डेयरी क्षेत्र और पशुपालन (Dairy sector and animal husbandry) में हमेशा से महिलाओं की प्रमुख भागीदारी रही है। अब बड़े पैमाने पर महिलाएं डेयरी सेक्टर से जुड़ रही हैं और खुद के दम पर डेयरी व्यवसाय चला रही हैं। एक ऐसी ही महिला हैं पंजाब के रूपनगर की रहने वाली गुरविंदर सिंह। गुरविंदर के पास तीन एकड़ की ज़मीन है, जिसमें वो खेती से जुड़े कार्य करती हैं। खेती करने से पहले वो बतौर टीचर एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया करती थीं।
एमए और बीएड डिग्री होल्डर गुरविंदर ने 2014 तक टीचर की नौकरी की। पर हमेशा से उनका खुद का बिज़नेस करने का सपना था। उन्होंने टीचर की नौकरी छोड़कर खेती-किसानी को अपनाने का फैसला किया।
आज की तारीख में वो अपनी 3 एकड़ कृषि भूमि में गेहूं, मक्का, चावल, मूंग जैसी फसलों की खेती करती हैं। इसके अलावा, तीन साहीवाल गायें भी उन्होंने पाली हुई हैं। वो अपने वहां से तैयार उपज को सीधा ग्राहकों को देती हैं।
एक गाय खरीदकर डेयरी यूनिट की शुरुआत की
कई फसलों की खेती करने के साथ ही गुरविंदर ने डेयरी सेक्टर में भी हाथ आज़माने की सोची। उन्होंने डेयरी विकास विभाग द्वारा आयोजित एक ट्रेनिंग कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में उन्होंने डेयरी पशुओं के चयन, आवास, चारा, प्रजनन और डेयरी गायों के वैज्ञानिक प्रबंधन सहित डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) के विभिन्न पहलुओं के बारे में सीखा। इसके बाद ही उन्होंने पशुपालन के क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने एक हॉल्स्टीन फ़्रिसियन गाय के साथ अपनी डेयरी यूनिट की शुरुआत की। डेयरी फार्मिंग के वैज्ञानिक तरीकों को अपनाया। इससे उनके दूध के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई।
टेक्नॉलजी को डेयरी व्यवसाय से जोड़ा
गुरविंदर ने ट्रेनिंग के दौरान जो कुछ भी सीखा, उससे उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हुई। इससे उनका मनोबल बढ़ा और फिर उन्होंने इसे बड़े स्तर पर ले जाने का फैसला किया। उन्होंने भूसा कटर, दूध निकालने की मशीन और एक साइलेज यूनिट खरीदी। आज की तारीख उनके पास 4 और हॉल्स्टीन फ़्रिसियन दुधारू पशु हैं। उनके वहां से रोज़ाना 90 लीटर दूध का उत्पादन होता है। इस दूध को वेरका डेयरी सहित वो गाँव के ही लोगों को बेचती हैं।
गुरविंदर सिंह अपने क्षेत्र के किसानों के लिए एक मिसाल बन गई हैं। उन्होंने साबित कर दिखाया कि कोई छोटे स्तर से भी डेयरी व्यवसाय में कदम रखा जा सकता हैं। उसके लिए ज़रूरी ये भी है कि पर्याप्त ट्रेनिंग के बाद ही इस फ़ील्ड में उतरें। सही मार्गदर्शन, परामर्श और टेक्नॉलजी के इस्तेमाल से डेयरी व्यवसाय किसानों को बड़े पैमाने पर लाभ देने का माद्दा रखता है।