तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले साल नवंबर से हज़ारों किसान दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं और इन राज्यों के राजमार्गों पर डेरा डाले हुए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले कुछ किसान संगठन इन कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर डटे हुए हैं। अब किसानों के इस अनिश्चितकाल धरने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त टिप्पणी की हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और धरने स्थल की संबंधित राज्य सरकारों से पूछा है कि वो किसानों के इस धरने को खत्म करने के लिए क्या कदम उठा रही हैं।
सड़कों पर जमे बैठे किसानों को हटाने के लिए क्या कदम उठाए?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वह राजधानी में तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा सड़क की नाकेबंदी को हटाने के लिए क्या कर रही है? शीर्ष अदालत ने एक बार फिर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह से सड़कों पर हमेशा के लिए कब्जा नहीं किया जा सकता। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किसी समस्या का समाधान न्यायिक मंच, लोकतांत्रिक आंदोलन या संसदीय बहस के माध्यम से होना चाहिए। इस तरह से सड़कों को बाधित नहीं किया जा सकता। सरकार को इस समस्या का समाधान निकालना ही होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आवाजाही रोकने का हक नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों को विरोध करने का पूरा अधिकार है, लेकिन निर्धारित स्थलों पर ही विरोध प्रदर्शन होना चाहिए। विरोध के लिए आवाजाही बाधित नहीं की जा सकती और हमेशा के लिए ऐसा नहीं किया जा सकता, इससे लोगों को परेशानी होती है, टोल की वसूली बाधित होती है। शीर्ष अदालत ने किसानों से कहा कि आपको प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन राजमार्ग को रोककर लोगों की आवाजाही रोकने का हक नहीं है। आपके प्रदर्शन की वजह से आम लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से विशेष रूप से पूछा कि सरकार इस मामले में क्या कर रही है? शीर्ष कोर्ट के सवाल के जवाब में तुषार मेहता ने कहा कि उच्च स्तर पर एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। आंदोलनकारी किसानों को बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन वो बैठक में शामिल नहीं हुए।
मेहता ने मोनिका अग्रवाल द्वारा दिल्ली और नोएडा के बीच आवाजाही में हो रही परेशानी को लेकर दायर याचिका में आंदोलनकारी किसान समूहों को पक्षकार बनाने के लिए अदालत की अनुमति मांगी है।
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जंतर-मंतर पर ‘सत्याग्रह’ के लिए किसान महापंचायत ने मांगी इजाज़त
इस बीच किसान महापंचायत ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह के लिए सुप्रीम कोर्ट से मंज़ूरी मांगी है। किसानों की अपील है कि 200 किसानों को अनिश्तकालीन सत्याग्रह की अनुमति दी जाए। अदालत ने याचिकाकर्ता किसानों से कहा है कि पहले वो हलफनामा देकर बताएं कि दिल्ली सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से वो अलग हैं। सोमवार तक ये हलफनामा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। उधर सुप्रीम कोर्ट के इस बयान पर किसान संयुक्त मोर्चा की तरफ से अभी तक कोई टिपण्णी नहीं आई है।