आर्किड एक ऐसा फूल है, जो इसकी खेती कर रहे किसानों को अच्छा मुनाफ़ा कमाकर देता है। इसका अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि फूल मंडी में आर्किड फूलों की कीमत 500 से 600 रूपये प्रति 10 पीस है यानी एक फूल कम से कम 50 रुपये का बिकता है। जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड में आर्किड की लगभग 238 प्रजातियां पाई जाती हैं। जो दुर्लभ प्रजाति पाई गई है, उसकी खोज उत्तराखंड के चमोली जिले के मंडल क्षेत्र में राज्य के वन विभाग ने की है।
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India/BSI) और उत्तराखंड वन विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि आर्किड की ये प्रजाति ह्यूमस समृद्ध रोडोडेंड्रोन-ओक (बुरांस का जंगल) में 1870 मीटर की ऊंचाई पर पाई गई। मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने इस खोज की पुष्टि की है। चतुर्वेदी ने बताया कि रेंज ऑफिसर हरीश नेगी और जूनियर रिसर्च फेलो मनोज सिंह की अगुवाई में एक टीम ने इस दुर्लभ प्रजाति की खोज की। इससे पहले इस प्रजाति को भारत में 124 साल पहले देखा गया था। इसके बाद ये आर्किड प्रजाति जापान, चीन और नेपाल में देखी गई, लेकिन अब भारत में भी पाई गई है। मंडल घाटी में आर्किड की 67 से अधिक प्रजातियां की मौजूदगी है जो उत्तराखंड में मौजूद आर्किड की प्रजातियों का करीब 30 फीसदी है।
भारतीय वनस्पतियों की सूची में नाम शामिल
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण ने नेलुम्बो नाम की अपनी पत्रिका के नए संस्करण में आर्किड की नई प्रजाति सेफालंथेरा इरेक्टा को भारतीय वनस्पतियों की सूची में जोड़ने की पुष्टि की है। वहीं भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के विश्लेषण के अनुसार, यह आर्किड की लुप्तप्राय प्रजाति है। इस प्रजाति के फूल मई-जून में होते हैं। शोध दल को यह पौधा बेहद सीमित संख्या में मिला है। शोधकर्ताओं में शामिल हरीश नेगी ने बताया कि पर्यटन और तीर्थयात्रा की बढ़ती गतिविधियां इन विलुप्त प्रजातियों के लिए खतरा है। इन पौधों का जीवन काल बहुत कम होता है। इस आर्किड की नई प्रजाति सेफालंथेरा इरेक्टा को सिल्वर आर्किड भी कहा जाता है, जिसका पौधा छह से सात इंच होता है। इसमें सफेद फूल खिलता है।
आर्किड की प्रजातियों के मामले में बेहद समृद्ध है उत्तराखंड
बता दें कि पिछले साल ही वन विभाग की इस टीम को चमोली जिले में 3800 मीटर की ऊंचाई पर आर्किड लिपारिस पिग्निया की दुर्लभ प्रजाति मिली थी। पश्चिमी हिमालय में पहली बार पाई गई इस प्रजाति को भारत में 124 साल बाद फिर से देखा गया था। वहीं हाल ही में उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान विंग द्वारा चमोली जिले के मंडल क्षेत्र में एक आर्किड संरक्षण केंद्र भी स्थापित किया गया है, जहां आर्किड की 70 विभिन्न प्रजातियों को संरक्षित किया गया है। आईएफएस चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तराखंड आर्किड की प्रजातियों के मामले में बेहद समृद्ध है। उत्तराखंड में एक चमोली का मंडल क्षेत्र और दूसरा पिथौरागढ़ की गौरी घाटी, ये ऐसे दो क्षेत्र हैं जो आर्किड प्रजातियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करते हैं।