केन्द्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने अपने ट्वीट के ज़रिये कहा है कि पंजाब में किसानों को उपज का दाम सीधा उनके बैंक खाते में मिलने के साथ ही अब यही व्यवस्था पूरे देश में लागू हो चुकी है। इसका मतलब ये हुआ कि अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकारी एजेंसियों को अपनी उपज बेचने वाले किसानों को सरकार सीधे उनके खाते में रुपये भेजेगी। सरकार का मानना है कि इस कदम से छोटे और सीमान्त किसानों को लाभ होगा।
पीयूष गोयल ने साफ़ किया है कि MSP पर उपज बेचने वाले उन किसानों को भी सीधे बैंक खातों में भुगतान भेजा जाएगा जो किराये की ज़मीन पर खेती करते हैं। उनका दावा है कि इस सुधार से मंडियों के कामकाज़ में पारदर्शिता बढ़ेगी, उपज का पूरा दाम मिलेगा और किसान किसी बहकावे में नहीं फँसेंगे।
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ज्ञात हो कि उपज की सरकारी खरीद को पारदर्शी बनाने के लिए केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने किसानों को उनका भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में करने का नियम यानी DBT (Direct Benefit Transfer) बनाया है। ये नियम जब पंजाब के सिवाय देश के सभी राज्यों में लागू हो गया तो साल 2018-2019 में केन्द्र ने पंजाब सरकार को अनेक पत्र लिखे। लेकिन पंजाब ने बार-बार राज्य के आढ़तियों के दबाव और मंडी नियमों के चलते DBT को लागू करने में असमर्थता जतायी।
इसके बाद केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय और भारतीय खाद्य निगम के आला अफ़सरों ने पंजाब सरकार के अधिकारियों के तालमेल बैठाकर उनकी हरेक दिक़्क़त को दूर करने की कोशिश की। लगता है कि दोनों सरकारों की कोशिशें अपनी मंज़िल पर पहुँच गयीं। इसीलिए पीयूष गोयल ने ट्वीट करके पूरे देश में किसानों की MSP पर बिकने वाली उपज को DBT से जोड़ने के काम के सम्पन्न होने का एलान किया। हालाँकि, इस सिलसिले में पंजाब सरकार या आढ़तियों के एसोसिएशन की प्रतिक्रिया अभी नहीं मिली है।
हरियाणा में लागू नियम
MSP को DBT से जोड़ने की योजना को देखते हुए इस साल हरियाणा सरकार ने मंडी में उपज बिकने के 48 घंटों के भीतर किसानों को भुगतान करने का नियम बनाया है। इससे किसानों का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में ही पहुँचाया जाएगा। यदि इस ढंग से भुगतान में देरी हुई तो किसान को 9 प्रतिशत की दर से ब्याज भी मिलेगा।
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भोपाल मंडी में 2 लाख तक का नकद भुगतान
MSP को DBT से जोड़ने की योजना का एक रोचक पक्ष ये भी भोपाल की मंडी में किसानों को सीधे उनके बैंक खाते में उपज का भुगतान भेजा जा सकता है, लेकिन वहाँ 2 लाख रुपये तक की बिक्री का दाम किसान को नकद में भी मिल सकता है। यानी मध्य प्रदेश में छोटे और सीमान्त किसानों के लिए कैश और डीबीटी दोनों विकल्प लागू हैं।