सटीक कृषि तकनीक और टेक्नॉलॉजी पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए कम लागत पर खाद्य उत्पादन को अधिकतम कर सकती हैं इसका एक ताज़ा उदाहरण है स्मार्ट फोन सेंसर। इसके लिए मिट्टी और आसपास की हवा के तापमान और आर्द्रता को मापने के लिए पूरे क्षेत्र में सेंसर लगाते हैं। इस सेंसर के माध्यम से वास्तिक समय पर डेटा एकत्र करते हैं। और इसका प्रोसेस करते हैं ,ताकि किसानों को फसलों की बुवाई, खाद और कटाई के संबंध में सर्वोत्तम निर्णय लेने में मदद मिल सके। आज दुनिया की हर तकनीक स्मार्टफोन से जुड़ चुकी है. स्मार्टफोन ने लोगों के जीवन को काफी आसान बना दिया है।
सिंचाई ,उर्वरक , सिंचाई प्रंबधन में स्मार्ट फोन सेंसर का इस्तेमाल
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के एग्रीकल्चर फिजिक्स के वैज्ञानिक डॉ . राजकुमार धाकर ने कहा कि स्मार्टफोन खेती के लिए भी काफी कारगर साबित हो रहे हैं। इसे डेटाबेस में अपलोड कर सकते हैं। जहां कोई विशेषज्ञ रंग और अन्य गुणों के आधार पर फसल की परिपक्वता का आकलन कर सकता है। अगर कोई उपलब्ध नहीं है, तो लोग सेंसर डेटा के विकल्प के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। स्मार्ट फोन सेंसर के माध्यम से मशीन से नियंत्रित सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन, कीटनाशक, फसल प्रजनन और आनुवंशिक अनुसंधान की सुविधा आसान की जा रही है।
कृषि में पांच प्रकार के स्मार्ट फोन सेंसर का उपयोग किया जाता है
डॉ. धाकर ने कहा कि स्मार्टफोन आधारित सेंसर के दो मुख्य भाग होते हैं, पहला स्मार्टफोन होता है और दूसरा सेंसर होता है। सेंसर स्मार्टफोन से तो आप न केवल फोन कॉल और टेक्स्ट संदेश भेज सकते हैं बल्कि आप कई अन्य चीजें भी कर सकते हैं जैसे आप इंटरनेट चला सकते हैं औऱ तस्वीरें ले सकते हैं। अब एक और शब्द बात करते हैं, सेंसर एक डिवाइस है सेंसर मात्रा के आधार पर एक सिग्नल है और यह सिग्नल स्मार्टफोन द्वारा पढ़ा और इस्तेमाल किया जा सकता है। आज के स्मार्टफोन कई एम्बेडेड सेंसर से लैस हैं। स्मार्टफोन के इन सेंसर को पांच श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
१. मोशन सेंसर
२. इमेज सेंसर्स
३, एनवायर्नमेंटल सेंसर्स
४ पोजीशन सेंसर्स
५. कनेक्टिविटी मोड़ेम्स
राज कुमार ने बताया कि,मोशन सेंसर के उदाहरण है एक्सेलेरोमीटर, गयरोस्कोपे , मैग्नेटोमीटर और ग्रेविटी सेंसर्स। इन सभी मोशन सेंसर्स को कृषि मशीन और रोबोट्स के नेविगेशन के लिए उपयोग किया जाता है। इमेज सेंसर्स में हाई रेसोलुशन पूरक धातु ऑक्साइड सेमीकंडक्टर होते है जिनसे फोटो खींची जाती है इन इमेज और फोटो से फसल की स्थिति, जैविक और अजैविक तनाव इत्यादि का पता लगाया जा सकता है। एनवायर्नमेंटल सेंसर्स में तापमान , आद्रता , प्रेशर तथा लाइट के सेंसर सम्मलित होते है।
कनेक्टिविटी मोडेम में सेलुलर नेटवर्क, वाई-फाई और ब्लूटूथ शामिल हैं। इन सभी का उपयोग फ़ार्म पर बाहरी सेंसर से डेटा प्राप्त करने और इस डेटा को किसी दूरस्थ सर्वर तक पहुँचाने के लिए किया जा सकता है।
देश में बढ़ रहा है इमेज सेंसर का इस्तेमाल
