ज्योलिकोट, दिलपसंद, फ्लोरिडा 90, कैटरीन स्वीट, पूसा अर्ली ड्वार्फ और ब्लेकमोर हैं।
स्ट्रॉबेरी के फ़ायदे (Strawberry Health Benefits)
स्ट्रॉबेरी एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन सी एवं विटामिन ए, प्रोटीन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है। इसके अलावा, इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम फोलिक एसिड और फास्फोरस पोटेशियम भी पाया जाता है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- PM Krishi Dhan Dhanya Yojana: उत्तर प्रदेश के 12 पिछड़े ज़िलों के लिए कृषि क्रांति का ऐलान, पूर्वांचल और बुंदेलखंड पर Focusप्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PM Krishi Dhan Dhanya Yojana) के तहत उत्तर प्रदेश के 12 जिलों को चुना गया है, जिन्हें कृषि के हर पहलू में आत्मनिर्भर बनाने का टारगेट है।
- बागवानी से किसानों को मिला नया रास्ता, अमरूद की खेती बनी तरक्क़ी की मिसालअमरूद की खेती से किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है। अमरूद की पिंक ताइवान क़िस्म बाज़ार में लोकप्रिय होकर किसानों के लिए वरदान बनी।
- प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन क्या है? ₹42 हज़ार करोड़ रुपये का निवेशप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष कृषि कार्यक्रम में 42 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं का शुभारंभ, लोकार्पण और शिलान्यास किया। ये कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में आयोजित हुआ, जिसमें दो बड़ी योजनाओं- पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन की शुरुआत की गई।… Read more: प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन क्या है? ₹42 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश
- सिमरता देवी की मेहनत ने बदली खेती की परंपरा प्राकृतिक खेती से मिली नई राहसिमरता देवी ने प्राकृतिक खेती अपनाकर ख़र्च घटाया, आमदनी बढ़ाई और गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की राह दिखाई।
- योगी सरकार की सख्ती : उत्तर प्रदेश में अब सैटेलाइट से ट्रैक होगी पराली, Digital Crop Survey में लापरवाही बर्दाश्त नहीं !योगी सरकार ने पराली जलाने की समस्या (Problem of stubble burning) से निपटने के लिए इस बार ‘Zero tolerance’ का रुख अपनाया है।पराली प्रबंधन (stubble management) के साथ-साथ योगी सरकार डिजिटल क्रॉप सर्वे अभियान को लेकर भी पूरी तरह सक्रिय है। इस अभियान का उद्देश्य खेत स्तर तक वास्तविक फसल की जानकारी जुटाना है
- खाद्य सुरक्षा से आत्मनिर्भरता तक: 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी लॉन्च करेंगे कृषि क्रांति के दो महाअस्त्रप्रधानमंत्री मोदी किसानों की ख़ुशहाली और देश की खाद्य सुरक्षा (Food Security) को नई दिशा देने वाली दो बड़ी स्कीम- ‘पीएम धन-धान्य कृषि योजना’ और ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ (PM Dhan-Dhaanya Yojana and Self-Reliance in Pulses Mission) की शुरुआत करेंगे।
- Bhavantar Yojana: भावांतर योजना में सोयाबीन रजिस्ट्रेशन शुरू, 5328 रुपये MSP का वादा, बागवानी किसानों को भी फ़ायदामध्य प्रदेश के सोयाबीन उत्पादक किसानों (soybean producing farmers) के लिए भावांतर योजना (Bhavantar Yojana) के तहत MSP पर फसल बिक्री के रजिस्ट्रेशन प्रोसेस शुरू हो चुका है।
- Chatbot In Punjabi Language: धुंए में घिरे पंजाब में पराली प्रबंधन की चुनौती और नई उम्मीद बना पंजाबी भाषा का Chatbot‘सांझ पंजाब’ (‘Sanjh Punjab’) नामक एक गठबंधन ने एक ऐसी रिपोर्ट और टेक्नोलॉजी पेश (stubble management) की है, जो इस समस्या के समाधान (Chatbot in Punjabi Language) की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो सकती है।
- Stubble Management: केंद्र और राज्यों ने कसी कमर, अब पराली प्रबंधन पर जोर, लिया जाएगा सख़्त एक्शनधान की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेष (stubble management) को जलाने के पीछे किसानों की मजबूरी है। अगली फसल (गेहूं) की बुवाई के लिए समय बहुत कम होता है और पराली हटाने की पारंपरिक विधियां महंगी और वक्त लेने वाली हैं। इससे निपटने के लिए अब सरकार ने जो रणनीति बनाई है
