देशभर में मशरूम की मांग काफ़ी तेज़ी से बढ़ रही है, ऐसे में पहाड़ी इलाकों में मशरूम की खेती करना काफ़ी फ़ायदेमंद साबित हो सकता है। उत्तरखंड के देहरादून के डोबरी गाँव की कई महिलाएं समूह बनाकर मशरूम की खेती कर रही हैं। इससे उन्हें आमदनी का एक ज़रिया तो मिला ही है, साथ ही ये महिलाएं मशरूम की खेती कर महिला सशक्तिकरण की अनोखी मिसाल पेश कर रही हैं।
बड़ी संख्या में मशरूम की खेती से जुड़ीं हैं महिलाएं
हाल ही में उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मशरूम फेस्टिवल (International Mushroom Festival 2021) में किसान ऑफ़ इंडिया की मुलाकात कल्पना बिष्ट से हुई। कल्पना बिष्ट मशरूम की खेती से जुड़ी हैं। ब्लॉक विकासनगर में क्लस्टर अध्यक्ष पद पर तैनात कल्पना बिष्ट ने कई महिलाओं को मशरूम की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है। आज कल्पना बिष्ट के साथ 9 ग्राम संगठन जुड़े हुए हैं।
खेती-किसानी की राह चुन, महिलाओं के उत्थान में लगीं
बतौर फ़ैशन टेक्नीशियन दिल्ली में काम करने वाली कल्पना बिष्ट को पारिवारिक समस्या के कारण दिल्ली छोड़ना पड़ा। कॉर्पोरेट सेक्टर में 19 साल तक काम करने के बाद वो अपने गाँव पहुंची। कहते हैं न अगर हौसला हो, कुछ करने की ललक हो, तो क्या कुछ हासिल नहीं हो सकता। मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने वालीं कल्पना बिष्ट ने खेती-किसानी की राह चुनी और गाँव की महिलाओं के उत्थान में लग गईं।
सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने का उद्देश्य
कल्पना बिष्ट ने बाकायदा देहरादून स्थित सर्किट हाउस में मशरूम की खेती की ट्रेनिंग ली। फिर मशरूम खेती के क्षेत्र का जाना-माना नाम दिव्या रावत की एक मशरूम की यूनिट देखने के बाद, उससे प्रेरित होकर उन्होंने मशरूम की खेती की शुरुआत की। आज कल्पना बिष्ट समूह की महिलाओं को उन्नत बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। कल्पना बिष्ट का मकसद सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाना है।
महिलाएं हुई आर्थिक रूप से सक्षम
कल्पना बिष्ट कहती हैं कि अगर एक महिला दिन का 100 रुपये भी कमाती है तो महिला समूह के लिए ये बहुत बड़ी बात है क्योंकि उनके गाँव में रोज़गार के अवसर न के बराबर हैं। ऐसे में कोई महिला अपनी मेहनत से पैसे कमाती है तो इससे अच्छी बात और भला क्या हो सकती है।
महिलाएं बीज खरीद के लिए तय करती हैं 50 किलोमीटर का सफ़र
कल्पना बिष्ट आगे बताती हैं कि उनके क्षेत्र की महिलाओं को मशरूम का बीज खरीदने के लिए 50 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है क्योंकि आस-पास कोई बीज खरीद केंद्र ही नहीं है। ऐसे में शासन-प्रशासन अगर बीज की उपलब्धता आस-पास के ब्लॉक में ही कर दे तो इससे मशरूम की खेती को क्षेत्र में और बढ़ावा मिलेगा।
ज़मीनी स्तर पर कई काम करने की ज़रूरत
कल्पना बिष्ट कहती हैं कि लाखों रुपये की योजनाएं सरकार लेकर आती है, लेकिन महिला किसानों तक इन योजनाओं का पूरा लाभ नहीं पहुंच पाता। ऐसे में अधिकारियों को ज़मीनी स्तर पर और काम करने की ज़रूरत है।
क्षेत्र की महिलाओं को मशरूम की खेती से आजविका का स्रोत तो मिला ही है, साथ ही इसका बाज़ार भी अच्छा है। बटन मशरूम से लेकर ढिंगरी मशरूम की खेती ये महिलाएं करती हैं। इन महिलाओं का कहना है कि इनका मशरूम बाज़ार में आसानी से बिक जाता है, लेकिन खेती के लिए पर्याप्त जगह न होने के कारण इसका विस्तार उतना नहीं हो पाता।
सरकार अगर मशरूम यूनिट प्लांट्स बनाने को लेकर मदद करे, छोटी-छोटी झोपड़ी बनाने से लेकर बीज की सुविधा आस-पास ही मिले, तो इससे उन जैसी कई महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों को और बल मिलेगा।
ये भी पढ़ें: मशरूम उगाने वाले मशहूर किसान प्रकाश चन्द्र सिंह से जानिए मशरूम की खेती से जुड़े टिप्स और तकनीक
अगर हमारे किसान साथी खेती-किसानी से जुड़ी कोई भी खबर या अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो इस नंबर 9599273766 या [email protected] ईमेल आईडी पर हमें रिकॉर्ड करके या लिखकर भेज सकते हैं। हम आपकी आवाज़ बन आपकी बात किसान ऑफ़ इंडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाएंगे क्योंकि हमारा मानना है कि देश का किसान उन्नत तो देश उन्नत।