डॉ. राज कुमार ने बताया कि कृषि में स्मार्ट फोन बेस सेंसर में जो डेटा आता है, उससे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी के जरिए कृषि कार्य के समाधान के लिए एक मॉडल तैयार किया जाता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब हम स्मार्टफोन के कैमरे से रोगग्रस्त पौधे की तस्वीर लेते हैं। फिर ली गई फोटो के डेटा पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग को लागू करके बीमारी का पता लगाया जाता है और जब बीमारी का पता चलता है तो उस बीमारी के लिए उचित निदान का सुझाव दिया जाता है।
उनके अनुसार जर्मनी ने कीटों और बीमारियों का पता लगाने और इसके निदान का सुझाव देने के लिए एआई आधारित स्मार्टफोन सेंसर बेस ऐप विकसित किया है। इसका नाम प्लांटिक्स है। इस ऐप में जब आपको किसी रोगग्रस्त पौधे की फोटो लेनी होती है। यह फोटो फिर प्रोसेसिंग के लिए सर्वर पर भेजा जाता है और फिर यह बीमारी का पता लगाता है और इसे आपके स्मार्टफोन की स्क्रीन पर वापस कर देता है।
यह ऐप ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है। स्मार्टफोन आधारित सेंसर का उपयोग सिंचाई प्रबंधन में भी किया जा रहा है। स्मार्ट इरीगेशन कपास की फसल में सिंचाई के समय निर्धारण के लिए विकसित एक कपास ऐप है। थर्मल इमेज के जरिए फसल में पानी की जरूरत का पता लगाया जा सकता है।
इसी तरह एक ऐप PMapp जो अंगूर में पाए जाने वाले पाउडर फफूंदी के संक्रमण का पता लगाता है। यह ऐप ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है। स्मार्टफोन आधारित सेंसर का उपयोग सिंचाई प्रबंधन में भी किया जा रहा है। Smart Irrigation कॉटन ऐप है कपास की फसल में सिंचाई के समय निर्धारण के लिए विकसित गया है। यह थर्मल इमेज के जरिए फसल में पानी की जरूरत का पता लगाया जा सकता है।
पेस्टीसाइड स्प्रे के उचित प्रबंधन के लिए प्रीसेलेक्ट ऐप विकसित किया गया है। जो फसल के हिसाब से सबसे अच्छा स्प्रे नोजल के बारे में बताता है। PocketLAI ऐप भी ऐसा ही है। फसल वृद्धि पत्ती क्षेत्र सूचकांक और कैनोपी कवर से लगाया जाता है। इसे मिलान के इटली विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है । इसी तरह कैनोपी कवर मापने के लिए CANOPEO ऐप जिसको Oklahoma State University USA ने विकसित किया गया है।
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आई ए आर आई पूसा कृषि के लिए स्मार्ट फोन सेंसर विकसित कर रहा हैं।
डॉ. राजकुमार धाकर ने बताया कि आईएआरआई पूसा स्मार्ट फोन बेस सेंसर काम कर रहा है।उन्होंने कहा कि हमारा संस्थान पूसा नाइट्रोजन मैनेजर बना रहा है। यह आरजीबी फोटो बाय लीफ स्मार्टफोन का उपयोग करके नाइट्रोजन उर्वरक की समय पर जरूरत कब और कितना है यह बताएगा। उन्होंने कहा कि हमारा संसथान , अन्य स्मार्टफोन वेस तकनीक जैसे सटीक जल व् रोग प्रबंधन, मृदा की नमी का संवेदन , स्मार्टफोन असिस्टेड रोबोट्स सटीक मात्रा मई फ़र्टिलाइज़र डालने के लिए, फसल उत्पादन का आकलन, फसल की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए स्मार्टफोन इमेजिंग सेंसर पर काम कर रहा है । उन्होंने कहा कि संस्थान का उद्देश्य है की स्मार्टफोन बेस्ड तकनीक काम लगत वाली हो जिससे की लघु औऱ सीमांत किसानो के लिए भी किफायती हो।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।