सोयाबीन को पिला सोना भी कहा जाता है। इसकी वजह है सोयाबीन की खेती में नुकसान की गुंजाइश कम और लाभ ज़्यादा रहता है। भारत में सोयाबीन तेल सबसे ज़्यादा लोकप्रिय और उपयोग किया जाने वाला खाद्य है। सोया का उपयोग अन्य दुग्ध उत्पाद के रूप में भी किया जाता है और सोया चंक्स के रूप में भी ये उपलब्ध है। सोयाबीन की पारंपरिक खेती देश के कुछ ही इलाकों में होती है, लेकिन बढ़ती मांग और ज़रूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से कृषि वैज्ञानिक इसकी अन्य किस्मों को भी ईज़ाद कर रहे हैं। ऐसी ही एक उन्नत किस्म का नाम स्वर्ण वसुंधरा है। सोयाबीन की ये उन्नत किस्म रांची स्थित कृषि प्रणाली अनुसंधान केंद्र में विकसित की गई है।
क्यों खास है सोयाबीन की ये किस्म
सोयाबीन की ये किस्म जल्द तैयार हो जाती है। इसकी फसल हरी फली बुवाई के बाद 70 से 75 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इनके पौधे भी कीट प्रतिरोधी क्षमता वाले होते हैं। यह किस्म प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, आवश्यक फैटी एसिड, फास्फोरस, लोहा, कैल्शियम, जस्ता, थियामिन, राइबोफ्लेविन, विटामिन-ई, आहार फाइबर और चीनी का एक बहतरीं स्रोत है। गोले वाली हरी फली का इस्तेमाल स्वादिष्ट पकी हुई सब्जियों के रूप में किया जाता है और परिपक्व सूखे बीजों का उपयोग प्रोसेस्ड खाद्य उत्पादों को बनाने में किया जाता है।
कम लागत में कई गुना मुनाफ़ा
स्वर्ण वसुंधरा सोयाबीन की एक एकड़ खेती की लागत 30 हज़ार रुपये है जबकि लाभ 2 लाख 70 हज़ार रुपये है। महाराष्ट्र के रहने वाले किसान चंद्रकांत देशमुख स्वर्ण वसुंधरा सोयाबीन की ही खेती करते हैं। इस नए बीज की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने सबसे पहले 10 एकड़ में इसकी खेती शुरू की, जिसमें उन्हें प्रति एकड़ 30 हज़ार की लागत आई। लागत में भूमि का पट्टा मूल्य, भूमि की तैयारी, खाद एवं उर्वरक, सिंचाई, परस्पर संचालन, कीटनाशक, कटाई, आदि सम्मिलित है। फसल तैयार होने के बाद उन्हें प्रति एकड़ 15 क्विंटल की उपज मिली। इस तरह उन्हें प्रति एकड़ से ही तीन लाख रुपये की आय अर्जित हुई और एक एकड़ में उन्हें 2 लाख 70 हज़ार का सीधा मुनाफ़ा मिला।
वहीं स्वर्ण वसुंधरा की एक क्विंटल फसल से 225 किलो सोया पनीर तैयार किया जा सकता है, जिसे बनाने का खर्च 13 हज़ार तक पड़ता है। इसी 225 किलो सोया पनीर को जब बाज़ार में बेचते हैं तो सीधा 54,500 का मुनाफ़ा होता है। स्वर्ण वसुंधरा की फसल से कई अन्य उत्पाद दही, छेना, गुलाब जामुन, आइसक्रीम आदि भी तैयार किए जाते हैं। इस तरह से सोयाबीन की यह किस्म कम लागत में अधिक आय अर्जित करने का बेहतरीन विकल्प है।
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