- Shepherd Community: भारत की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक ताने-बाने में ग्रामीण जीवन की धड़कन है चरवाहा समुदायचरवाहा समुदाय (shepherd community) की भूमिका सिर्फ पशुपालन (animal husbandry) तक सीमित नहीं है। वे एक पुल की तरह काम करते हैं। जो हमारी परंपरा को आज के वक्त के साथ जोड़ते हैं, प्रकृति के साथ coexistence बढ़ाते हैं। देश की खाद्य सुरक्षा की नींव मजबूत करते हैं।
- खेत से बाज़ार तक बस एक क्लिक! Kapas Kisan App लाया क्रांति, लंबी कतारों और भ्रष्टाचार से मुक्तिकेंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने ‘कपास किसान’ (Kapas Kisan App) मोबाइल ऐप लॉन्च करके देश की कपास खरीद प्रोसेस में एक डिजिटल क्रांति (digital revolution )की शुरूआत की
- प्राकृतिक खेती और सेब की बागवानी से शिमला के किसान सूरत राम को मिली नई पहचानप्राकृतिक खेती से शिमला के किसान सूरत राम ने सेब की खेती में कम लागत और अधिक मुनाफे के साथ अपनी पहचान बनाई है।
- 1962 Mobile App: पशुपालकों का स्मार्ट साथी,Animal Husbandry Revolution का डिजिटल सूत्रधार!Digital India के इस युग में, पशुपालन (animal husbandry) के क्षेत्र में एक ऐसी स्मार्ट क्रांति की शुरुआत हुई है, जो किसानों और पशुपालकों की हर समस्या का समाधान उनकी उंगलियों के इशारे पर ला देना चाहती है। इस क्रांति का नाम है-1962 Mobile App- पशुपालन का स्मार्ट साथी।
- Pulses Atmanirbharta Mission: 11,440 करोड़ रुपये का दलहन आत्मनिर्भरता मिशन, भारत की आत्मनिर्भरता की ओर ऐतिहासिक छलांगकेंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ (Pulses Atmanirbharta Mission) को मंजूरी दे दी है। ये मिशन, जो 2025-26 से 2030-31 तक चलेगा, देश को दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
- Makhana Revolution In Bihar: बिहार में शुरू हुई मखाना क्रांति, गरीब का ‘Superfood’ बन रहा है वैश्विक धरोहरमखाना महोत्सव 2025 (Makhana Festival 2025) का मंच सिर्फ एक उत्सव का प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि बिहार की अर्थव्यवस्था (Economy of Bihar) के एक नए युग का सूत्रपात (Makhana Revolution In Bihar) बन गया।
- Natural Farming: बीर सिंह ने प्राकृतिक खेती से घटाया ख़र्च और बढ़ाई अपनी आमदनी, जानिए उनकी कहानीविदेश से लौटकर बीर सिंह ने संतरे की खेती में नुक़सान के बाद प्राकृतिक खेती शुरू की और अब कमा रहे हैं बढ़िया मुनाफ़ा।
- हरियाणा के रोहतक में खुला साबर डेयरी प्लांट पशुपालकों की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी मज़बूतीरोहतक में शुरू हुआ साबर डेयरी प्लांट जो देश का सबसे बड़ा डेयरी प्लांट है किसानों की आय और दिल्ली एनसीआर की जरूरतों को पूरा करेगा।
- Cluster Development Programme: भारत का क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम है किसानों की आमदनी बढ़ाने की एक क्रांतिकारी रणनीतिकृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए भारत सरकार ने क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (Cluster Development Programme – CDP) की शुरुआत की है। ये केवल एक योजना नहीं, बल्कि कृषि व्यवस्था में एक अहम परिवर्तन लाने का एक सशक्त मॉडल है।
- Mushroom Farming In Bihar: बिहार में महिला किसानों के लिए ‘सोना’ उगाने का मौका! मशरूम योजना से महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भरबिहार जैसे घनी आबादी वाले राज्य में जहां जोत छोटी है और संसाधन सीमित, मशरूम की खेती एक वरदान साबित हो सकती है। ये एक ऐसी कृषि तकनीक है जिसे छोटे से घर के आंगन या खेत के एक कोने में भी शुरू किया जा सकता है। सबसे बड़ा फायदा ये है कि मशरूम की फसल बेहद कम समय में तैयार हो जाती है।
- कौशल विकास और प्रशिक्षण से किसान हो रहे सशक्त, बढ़ रही है क्षमता और हो रहा है विकासकिसानों को कौशल विकास और प्रशिक्षण के माध्यम से नई तकनीक, आधुनिक खेती और आय बढ़ाने के साधन उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।