एग्रीकल्चर स्टूडेंट्स: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि के छात्र अपने ज्ञान व ऊर्जा को मनपूर्वक उन्नत खेती के लिए लगाएं और किसानों के मददगार बनें। ऐसा करके कृषि के स्नातक देश की तकदीर-तस्वीर बदल सकते हैं।
तोमर ने नए कृषि सुधार कानूनों को किसानों के लिए हर तरह से लाभकारी बताते हुए छात्र-छात्राओं से इनका अध्ययन करने तथा इनके प्रति जागरूकता फैलाने का आव्हान भी किया।
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तोमर ने यह बात सोमवार को देशभर के हजारों कृषि विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कही। देश में 74 कृषि विश्वविद्यालय है, जिनके 15 हजार से ज्यादा विद्यार्थी इस कार्यशाला व संवाद कार्यक्रम से आनलाइन जुड़े थे। कार्यक्रम के पहले सत्र में विभिन्न योजनाएं समझाई गई।
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केंद्रीय मंत्री ने कृषि के छात्र-छात्राओं के साथ सीधा संवाद भी किया। इस दौरान असम कृषि वि.वि. की छात्रा सुरूपशिखा बरूआ ने कहा कि भारत सरकार की नई योजनाओं के बारे में इस कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें बेहतर जानकारी मिली है। बेंगलुरू में अध्ययनरत बिहार निवासी छात्र प्रियांशु कुमार ने कहा कि वे किसानों को सीधे मार्केट से जोड़ना चाहते हैं।
जेएनकेवीवी की छात्रा सुश्रेयासी सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र मजबूत होने से देश मजबूत होता है, इसीलिए वे भी इस फील्ड में आई है। पंजाब कृषि वि.वि. की सुअनुपमा ने बताया कि पढ़ाई पूरी होने के बाद अब वे टैरेस गार्डन प्लानिंग के काम में जुट गई है। नए रिफार्म्स को उन्होंने अच्छा बताया।
मुख्य संबोधन में तोमर ने कहा कि हमारे कृषि प्रधान देश में कृषि व गांव भारत की पहचान है। हमारे गांवों की मजबूती से ही हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं। आजादी के पहले व बाद में भी कृषि व ग्रामीण क्षेत्र को प्रभावित करने की कोशिशें हुई, लेकिन वे सफल नहीं हो पाई। कोरोना संकट के दौरान भी ये दोनों क्षेत्र पूरी ताकत से खड़े रहे व जीडीपी में भी कृषि का योगदान प्लस में रहा, कृषि क्षेत्र ने अपनी प्रासंगिकता को सिद्ध किया है, यह हमारी बहुत बड़ी पूंजी है।
तोमर ने कहा कि एक समय था, जब कहा जाता था कि खेती के लिए पानी होना जरूरी है लेकिन आज परिस्थितियां बदली है, अब पानी भले ही कम हो, ज्ञानवान साथ में हो तो सफलता मिल जाती है। ऐसे ही ज्ञानी कृषि विद्यार्थियों के योगदान की खेती को आज सबसे ज्यादा जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किसानों व कृषि के विकास के लिए अनेक योजनाएं बनाई, नए कानून भी लाए गए है, ताकि खेती के प्रति आकर्षण बढ़े। सरकार ने मजबूत प्लेटफार्म दे दिया है, इस पर खड़े होकर कृषि के स्नातक देश की तकदीर-तस्वीर बदल सकते है।
उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर पढ़ाई के बाद नौकरी की चाह होती है लेकिन पढ़े-लिखे युवा अपनी खेती करेंगे, ज्ञान के आधार पर छोटी-मोटी यूनिट्स गांवों में लगाएंगे तो इससे उन्हें अच्छी आय तो होगी ही, देश के समक्ष विद्यमान चुनौतियों का सामना करने में भी सफल हो सकते हैं। विद्याथियों के पास ज्ञान है, अवसर है, उत्साह है, ऊर्जा है, उम्र है, जिससे वे खेती में ज्यादा सफल हो सकते हैं। यह संकोच नहीं करें कि लोग क्या कहेंगे।
युवा भारत हमारे देश की बहुत बड़ी ताकत है, जो आत्मनिर्भर भारत बनाने में भागीदारी कर सकता है, देश का सुखद कल बनाने में योगदान दे सकता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था- प्रत्येक कार्य को तीन चरणों से होकर गुज़रना पड़ता है- उपहास, विरोध तथा उसके बाद स्वीकृति। परिश्रम के साथ शांत मन से संकल्पित होकर कार्य करेंगे तो विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता मिल जाती है।
तोमर ने कहा कि हमारे देश में छोटे रकबे वाले किसान बड़ी संख्या में है, वे प्रकृति पर निर्भर रहते हैं। कुछ ऐसे क्षेत्र भी है, जहां खेती नहीं की जा सकती। कृषि विद्यार्थियों का इसमें सकारात्मक योगदान हो सकता है। आय वृद्धि के लिए महंगी फसलों को उगा सकते हैं, वैश्विक मानकों के अनुसार खेती कर सकते हैं।
इस तरह देश के काम आ सकते हैं, निर्यात कर सकते हैं। युवा-छात्रों के प्रयासों से किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। सरकार व आईसीएआर कृषि शिक्षा बढ़ाना चाहते है, इसकी बेहतरी के लिए मंत्रालय सतत मंथन कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि छोटे किसानों को संगठित करके एग्रीकल्चर ग्रेजुएट फील्ड में जाएंगे तो एफपीओ के माध्यम से भी किसानों के जीवन में बदलाव ला सकते हैं और नौकरी से ज्यादा कमाते हुए समाज को आगे बढ़ाने में भी अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं। प्रधानमंत्री जी के वोकल फार लोकल के आव्हान को भी हम सभी को दृष्टिगत रखना है। इस बारे में काफी जागरूकता आई है।
स्थानीय उत्पाद बनें, इसमें कृषि छात्रों का ज्ञान जुड़े, आपकी ऊर्जा व परिश्रम से आपके जिले को एक नई ऊंचाई मिले, इससे विद्यार्थियों को आत्मसंतुष्टि भी मिलेगी। खाद्यान्न की बर्बादी रोकने में भी कृषि छात्रों का योगदान आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बनाए गए नए कृषि कानूनों से किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम मिल सकेगा, छोटे किसान भी महंगी फसलों की ओर आकर्षित होंगे, नई तकनीक से जुड़ेंगे, जिनसे उन्हें काफी लाभ मिलेगा। इन कानूनों की लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। कुछ लोग इनका विरोध कर रहे है, लेकिन विरोध के पीछे की मानसिकता सबके ध्यान में है।
तोमर ने स्वामी विवेकानंद जी की बात पुनः उदद्धृत करते हुए कहा कि नए काम का कोई मजाक उड़ाएगा, फिर उसका विरोध करेगा, लेकिन अंततः सही होने से उसे स्वीकारोक्ति मिलेगी ही। इन नए कानूनों को एग्रीकल्चर स्टूडेंट्स को भी पढ़कर इनके प्रति जागरूकता बढ़ाना चाहिए।