देश के गन्ना किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है। गन्ना किसान पहले कड़ी मेहनत से अपनी फसल तैयार करते हैं और फिर उसका वाजिब दाम पाने के लिए संघर्ष करते हैं। गन्ना किसानों को अपनी बेची हुई फसल के पैसों के लिए महीनों तक इंतज़ार करना पड़ता है। गन्ने के भुगतान में लेटलतीफ़ी ने गन्ना किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। ऐसे में गन्ना किसानों को उनकी बेची गई फसल का सही समय पर भुगतान हो, इसके लिए सरकार ने चीनी मिलों के लिए अतिरिक्त घरेलू बिक्री कोटा के रूप में प्रोत्साहन की घोषणा की है।
इथेनॉल के उत्पादन से दूर होगी गन्ना किसानों की समस्या
पिछले कुछ सालों में देश में चीनी का उत्पादन घरेलू खपत से अधिक रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त चीनी को इथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। अक्टूबर से शुरू होने वाले नए 2021-22 चीनी सत्र में चीनी का निर्यात करने वाली और अधिक इथेनॉल का उत्पादन करने वाली चीनी मिलों को यह प्रोत्साहन दिया जाएगा। इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इससे न सिर्फ़ हरित ईंधन का उद्देश्य पूरा होगा, बल्कि कच्चे तेल के आयात में खर्च होने वाली राशि की भी बचत होगी। साथ ही मिलों द्वारा इथेनॉल की बिक्री से मिले राजस्व से चीनी मिल के मालिक किसानों को बकाये गन्ने का भुगतान भी कर पाएंगे।
देश में बढ़ रहा है इथेनॉल उत्पादन का ग्राफ
अक्टूबर से सितंबर तक चलने वाले पिछले दो चीनी सत्रों की बात करें तो 2018-19 में 3.37 लाख मिलियन टन और 2019-20 में 9.26 लाख मिलियन टन चीनी से इथेनॉल बनाया गया। वहीं चालू 2020-21 सत्र में करीबन 20 लाख मिलियन टन चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने का अनुमान है। ऐसे ही आने वाले सत्रों 2021-22 में 35 लाख मिलियन टन और 2024-25 तक 60 लाख मिलियन टन चीनी से इथेनॉल बनाने का लक्ष्य है।
चीनी मिलों के राजस्व में बढ़ोतरी
इथेनॉल के इस बढ़ते उत्पादन से अतिरिक्त गन्ना की समस्या के साथ-साथ देरी से भुगतान की समस्या का समाधान होने की भी उम्मीद है। सरकार ने जानकारी दी है कि चीनी मिलों ने पिछले तीन सत्रों में इथेनॉल की बिक्री से 22,000 करोड़ रुपए की कमाई की है। इस साल 2020-21 में भी चीनी मिलों को इथेनॉल की बिक्री से लगभग अब तक 15,000 करोड़ रुपये की आय अर्जित हुई है। ऐसे में अतिरिक्त चीनी से इथेनॉल का उत्पादन करने से गन्ना किसानों को उनका भुगतान समय रहते मिल सकेगा।
कितना भुगतान, कितना बकाया
पिछले चीनी सत्र 2019-20 में लगभग 75,845 करोड़ रुपये के देय गन्ना बकाये में से 75,703 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और अभी 142 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। हालांकि, चालू सत्र में 2020-21 में चीनी मिलों द्वारा रिकार्डतोड़ लगभग 90,872 करोड़ रुपये के गन्ने की खरीद की गई। इसमें से लगभग 81,963 करोड़ रुपये के गन्ना बकाये का किसानों को भुगतान कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि निर्यात और गन्ने से इथेनॉल बनाने में बढ़ोतरी से किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान में तेजी आई है।
निर्यात के लिए हो चुका है अग्रिम कॉन्ट्रैक्ट
पिछले 2019-20 सत्र में 59.60 लाख मिलियन टन चीनी का निर्यात किया गया। वहीं चालू चीनी सत्र 2020-21 में 60 लाख मिलियन टन निर्यात करने का लक्ष्य रखा गया है। 60 लाख मिलियन टन के निर्यात लक्ष्य की तुलना में, लगभग 70 लाख मिलियन टन के निर्यात के कॉन्ट्रैक्टस पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। वहीं कुछ मिलों ने तो आने वाले सत्र 2021-22 के लिए भी कॉन्ट्रैक्ट कर लिया है।