रोटरी डिस्क ड्रिल (Rotary Disc Drill): फ़सल की कटाई के बाद पराली का प्रबंधन (Stubble Management) एक बड़ी चुनौती है। उत्तर भारत में धान जैसी फ़सलों की कटाई के बाद अवशेषों को जलाने की खबरें भी आती हैं। इस वजह से मिट्टी के पोषक तत्व और सेहत खराब होने के साथ- साथ पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा ये जलवायु परिवर्तन/ग्लोबल वॉर्मिंग (Climate Change/Global Warming) की समस्या को भी बढ़ाता है।
पराली या फ़सल अवशेषों को जलाने की समस्या से निपटने के लिए ICAR- भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR), करनाल ने रोटरी डिस्क ड्रिल (Rotary Disc Drill, RDD) मशीन का विकास किया। ये मशीन फ़सलों की सीधी बुवाई में मदद करके किसानों के समय, मेहनत और लागत में कमी लाती है।
इनोवेटिव तकनीक
ICAR की ओर से विकसित रोटरी डिस्क ड्रिल (RDD) मशीन एक इनोवेटिव तकनीक है। ये मशीन एक्टिव टाइप इंप्लिमेंट कैटेगरी में आती है, यानी ये PTO ऑपरेटेड है। इसमें रोटरी कटिंग यूनिट और सॉइल रेजर डिस्क ब्लेड सामने की ओर लगे हुए हैं। मशीन के पिछले हिस्से में डबल डिस्क फरो ओपनर्स के साथ सीडिंग अटैचमेंट हैं। ये हिस्सा ट्रिपल डिस्क मैकेनिज़म (triple disc mechanism) पर काम करता है।
रोटरी कटिंग यूनिट (rotary cutting unit) में सॉइल रेजर डिस्क, मानक पीटीओ गति (Standard PTO Speed: 540±10 आरपीएम) पर, 380-400 आरपीएम की स्पीड से घूमती है। मशीन को कम से कम 45 एचपी के डुएल क्लच वाले ट्रैक्टर के साथ ऑपरेट किया जा सकता है।
सीधी बुवाई में कारगर
ये मशीन धान की पराली वाले खेतों और गन्ने के अवशेष से ढके खेतों में सीधी बुवाई में कारगर है। ये नमी लिए हुए अवशेषों पर भी काम करती है, जिससे सुबह और शाम के समय भी इसका उपयोग आसानी से किया जा सकता है। दूसरी कई मशीनों में ऐसा नहीं होता। रोटरी डिस्क ड्रिल मशीन में विभिन्न फ़सलों जैसे गेहूं, धान, सोयाबीन, मटर, जौ, चना, अरहर आदि की सीधी बुवाई के लिए मैकेनिज़म हैं। इसमें मिट्टी की स्थिति और अवशेषों के भार के आधार पर 0.4-0.5 प्रति हेक्टेयर की क्षमता और 12-15 ली प्रति हेक्टेयर की विशिष्ट ईंधन खपत होती है।
धान की पराली वाले खेत में गेहूं की सीधी बुवाई से, पारंपरिक जुताई पद्धति की तुलना में कम कार्बन डाई ऑक्साइड Carbon dioxide (CO2) ) का उत्सर्जन होता है । साथ ही 4200 रुपये प्रति हेक्टेयर की बचत हो सकती है।
हरियाणा और उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन
2020-2021 के दौरान रोटरी डिस्क ड्रिल मशीन (Rotary Disc Drill Machine) का प्रदर्शन हरियाणा में करनाल और उत्तर प्रदेश के शामली जिले के किसानों के खेत में किया गया। इसके तहत चावल-गेहूं और गन्ना-गेहूं फसल चक्र में गेहूं की बुवाई की गई। रोटरी डिस्क ड्रिल मशीन के साथ, पराली के रहते गेहूं की सीधी बुवाई से, पारंपरिक खेती की तुलना में ईंधन लागत में 60-65% की कमी देखी गई। साथ ही फसल भी पारंपरिक बुवाई जितनी ही या उससे अधिक प्राप्त हुई।
अतिरिक्त लाभ
यह तकनीक चावल-गेहूं और गन्ना-गेहूं फसल चक्र में लगे किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। यह किसानों को गन्ने के अवशेष वाले खेतों में गेहूं या अन्य दलहनी फसल जैसे मूंग की सीधी बुवाई से अतिरिक्त फ़सल प्राप्त करने में भी मददगार है । इससे किसानों का मुनाफ़ा भी बढ़ता है। गन्ने के अवशेष वाले खेत में गेहूं की सीधी बुवाई से फ़सल की बुवाई तेज़ी से होती है और गेहूं का क्षेत्र बढ़ाने में मदद मिलती है। इस मशीन के इस्तेमाल से मिट्टी के पोषक तत्व (soil nutrients) भी बने रहते हैं, किसानों को पराली जलाने की ज़रूरत नहीं पड़ती और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।